भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि संत रविदास का दर्शन और समाज-सुधार के लिए उनके द्वारा दिए गए संदेशों का समाज पर बहुत प्रभाव पड़ा, यह संदेश आज भी प्रासंगिक हैं। सागर में बनने वाले संत रविदास मंदिर एवं कला संग्रहालय में संत रविदास की शिक्षा और संदेशों का प्रस्तुतिकरण प्रभावशाली तरीके से किया जाए। मंदिर निर्माण के लिए प्रदेश के हर गाँव से ईंट और मिट्टी लाई जाएगी। ओरछा में रामराजा सरकार मंदिर के विकास में श्रीराम के बाल स्वरूप और बाल लीलाओं को प्रदर्शित किया जाए।मुख्यमंत्री श्री चौहान प्रदेश में धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों के विकास संबंधी मुख्यमंत्री निवास स्थित भवन समत्व में हुई बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में छिंदवाड़ा में विकसित हो रहे जामसावली हनुमान लोक, त्यौंथर रीवा स्थित कोलगढ़ी तथा सलकनपुर देवी मंदिर विकास के लिए जारी गतिविधियों पर भी चर्चा हुई। संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, मुख्य सचिव श्री इकबालसिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव श्री जे.एन कंसोटिया, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन श्री शिव शेखर शुक्ला उपस्थित थे। सागर, रीवा, छिंदवाड़ा और निवाड़ी के कलेक्टर तथा विभिन्न परियोजनाओं के वास्तुविद वर्चुअली शामिल हुए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि संत रविदास मंदिर और कला संग्रहालय के लिए न्यास का गठन कर सृजनात्मक और गुणवत्ता के साथ समय-सीमा निर्धारित कर कार्य पूर्ण किया जाए। ओरछा में रामराजा सरकार मंदिर की विकास परियोजना में स्थानीय समुदाय की सहभागिता सुनिश्चित की जाए। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि आस-पास की दुकानों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों का कार्य प्रभावित न हो। जामसावली हनुमान लोक का निर्माण स्थानीय मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाए। कोलगढ़ी में कोल गौरव का प्रभावी प्रदर्शन हो तथा यहाँ कोल राजाओं की मूर्ति के साथ भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा भी स्थापित की जाए।
जानकारी दी गई कि संत रविदास मंदिर का आकल्पन अगम शास्त्र के अनुसार किया जा रहा है। इसमें कला संग्रहालय, संत निवास और पुस्तकालय का निर्माण भी किया जाएगा। जामसावली के हनुमान लोक में मंदिर कॉम्प्लेक्स के साथ संजीवनी वन, हनुमान जी के विभिन्न स्वरूपों का प्रदर्शित करते अमर पथ के निर्माण की योजना है। रामराज सरकार मंदिर में भव्य प्रवेश परिसर, मंदिर परिसर तथा धर्मशाला विकसित की जा रही है। चतुर्भुज मंदिर को भी परिसर से जोड़ा जाएगा। रीवा स्थित कोलगढ़ी के आस-पास उद्यान आदि भी विकसित किए जाएंगे। सलकनपुर देवी मंदिर में अद्यतन तकनीक के साथ नया रोप-वे विकसित करने की योजना है।