बड़े संभागों की जिम्मेदारी संभालेंगे युवा आईएएस

युवा आईएएस
  • मैदानी अधिकारियों की नए सिरे से पदस्थापना की तैयारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। आगामी वर्षों में होने वाले विकास कार्यो को गति देने और कानून व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए सरकार मैदानी अधिकारियों की पदस्थापना करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत आईएएस अधिकारियों के साथ ही आईपीएस अधिकारियों की सूची बनाई जा रही है। फिलहाल सरकार की प्राथमिकता संभागायुक्तों की पदस्थापना है। इसकी वजह यह है कि अगले तीन महीने के भीतर 3 संभागायुक्त सेवानिवृत्त होंगे। ऐसे में सरकार ने निर्णय लिया है कि इस बार प्रदेश के बड़े संभागों की जिम्मेदारी सीधी भर्ती के आईएएस को दी जाए। गौरतलब है कि सरकार छोटी-छोटी सूचियों के माध्यम से आईएएस अफसरों की पदस्थापना लगातार कर रही है। प्रदेश सरकार जल्द ही मैदानी अधिकारियों की पदस्थापना करने जा रही है। जिसमें कुछ संभागायुक्तों को भी बदला जाएगा। अगले तीन महीने के भीतर 3 संभागायुक्त सेवानिवृत्त होंगे, जिनमें जबलपुर संभागायुक्त अभय वर्मा इसी महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में सरकार इसी महीने के आखिरी में नया संभागायुक्त पदस्थ कर सकती है। अन्य संभागायुक्त भी बदलेंगे।
अभी 6 संभागों की जिम्मेदारी प्रमोटी अफसरों के पास
जानकारी के अनुसार सरकार ने संभागायुक्तों की पदस्थापना का जो नया फॉर्मूला तैयार किया है उसके अनुसार इस बार सरकार भोपाल, इंदौर के अलावा अन्य संभागों में सीधी भर्ती के आईएएस अधिकारियों को आयुक्त पदस्थ कर सकती है। प्रदेश में 10 संभागों में से 9 संभागों में आयुक्त पदस्थ हैं। जिनमें से ग्वालियर संभागायुक्त मनोज खत्री के पास चंबल संभागायुक्त का भी अतिरिक्त प्रभार है। 9 संभागायुक्तों में से 3 अधिकारी सीधी भर्ती के आईएएस हैं, जबकि 6 अधिकारी प्रमोटी आईएएस हैं। जिसकी वजह सीधी भर्ती के आईएएस अधिकारी भोपाल, इंदौर के अलावा अन्य संभागों के आयुक्त बनना ही नहीं चाहते हैं। यही वजह है कि सीधी भर्ती के सचिव स्तर के अधिकारी या तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पद पदस्थ हैं या फिर विभागाध्क्ष की कमान संभाले हुए हैं। जबकि सचिव स्तर के प्रमोटी आईएएस संभागायुक्त या उपायुक्त पदस्थ हैं। इंदौर में सीधी भर्ती के आईएएस अधिकारी संभागायुक्त रहते आए हैं, लेकिन मोहन सरकार ने इस परिपाटी को बदला। अभी 2007 बैच के प्रमोटी आईएएस दीपक सिंह इंदौर संभागायुक्त हैं। वहीं भोपाल, नर्मदापुरम और शहडोल में सीधी भर्ती के आईएएस संभागायुक्त हैं। शेष अन्य संभाग उज्जैन में संजय गुप्ता, ग्वालियर में मनोज खत्री, रीवा में बाबूसिंह जामौद, सागर में वीरेन्द्र रावत और जबलपुर में अभय वर्मा आयुक्त हैं। इनमें से सागर संभागायुक्त वीरेन्द्र रावत इसी साल जून और उज्जैन संभागायुक्त संजय गुप्ता जुलाई में सेवानिवृत्त होंगे। निकट भविष्य में होने वाले प्रशासनिक फेरबदल में 2009 बैच के आईएएस संभागायुक्त बनेंगे। जिनमें सीधी भर्ती के अजय गुप्ता, प्रियंका दास, अविनाश लवानिया, सूफिया फारुखी, अभिषेक सिंह, टी. इलैया राजा, प्रीति मैथिल, अमित तोमर, श्रीकांत बनोठ के नाम हैं। जबकि इसी बैच के प्रमोटी आईएएस अनुभा श्रीवास्तव, वंदना वैद्य, सतेन्द्र सिंह और मनीष सिंह भी संभागायुक्त हो सकते हैं।
36 जिलों में सीधी भर्ती वालों को कमान
मप्र में 2010 से 2015 बैच तक के 31 आईएएस अधिकारी ऐसे हैं जो कलेक्टर नहीं बन पाए। ये सभी राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर आईएएस बने हैं। हाल ही में 2011 बैच की नेहा मारव्या सिंह भी डिंडोरी कलेक्टर बन गईं। सीधी भर्ती में नेहा ही ऐसी अधिकारी बची थीं, जिन्हें कलेक्टरी नहीं मिली थी। तब यह बात मुखर हुई कि प्रमोटी आईएएस अफसरों को पूरे अवसर क्यों नहीं दिए जा रहे। हालांकि अब उच्च स्तर से ऐसे अफसरों की सूची मांगी है। मई के बाद संभावित मैदानी फेरबदल में इनको अवसर दिया जा सकता है। इस समय 55 जिलों में से 36 में सीधी भर्ती (आरआर) के आईएएस कलेक्टर हैं। 19 में प्रमोटी आईएएस हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता कहते हैं कि सिविल सर्विस में आने वाला व्यक्ति यह उम्मीद करता है कि कम से कम एक बार तो कलेक्टर बने। उत्तर प्रदेश में तो नॉन आईएएस अफसर भी डीएम बनते हैं, जिनकी उम्र 56 साल से अधिक हो चुकी है। ये जरूर है कि किसी जिले में नॉन आईएएस को डीएम बनाया जाता है, तो वहां किसी सीधी भर्ती वाले आईएएस अफसर की पोस्टिंग नहीं की जाती। मप्र में भी ऐसा हो सकता है। कई बार अलग-अलग फोरम पर एसोसिएशन यह बात रखता रहा है। वर्तमान में 2010 बैच से लेकर 2016 बैच तक के ही अधिकारी कलेक्टर बने हुए हैं। 2010 बैच 10 महीने बाद सचिव पद पर प्रमोट हो जाएगा। इस बैच में चार प्रमोटी आईएएस हैं जो कलेक्टर नहीं बने। इनमें दिनेश श्रीवास्तव, अशोक चौहान, सपना निगम और चंद्रशेखर वालिंबे हैं। अभी विचार नहीं हुआ तो ये विभागों में ही काम करते दिखाई देंगे। 2011 बैच के आईएएस हरिसिंह मीणा बिना कलेक्टर बने ही जनवरी में रिटायर हो गए। 2010 से 2015 तक के बैच में ज्यादा अधिकारी रहे। इसलिए आरआर वाले प्रमोटी आईएएस अफसरों की तुलना में आगे निकल गए। हाल ही में जब कई जिलों के कलेक्टरों को बदलने की बात चली थी, तब 2013 से लेकर 2015 बैच के प्रमोटी आईएएस अफसरों के नाम पर विचार करने की बात कही गई, लेकिन मौका नहीं मिला । बैच के मुताबिक अधिकारियों की संख्या इस प्रकार है। एक ही पद पर सालों गुजरे 2014 बैच के आईएएस नियाज अहमद खान को पीडब्ल्यूडी में पांच साल होने जा रहे हैं।

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