वेंगसरकर की खरी खरी….बोलना था तो चेतन बोलता……गांगुली को बोलने का कोई हक ही नहीं है…….

वेंगसरकर-गांगुली

नई दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम। कप्तानी को लेकर चल रहे दादा और विराट के द्वंद   में आग में घी डालते   हुए  पूर्व    क्रिकेटर दिलीप वेंगसरकर ने दादा यानी सौरव गांगुली को खूब खरी खरी सुनाई है।  उनक कहना  है कि  कप्तानी के मामले में बोलने  का अधिकार सिर्फ चयन समिति के चेतन  शर्मा  का  था फिर सौरव को  बीच में कूूंदने  की क्या जरूरत  थी। भारत की ओर से 16 टेस्ट शतक जड़ने वाले दिलीप वेंगसरकर  ने कहा, ‘‘चयन समिति की ओर से सौरव गांगुली के बोलने का कोई मतलब नहीं था. वह बीसीसीआई अध्यक्ष हैं. चयन या कप्तानी के मामले पर चयन समिति के प्रमुख चेतन शर्मा को बोलना चाहिए था.’’ गांगुली ने कहा था कि टी20 टीम की कप्तानी छोड़ने के विराट के फैसले के बाद रोहित शर्मा  को वनडे टीम का भी कप्तान बनाने का फैसला लिया गया क्योंकि सीमित ओवरों के दो प्रारूपों में दो अलग अलग कप्तान रखने की तुक नहीं है. वेंगसरकर ने कहा, ‘‘कप्तान को चुनना या हटाना चयन समिति का फैसला है. गांगुली के कार्यक्षेत्र में यह नहीं आता.” मुंबई क्रिकेट संघ जनवरी से शुरू होने वाले आगामी सत्र के लिए वेंगसरकर को अपनी रणजी टीम का मेंटॉर नियुक्त करना चाहता है. सीमित ओवरों के दोनों घरेलू टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी में कोच अमोल मजूमदार के मार्गदर्शन में टीम के खराब प्रदर्शन के बाद एमसीए यह कदम उठाने की तैयारी में है. कई बार का रणजी ट्रॉफी चैंपियन मुंबई इन दोनों सीमित ओवरों के घरेलू टूर्नामेंट के लीग चरण से ही बाहर हो गया था. भारत की ओर से 116 टेस्ट खेलने एमसीए के पूर्व पदाधिकारी 65 साल के वेंगसरकर को मार्गदर्शक बनाने का विचार क्रिकेट संघ के कोषाध्यक्ष जगदीश आचरेकर ने रखा है. वेंगसरकर को प्रतिभा पहचानने में महारत हासिल है और वह राष्ट्रीय चयन समिति के भी पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं. अभी मुंबई टीम के कोच घरेलू स्तर के दिग्गज खिलाड़ी रहे मजूमदार है. रणजी ट्रॉफी में टीम को एलीट ग्रुप सी में कर्नाटक, दिल्ली, हैदराबाद, उत्तराखंड और महाराष्ट्र के साथ रखा गया है और टीम लीग चरण के अपने मैच कोलकाता में खेलेगी।

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