नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय पहलवान और भाजपा नेता बबीता फोगाट ने अपनी चचेरी बहन विनेश फोगाट पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि उनके पिता महावीर फोगाट ने विनेश को बतौर कोच ट्रेनिंग दी, लेकिन उन्होंने कभी अपने चाचा का धन्यवाद नहीं दिया। बता दें कि, पेरिस ओलंपिक में महिलाओं की 50 किग्रा कुश्ती स्पर्धा के फाइनल से बढ़े वजन के कारण बाहर होना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया और कांग्रेस में शामिल हो गईं।
2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली बबीता ने सुशांत सिन्हा के पॉडकास्ट पर बात करते हुए विनेश द्वारा महावीर फोगाट की सराहना न करने पर अपनी निराशा व्यक्त की। विनेश के पिता के निधन के बाद महावीर ने उनके कोच की भूमिका निभाई थी। बबीता ने कहा- आपने देखा होगा कि जब मनु भाकर ओलंपिक पदक लेकर घर लौटीं तो उनके कोच उनके साथ थे। इसी तरह अमन सेहरावत पदक लेकर लौटे और उनके साथ उनके कोच भी थे। लेकिन जब विनेश लौटीं तो दीपेंद्र हुड्डा उनके साथ थे। लोगों के लिए बेहतर होगा कि उन्हें (दीपेंद्र को) द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया जाए। मेरा मानना है कि अगर मेरे पिता एयरपोर्ट पर उनके साथ खड़े होते तो इस स्थिति को लेकर इतनी राजनीति नहीं होती। इस दौरान बबीता ने बताया कि जब विनेश को फाइनल से पहले अयोग्य करार दिया गया था, तब उनके पिता महावीर भावुक हो गए थे। उन्होंने कहा- मैंने अपने पिता को सिर्फ तीन बार रोते देखा है। पहली बार तब जब मेरी और मेरी बहनों की शादी हुई थी। दूसरी बार जब मेरे चाचा का निधन हुआ था और तीसरी बार वह विनेश के ओलंपिक फाइनल से बाहर होने पर रोए थे।
बबीता ने कहा- इन बातों को समझने की जरूरत है। मैंने देखा है कि कैसे मेरे पिता ने कभी विनेश को उसके पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। जब मेरे चाचा का निधन हुआ, तो विनेश ने अपने भाई और बहन के साथ कुश्ती छोड़ दी। मेरे पिता उनके घर गए, उनकी मां से बात की और उन्हें खेल में वापस ले आए। यहां तक कि जब वे सुबह 4 बजे प्रशिक्षण मैदान पर नहीं पहुंचते थे तो वह उनके घर जाते और उन्हें ले आते। जब कोई प्रशिक्षण में इतनी मेहनत करता है और उसे कभी धन्यवाद नहीं मिलता है, तो यह किसी भी कोच के लिए भावनात्मक रूप से समझ में आने वाली बात है।