वाह दादी….कमाल कर दिया…..94 साल की उम्र में विश्व एथलेटिक्स में जीत लिया स्वर्ण….

भगवानी देवी

नयी दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम।  नजफगढ़ का नाम तो सुना ही होगा…… अरे वही अपने वीरेंद्र सहवाग वाला……. सहवाग के बाद अब वहां की एक दादी ने कमाल दिखाया है……. 94 साल की उम्र में इस दादी ने भारत को विश्व एथलेटिक्स स्पर्धा में स्वर्ण पदक से नवाजकर तहलका मचा दिया है… आखिर कौन है यह दादी…… और कैसे किया यह करिश्मा….. आईए आपको सब कुछ बताते हैं इस खबर में…… फिनलैंड में आयोजित वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चौंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर नजफगढ़ की 94 साल की भगवानी देवी मंगलवार को वापस लौट आई हैं। 100 मीटर दौड़ में उन्होंने गोल्ड मेडल और डिस्कस थ्रो में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया। एयरपोर्ट पर वापसी के बाद उनकी झूमती हुई तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है। 100 मीटर दौड़ उन्होंने महज 24.74 सेकंड में पूरी की जो राष्ट्रीय रेकॉर्ड है। इस विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने कुल एक गोल्ड और दो ब्रॉन्ज हासिल किए हैं। खेलों में उनका हर कदम पर साथ देने वाले उनके पोते विकास डागर ने बताया कि उनके यहां तक पहुंचने का सफर काफी मुश्किल भरा था। विकास खुद भी एक अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट हैं। भगवानी देवी बचपन में कबड्डी खेलती थीं। उन्होंने बताया कि घर-परिवार की जिम्मेदारी में खेल उनके लिए काफी दूर हो गए। अलबत्ता, अपने परिवार के हर सदस्य को वह खेलों से जोड़ने का काम करती रहीं। उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले विकास ने मेरे हाथ में लोहे की गेंद रख दी और कहा कि देखो दादी कितनी भारी है। इसके बाद मन में ख्याल आया कि क्यों न मैं भी इसकी प्रैक्टिस करूं। इसके बाद अगले ही दिन उन्होंने सुबह 5 बजे अपने पोते से वह गेंद मांगी और पहुंच गईं प्रैक्टिस करने। विकास ने इसमें उनका पूरा साथ दिया। जब प्रैक्टिस ठीक से होने लगी तो प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए खुद को तैयार किया। इसी दौरान दिल्ली में आयोजित स्टेट मास्टर्स चौंपियनशिप में हिस्सा लेने का मौका मिला। इसमें तीन गोल्ड जीते। भगवानी देवी हफ्ते में तीन दिन एक-एक घंटे के लिए ककरौला स्थित स्टेडियम में अपने पोते विकास के साथ प्रैक्टिस करती हैं। विकास डागर के अनुसार, दादी के खाने-पीने का पूरा ध्यान रखा जाता है। परिवार में बेटा हवा सिंह डागर, बहू सुनीता, पोता विकास डागर, विनीत डागर, नीतू डागर के अलावा परपोता निकुंज डागर, अर्नित डागर और विश्वेन्द्र हैं। साथ में 2 पुत्रवधुएं सरिता डागर और ज्योति डागर भी हैं। भगवानी देवी के जीवन की शुरुआत संघर्षों से भरी रही। वे जब 29 साल की थीं तो पति विजय डागर की मौत हो गई। इसके बाद उनकी 11 साल की बेटी भी दुनिया छोड़ गई, जिससे उन्हें जीवन में निराशा ने घेर लिया था। लेकिन उस समय उन्होंने अपने बेटे हवा सिंह डागर पर ध्यान दिया। इन सब जिम्मेदारियों में उनकी जिंदगी से खेल गायब हो गए थे। लेकिन जब उन्होंने पोते विकास को खेलते देखा तो उनका यह सपना फिर जीवित हुआ।

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