दादा का दावा… हरभजन हार मानने वालों में से नहीं है…..फिर खड़ा होगा….

हरभजन-गांगुली

नई दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम। भारतीय  क्रिकेट  के  टर्मिनेटर  कहे जाने  वाले  हरभजन  सिंह  के  संन्यास  से यूं  तो  उनके तमाम फैंस बेहद दुखी है लेकिन इस लिस्ट में एक खास नाम है  भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली  का…. हरभजन के  सन्यास  प र एक इमोशनल  पोस्ट   में  दादा  ने  लिखा  है  हरभजन  हार मानने वालों में से  नहीं  है  वह  फिर खड़ा होगा। भारत के दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह के इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने भविष्य के लिए उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी है। हरभजन सिंह ने शुक्रवार को ट्वीट कर इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने की जानकारी दी। वह भारत की तरफ से टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में चौथे नंबर पर हैं। उन्होंने भारत के लिए अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच 5 साल पहले साल 2016 में यूएई के खिलाफ एशिया कप टी-20 में खेला था। भज्जी के रिटायरमेंट के बाद पूर्व कप्तान गांगुली ने इमोशनल पोस्ट लिखा है। दादा ने साथ ही यह भी बताया कि भज्जी की किस चीज ने उन्हें सबसे ज्यादा प्रेरित किया। बीसीसीआई की ओर से जारी एक बयान में गांगुली ने कहा, मैं हरभजन सिंह को शानदार करियर के लिये बधाई देता हूं। उन्होंने अपनी जिंदगी में कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन भज्जी हार मानने वालों में नहीं है। उन्होंने कई बाधाओं को पार करके और कई झटकों को पीछे छोड़कर हर बार उठ खड़े हुए। उनकी ताकत उनकी हिम्मत थी। वह हमेशा ही जुनूनी रहते थे और उनके अपार आत्मविश्वास का मतलब था कि वह कभी भी चुनौती से कतराते नहीं थे। मुझे उनके बारे में सबसे ज्यादा जिस चीज ने प्रेरित किया, वो उनकी प्रदर्शन करने की भूख थी। हरभजन ने गांगुली की कप्तानी में सबसे ज्यादा 37 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 177 विकेट चटकाए। भज्जी ने 2001 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में 32 विकेट झटके थे। वह उसी दौरे पर टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बने थे। भज्जी ने लगातार तीन गेंदों पर रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट और शेन वॉर्न का विकेट लेकर अपनी हैट्रिक पूरी की थी। गांगुली ने 2001 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हरभजन के प्रदर्शन को याद करते हुए कहा, मैंने जो देखा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 में उनकी पहली टेस्ट सीरीज बेहतरीन थी, जिसमें एक ही गेंदबाज ने अकेले दम पर सीरीज जीत ली। वह कप्तान के पसंदीदा थे। बतौर गेंदबाज वह डीप में फील्डर्स को रखना पसंद नहीं करते थे। भज्जी पूर्ण मैच विजेता रहे हैं। उसने जो हासिल किया है, उसे उस पर गर्व होना चाहिए।

Related Articles