युवा पीढ़ी हमारी समृद्ध भारतीय वैज्ञानिक परम्परा को पहचाने एवं उस पर गर्व करे : प्रो. त्रिपाठी

 प्रो. त्रिपाठी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एनआईटीटीटीआर भोपाल में देश के प्रमुख प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों एवं गणितज्ञों का संक्षिप्त जीवन परिचय को तस्वीरों के साथ संकलन किया जायेगा। निदेशक प्रो. सी. सी. त्रिपाठी ने बताया की पाश्चात्य वैज्ञानिकों के बारे मे विश्व के अधिकांश लोगों को काफी जानकारी है। स्कूल कॉलेजेस में भी इस विषय पर काफी कुछ पढ़ाया जाता है। पर बड़े खेद की बात है कि प्राचीन भारत के महान वैज्ञानिकों के बारे मे आज भी संसार बहुत कम जानता है। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि धर्म, दर्शन, विज्ञान, वास्तु, ज्योतिष, खगोल, स्थापत्य कला, नृत्य कला, संगीत कला, आदि सभी तरह के ज्ञान का जन्म भारत में हुआ है ऐसा कहने में कोई गुरेज नहीं, क्योंकि इसके हजारों प्रमाण हैं। भारत में प्राचीनकाल से ही ज्ञान को अत्यधिक महत्व दिया गया है।  कला, विज्ञान, गणित और ऐसे अनगिनित क्षेत्र हैं जिनमे भारतीय योगदान अनुपम है। आधुनिक युग के ऐसे बहुत से अविष्कार हैं, जो भारतीय शोधों के निष्कर्षों पर आधारित हैं। हमारे देश के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को यह जानकारी होनी चाहिए कि बौधायन पहले विद्वान थे जिन्होंने गणित में कई अवधारणाओं को स्पष्ट किया जो बाद में पश्चिमी दुनिया द्वारा पुन: खोजी गई। आर्यभट्ट ने 23 वर्ष की उम्र में आर्यभट्टियम लिखा जो उस समय के गणित का सारांश। कणाद छठी शताब्दी के वैज्ञानिक थे जिन्होंने एटम की खोज की।  भास्कराचार्य 12वीं शताब्दी के विख्यात वैज्ञानिक थे। जो सुश्रुत शल्यचिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी हुए। 

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