अनेक क्षेत्रों में अग्रणी मध्यप्रदेश को बनाना है आदर्श राज्य : मुख्यमंत्री चौहान

मुख्यमंत्री चौहान

योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए सभी जिलों में सम्बद्ध किए जाएंगे सीएम फैलो
मिशन कर्मयोगी योजना भारत सरकार का महत्वपूर्ण कदम
प्रभारी मंत्रियों के साथ अब रिसर्चर संलग्न करने पर विचार

भोपाल । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आम जनता को योजनाओं के क्रियान्वयन का बेहतर लाभ दिलवाने के लिए सुशासन के अनेक उपाय मध्यप्रदेश में अमल में लाए गए हैं। सांख्यिकी आंकड़ों के विकास योजनाओं में इस्तेमाल के संदर्भ में राज्य सांख्यिकी आयोग का गठन करने वाला पहला राज्य मध्यप्रदेश ही है। इस क्रम में अब प्रत्येक जिले में एक-एक सीएम फैलो सम्बद्ध किया जाएगा जो जिले के प्रभारी मंत्री को भी आवश्यक सहयोग प्रदान करेगा। मध्यप्रदेश अनेक क्षेत्रों में अग्रणी है। अब प्रयास यही है कि मध्यप्रदेश एक आदर्श राज्य की पहचान बनाए। आज हुए विचार-मंथन से निकलने वाले अमृत से प्रदेश के नागरिक लाभान्वित होंगे। टीम मध्यप्रदेश आगे भी बेहतर परिणाम सामने लाएगी। मध्यप्रदेश सरकार भारत सरकार के केपेसिटी बिल्डिंग कमीशन के साथ करारनामा भी करेगी। इसमें प्रशिक्षण कार्यक्रम पर फोकस किया जाएगा। मिशन कर्मयोगी योजना मंत्रालयों और विभागों के अधिकारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने की दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाया गया ठोस कदम है। इसी दिशा में मध्यप्रदेश शासकीय क्षेत्र में मानव संसाधन का आकलन कर उनकी कार्यदक्षता बढ़ाने के लिए कार्य करेगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मुख्यमंत्री निवास के समत्व भवन के सभाकक्ष में मंत्री गण, वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में “चिंतन शिविर अमृत काल में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश” के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि प्रतिमाह कल्याणकारी कार्यक्रमों की विभाग स्तर पर समीक्षा की जाए। इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों के समूह और मंत्री समूह बैठक एवं संवाद कर व्यवस्था को पुख्ता बनाएं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मंत्रीगण के साथ एक-एक रिसर्चर संलग्न करने पर भी विचार किया गया है, ताकि आंकड़ों और कार्यक्रमों की वर्तमान स्थिति की अद्यतन जानकारी प्राप्त कर उपयोग किया जा सके।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रत्येक विकास खण्ड में पन्द्रह सीएम जनसेवा मित्रों को दायित्व देकर योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी प्राप्त की जाएगी। अति सफल क्रियान्वयन वाली योजनाओं की केस स्टडी का कार्य भी किया जाएगा। इससे अन्य प्रांतों तक मध्यप्रदेश के श्रेष्ठ कार्यों का संदेश पहुँच सकेगा। भौतिक अधोसंरचना, सुशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार संबंधी चार स्थाई मंत्री समूह बेहतर परिणामों के और विकास कार्यों की गति बढ़ाने की दिशा में निरंतर कार्य करेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विज्ञान नीति के बाद आगामी 13 जनवरी को राज्य की युवा नीति सामने आ रही है, इसके बाद सहकारिता नीति भी शीघ्र आएगी।

प्रधानमंत्री श्री मोदी के संकल्प को साकार करेंगे
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी जी एक संकल्प को लेकर कार्य कर रहे हैं। क्षमता विकास के संदर्भ में मध्यप्रदेश उदाहरण बनेगा। आत्म निर्भर भारत के लिए आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के उद्देश्य से चार समूह गठित किए गए थे। वर्ष 2023 के लिए बनाई गई योजना के बाद आगामी लक्ष्य वर्ष 2047 के लिए तय किया जाना है। प्रधानमंत्री श्री मोदी भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूर्ण होने पर वर्ष 2047 में एक विकसित भारत के संकल्प को लेकर प्रयासरत हैं। उन्होंने पाँच प्रमुख सूत्रों में विकास, प्रत्येक तरह की परतंत्रता से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता के अलावा नागरिकों में कर्त्तव्य बोध के विकास को आवश्यक माना है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश प्रधानमंत्री जी के संकल्प और उनकी कल्पना के अनुसार टीम मध्यप्रदेश के माध्यम से अधिकतम योगदान देगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री जी योजनाओं के लाभ से हर नागरिक को लाभान्वित करने के उद्देश्य से कार्य कर रहे हैं। इस सिलसिले में मध्यप्रदेश में 17 सितम्बर से 31 अक्टूबर की अवधि में मुख्यमंत्री जन सेवा शिविरों के माध्यम से करीब 83 लाख हितग्राहियों को चिन्हित किया जो केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं से सीधे लाभ उठा सकते हैं। मध्यप्रदेश में सीएम कॉनक्लेव के लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए भी तेजी से कार्य किया गया है। प्रधानमंत्री जी भारत को पाँच ट्रिलियन डालर की अर्थ-व्यवस्था के मार्ग पर ले गए हैं। मध्यप्रदेश इसमें 550 बिलियन डालर का योगदान देने का कार्य करेगा। मध्यप्रदेश ने रोडमेप बनाकर कार्य को तेज किया है।

बधाई के पात्र हैं मंत्रीगण
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में गठित चारों मंत्री समूह के मंत्रीगण बधाई के पात्र हैं। अब तक अर्जित उपलब्धियों पर गर्व करते हुए आगामी एक वर्ष में तेजी से कार्य करना है। विभागों के प्रमुख सचिव, विभागाध्यक्ष बैठकें कर आगामी एक वर्ष के लक्ष्यों को पूर्ण करें। योजनाओं के ओर अच्छे परिणाम लाने के लिए व्यवस्था की गई है। मंत्रीगण के साथ अधिकारियों द्वारा निरंतर संवाद और समन्वय, इस व्यवस्था को सशक्त बनाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जिस तरह स्वच्छता के क्षेत्र में और सुशासन के सफल प्रयासों से प्राप्त सफलता के कारण मध्यप्रदेश की पहचान बनी है उसी तरह अन्य क्षेत्र भी हमारे लक्ष्यों में शामिल रहें। व्यक्ति जैसा सोचता है,वैसा बन भी जाता है और बेहतर परिणाम भी प्राप्त करता है। मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य यही है कि हम व्यक्ति में विद्यमान क्षमता का बेहतर उपयोग कर ज्यादा अच्छे परिणाम प्राप्त करें।

समन्वय पर जोर होना चाहिए
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जन-प्रतिनिधियों के निर्णयों को लागू करने और योजनाओं के क्रियान्वयन को बेहतर बनाने के लिए प्रत्येक स्तर पर समन्वय बहुत महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई विभाग अन्य विभाग को चिट्ठी लिखता है और उसका फॉलोअप न हो तो एक-दो दिन का कार्य कई दिन तक लंबित रहता है। मिशन कर्मयोगी योजना कार्यों की रफ्तार बढ़ाने के उद्देश्य को भी पूरा करेगी।

दिन भर हुआ विचार-मंथन, मंत्री और आमंत्रित विशेषज्ञों के मध्य हुआ गंभीर विमर्श
मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में राज्य मंत्रि-परिषद के सदस्यों और भारत सरकार से आए विशेषज्ञों के मध्य गंभीर विचार-विमर्श हुआ। प्रात: 10 बजे से प्रारंभ बैठक को मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नई दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंस द्वारा संबोधित किया। इसके पश्चात दोपहर 3 बजे तक चर्चा के सत्र हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नई दिल्ली से लौटने के पश्चात समापन सत्र में संबोधन दिया। भारत सरकार के केपेसिटी बिल्डिंग कमीशन के सदस्य और राज्य के अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान और राज्य नीति आयोग के वरिष्ठ पदाधिकारी बैठक में उपस्थित थे।

क्षमता विकास आयोग सरकार को देता है अनुशंसाएँ : डॉ. बालू
भारत सरकार के केपेसिटी बिल्डिंग कमीशन के सदस्य डॉ. आर. बालासुब्रमण्यम (डॉ. बालू) ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कमीशन का गठन कर अनेक महत्वपूर्ण गतिविधियों को प्रारंभ करवाया है। इसमें मिशन कर्मयोगी योजना को मंजूरी, केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों के कार्यात्मक पर्यवेक्षण, मानव संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में आवश्यक नीतिगत हस्तक्षेप और सरकार को क्षमता निर्माण के संबंध में अनुशंसाएँ करना शामिल है। सभी सिविल सेवाओं में सामान्य मध्य कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए मानदण्ड निर्धारित करना और एचआर ऑडिट जैसे कार्य भी हो रहे हैं।

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