त्योहारों के बीच मिल सकती है कुर्सी की सौगात

कुर्सी की सौगात
  • नेताओं को निगम-मंडलों में नियुक्ति की फिर जगी आस

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। पिछले आधे साल से भाजपा के नेता निगम-मंडलों और प्राधिकरणों में राजनीतिक नियुक्ति की आस लगाए बैठे हैं। लगभग हर माह नियुक्ति की हवा चलती है, फिर थम जाती है। अब एक बार फिर संभावना जताई जा रही है कि त्योहारों के बीच यानी दशहरा-दीपावली के दौरान निगम-मंडलों में नियुक्ति होगी। इससे नेताओं की सक्रियता एक बार फिर बढ़ गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दिल्ली यात्रा ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि जल्द ही मप्र के निगम-मंडलों में नियुक्तियां की जाएंगी।
गौरतलब है कि प्रदेश के निगम मंडलों में अभी अध्यक्षों के पद खाली हैं। कैबिनेट मंत्री का दर्जा वाले इन अध्यक्ष पदों पर सरकार कब निर्णय लेगी, इस पर फिलहाल दावे के साथ तो कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन भाजपा सूत्रों का कहना है कि दशहरा-दीपावली के दौरान निगम-मंडलों में नियुक्ति होगी आपको बता दें कि दिसंबर 2023 में नई सरकार के गठन के बाद से विभिन्न निगम और मंडलों के अध्यक्षों को हटा दिया गया था। तभी से लगभग हर माह नेताओं को राजनीतिक नियुक्ति का अहसास होता है। लेकिन उनका इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। लेकिन बताया जा रहा है कि भाजपा के कई नेताओं की किस्मत दशहरे से दीपावली के बीच चमकने वाली है। जिसके चलते उन्हें निगम-मंडलों में जवाबदारी मिल सकती है। सूत्रों के अनुसार पार्टी की नजर महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी हैं। ऐसे में इन राज्यों में कई नेताओं को जिम्मेदारी भी दी जाएगी। इसलिए कुछ नेताओं को निगम-मंडल में नियुक्त करके उनके प्रभाव को बढ़ाने के लिए यह निर्णय लिया जा रहा है। इसके साथ ही आगामी दिनों में संगठन के चुनाव भी होने हैं, ऐसे में जिन लोगों ने संगठन में अपनी रुचि नहीं जताई है, उन्हें निगम-मंडल में नियुक्त किया जाएगा।
पहले चरण में दो दर्जन नियुक्ति की आस
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 3 अक्टूबर को अपने दिल्ली प्रवास के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच सत्ता और संगठन से जुड़े कई मसलों पर बातचीत होने की जानकारी पार्टी सूत्रों ने दी है। इसमें निगम मंडल और विकास प्राधिकरणों में नियुक्तियों का मुद्दा भी शामिल है। सरकार की पहली प्राथमिकता में राज्य महिला आयोग समेत अन्य महत्वपूर्ण आयोगों में खाली पड़े पदों पर नियक्तियां शामिल हैं। संगठन सूत्रों का कहना है कि नियुक्ति के पहले चरण में करीब दो दर्जन लोगों को नियुक्त किया जाएगा। इसमें कांग्रेस छोडक़र आए नेताओं के नाम भी शामिल हैं। इसके अलावा संघ से जुड़े कई नेताओं की भी ताजपोशी होगी। माना जा रहा है कि प्रदेश के बड़े निगम-मंडल जिनमें हाऊसिंग बोर्ड और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम जैसे निगम-मंडल आते हैं, इनमें संघ से जुड़े नेताओं को नियुक्त किया जाएगा। मप्र के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जिन नेताओं का टिकट काटा था या फिर जिन्हें प्रबल दावेदारी के बाद भी टिकट नहीं दिया गया था उनकी किस्मत का ताला भी खुलने वाला है। प्रदेश में ऐसे करीब एक दर्जन से अधिक नेता हैं, जिन्होंने विगत चुनावों में दावेदारी की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल सका था। इसी प्रकार सिंधिया समर्थक कई नेताओं को भी नियुक्त किया जाएगा। माना जा रहा है कि इन नियुक्तियों को एक साथ न करते हुए दो या तीन बार में किया जाएगा। पूर्व में प्रदेश के निगम मंडलों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर रहे संघ से जुड़े नेताओं को दूसरी बार अवसर नहीं मिल सकेगा। पार्टी इन नेताओं को फिर से संगठन की जिम्मेदारी सौंप सकती है।
पूर्व संगठन मंत्रियों को भी मिल सकता है मौका
शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान भाजपा ने दिसंबर 2021 में संगठनात्मक बदलाव करते हुए संभागीय संगठन मंत्रियों को निगम-मंडलों में पदस्थ कर मंत्री का दर्जा दिया था। पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद इन नेताओं को हटा दिया गया था। इन नेताओं को एक बार फिर निगम-मंडलों में नियुक्त किया जा सकता है। पार्टी सूत्रों की मानें तो शैलेंद्र बरुआ और जितेंद्र लिटोरिया को एक बार फिर राजनीतिक पद दिए जाने की संभावना है। भाजपा नेताओं में डॉ. हितेश बाजपेयी, नरेंद्र बिरथरे, गौरव रणदिवे, यशपाल सिंह सिसोदिया, विनोद गोटिया और लोकेंद्र पाराशर की प्रबल दावेदारी मानी जा रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि निगम-मंडलों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पदों पर लंबे समय से उपेक्षित नेताओं को एडजस्ट किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायकों को उप चुनाव हारने के बाद निगम-मंडलों की कमान सौंपकर मंत्री दर्जा बरकरार रखा था। विधानसभा चुनाव में इनमें से कई नेताओं के टिकट भी काट दिए गए थे। उन्हें फिर सरकार में राजनीतिक पद मिल सकता है। इन क्राइटेरिया के अलावा ऐसे नेताओं को भी निगम-मंडल या प्राधिकरण में उपकृत किया जा सकता है, जो सदस्यता अभियान में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। दरअसल, भाजपा ने 1 सितंबर से सदस्यता अभियान शुरू किया है।

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