- राज्य की नई शराब नीति में किया गया है प्रावधान..
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र मे रहने वाले अमीरों को अब प्रदेश की शिव सरकार ने होम बार की सुविधा देने का फैसला कर लिया है। यह सुविधा सरकार ने अपनी आय वृद्धि के बहाने से देना तय किया है। इसके तहत अब अमीर व्यक्ति अपने घर पर मौजूदा सीमा से चार गुना तक अधिक शराब को रख सकेगा।
सरकार के इस फैसले पर बीते रोज कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। इसके साथ ही सरकार ने प्रदेश की शराब नीति में भी कई तरह के नए प्रावधान किए हैं। इस बार सरकार द्वारा तैयार की गई शराब नीति में हेरिटेज शराब को भी शामिल किया गया है। यह शराब नीति प्रदेश में नए वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल से लागू हो जाएगी। नई आबकारी नीति में अंगूर के अलावा जामुन से भी शराब बनाने की अनुमति दी जाएगी। इसमें शराब को सस्ती करने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। नई नीति में किए गए प्रावधानों में होम बार लाइसेंस देना भी शामिल है। इसमें अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय एक करोड़ रुपए है, तो वह व्यक्ति 50 हजार रुपए फीस देकर घर पर बार खोल सकता है। इसके अलावा, घर पर शराब रखने की लिमिट भी सरकार ने बढ़ा दी है। जिसके बाद वर्तमान लिमिट की 4 गुना शराब घर पर रखी जा सकेगी। फिलहाल घर में एक पेटी बीयर व 6 बॉटल शराब रखने की अनुमति है। इसके अलावा अलीराजपुर और डिंडौरी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत महुए से बनने वाली शराब लाई जा रही है। महुआ की शराब हैरिटेज नीति से ग्रामीण इलाकों की शराब को बाहर बेचने के लिए बाजार मिलेगा।
नहीं खुलेंगी नई दुकानें: प्रदेश में शराब की नई दुकानें नहीं खोली जाएंगी। आबकारी विभाग ने उप-दुकानें खोलने का प्रस्ताव दिया था, जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खारिज कर दिया। यही नहीं अब प्रदेश में शराब को सस्ती करने के लिए सरकार ने विदेशी शराब पर एक्साइज डयूटी 10 से 13 प्रतिशत तक कम करने का निर्णय लिया है। इससे शराब की डिमांड बढ़ेगी और ज्यादा बिक्री होगी। प्रदेश में फिलहाल 2544 देशी, 1061 विदेशी शराब दुकानें हैं। नई आबकारी नीति में प्रावधान किया गया है कि अब देशी और अंग्रेजी शराब की बिक्री एक ही दुकान से होगी। विदेशी शराब की रिजर्व प्राइस 15 प्रतिशत और देशी की 25 प्रतिशत रखी जाएगी। नई नीति के तहत देशी शराब के अलग टेंडर खत्म होने से डिस्टलरी का एकाधिकार खत्म होगा। ऐसे में इनकी कीमतों में कमी आएगी। वहीं, शराब ठेकों के लिए छोटे-छोटे ग्रुप बनेंगे। इसके अलावा, शराब के ठेकों के लिए इस बार जिला स्तर पर एक ही सिंडिकेट को ठेका देने के बजाय 3-5 दुकानों के छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर टेंडर कराए जाएंगे। प्रदेश में 11 डिस्टलरी के जिलों में सप्लाई के लिए टेंडर जारी नहीं होंगे। ऐसे में सभी 11 डिस्टलरी को सभी संभागों में विदेशी शराब की तरह ही गोदामों में शराब रखना होगी। वहां से ठेकेदार शराब की क्वालिटी और कीमत का अध्ययन कर शराब अपनी दुकानों के लिए खरीद सकेंगे।
भोपाल व इंदौर में माइक्रो बेवरेज खुलेंगी
भोपाल और इंदौर के लिए माइक्रो बेवरेज बनाई जाएंगी। माइक्रो बेवरेज छोटी यूनिट होती हैं, जिनमें रोज 500 से 1000 लीटर शराब बनाने की क्षमता होती है। माइक्रो बेवरेज प्लांट होटलों में लगाए जा सकते हैं। इनमें फ्रेश बीयर (कम अल्कोहल वाली शराब) मिल सकेगी। एयरपोर्ट पर अंग्रेजी शराब की दुकानें होंगी। मॉल्स में काउंटर पर शराब भी मिल सकेगी।
पड़ौसी राज्यों से मंहगी है शराब
प्रदेश में देशी शराब उप्र और राजस्थान से 53 प्रतिशत महंगी है। 180 मिलीलीटर की साधारण शराब मध्य प्रदेश में 75 रुपए की है, जबकि उप्र में यह 49 रुपए की है। इसी तरह से मसाला शराब भी 55 प्रतिशत महंगी है। रेगुलर श्रेणी की विदेशी शराब की एमआरपी मप्र में 700 रुपए है, तो अन्य राज्यों में यह 440 से लेकर 520 रुपए है। इसी तरह, डीलक्स श्रेणी की शराब की एमआरपी मप्र में 960 रुपए है, जबकि अन्य राज्यों में 590 से 640 रुपए तक है। प्रीमियम श्रेणी की शराब की एमआरपी मध्य प्रदेश में डेढ़ हजार रुपए है, तो अन्य राज्यों में 910 से एक हजार 400 रुपए तक है।