धैर्य की परिभाषा श्रीजेश से सीखें: हरेंद्र सिंह

हरेंद्र सिंह

नई दिल्ली। श्रीजेश को धैर्य का पर्याय बताते हुए भारतीय हॉकी जगत के दिग्गजों ने कहा कि वह आधुनिक हॉकी के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर ही नहीं बल्कि युवाओं के लिये मैदान से भीतर और बाहर प्रेरणास्रोत भी रहे हैं। श्रीजेश ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के साथ ही हॉकी को अलविदा कह दिया और अब जूनियर टीम के कोच के रूप में नयी पारी का आगाज करेंगे।

भारतीय पुरूष हॉकी टीम के पूर्व कोच हरेंद्र सिंह ने कहा, ‘जुलाई 2003 में त्रिवेंद्रम में पहली बार जब मैने श्रीजेश को खेलते देखा तभी मैं इसकी प्रतिभा भांप गया था। वहां से शुरू हुआ इसका सफर आसान नहीं रहा। कोई और होता तो इतना संघर्ष देखकर काफी पहले छोड़कर चला गया होता।’ भारतीय महिला टीम के कोच ने कहा, ‘किसी को धैर्य की परिभाषा सीखनी हो तो श्रीजेश से सीखे । उन्होंने आने वाले गोलकीपरों के लिये काफी ऊंचे मानक स्थापित किये हैं।’ वहीं हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और भारत के दिग्गज डिफेंडर रहे दिलीप टिर्की ने कहा ,‘‘ जब हम खेलते थे तब श्रीजेश को वार्मअप के लिये बुलाते थे। वहां से लेकर भारतीय टीम को कांस्य पदक जिताने तक श्रीजेश ने लंबा सफर तय किया है।’

दिलीप टिर्की ने कहा, ‘यही वजह है कि हमने उसके कैरियर को सराहने के लिये विदाई समारोह का आयेाजन किया जो भारतीय हॉकी में नई शुरूआत है और श्रीजेश इसके हकदार भी हैं।’ कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने कहा कि उनके जैसे युवा खिलाड़ियों को श्रीजेश ने मेहनत, मानसिक दृढता और लक्ष्य के लिये डटे रहना सिखाया। उन्होंने कहा, ‘मैंने 2015 में पदार्पण किया और पहली बार उनके साथ खेला । इतने साल के सफर में इन्होंने कई कुर्बानियां दी और हमें बहुत कुछ सिखाया ।मैने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक के मुकाबले से पहले इनके कहा कि भाई ये आखिरी मैच है और उनका जवाब था कि खेलूंगा भी ऐसे ही।’

चार ओलंपिक खेल चुके मनप्रीत सिंह ने कहा, ‘मेरे पूरे कैरियर में श्रीजेश मेरे लिये भाई जैसे थे जिन्होंने हर कदम पर मार्गदर्शन किया । पीछे से वह लगातार हमें डांटते भी थे और शाबासी भी देते थे जो हमें अच्छा लगता था । हमें उनकी कमी बहुत खलेगी।’ इस मौके पर पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली निशानेबाज मनु भाकर, पूर्व ओलंपियन हरबिंदर सिंह, अजितपाल सिंह, मीर रंजन नेगी, सरदार सिंह भी मौजूद थे।

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