
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना संक्रमण के चलते अब आबकारी विभाग द्वारा नए शराब ठेकों की नीलामी की जगह पुरानों को ही आगे जारी रखने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके लिए पुराने ठेकेदारों को दस फीसदी अधिक राशि का प्रस्ताव देना होगा। सरकार नई नीति में इस प्रावधान के माध्यम से ठेकों की कवायद से बचने के साथ ही अपनी आय में वृद्धि करना चाहती है। यही नहीं इससे अधिकांश पुराने ठेकेदारों को भी फिर से मौका मिल सकेगा। इसके अलावा नई नीति में यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि जिन जिलों में पुराने ठेकेदार दस फीसदी अधिक राशि देने को तैयार नहीं होंगे, उन जिलों में ही नए सिरे से ठेके कराए जाएंगे।
यह ठेके भी अब पूरे जिले का एक ग्रुप बनाकर नीलामी करने की जगह छोटे -छोटे ग्रुप बनाकर की जाएगी। इस नई आबकारी नीति का आबकारी विभाग द्वारा खाका तैयार कर लिया गया है। माना जा रहा है कि इसे मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद अगले हफ्ते जारी कर दिया जाएगा। दरअसल, प्रदेश में इस साल पुराने शराब के ठेकों की अवधि 31 मई को समाप्त हो जाएगी। इस बार यह ठेके 31 मार्च की जगह दो माह की देरी से 31 मई के पहले कराए जा रहे हैं। बीते साल कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन की वजह से शराब के ठेके देर से हो सके थे, जिसकी वजह से शराब ठेकेदारों को दो माह का अतिरिक्त समय दिया गया है। इसके पहले विभाग द्वारा 5 फीसदी की वृद्धि का प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन कैबिनेट में कुछ मंत्रियों ने इस पर असहमति जताते हुए इसे नाकाफी बताया था। इसके बाद हुई बैठक में वर्तमान मूल्य से 10 फीसदी की वृद्धि करने का प्रस्ताव दिया गया था, जिस पर सहमति बन गई है।
पहले तैयार किया था होम डिलेवरी का प्रस्ताव : पूर्व में कुछ अफसरों द्वारा मप्र में भी छत्तीसगढ़ की तर्ज पर ठेकदारों द्वारा घर-घर शराब पहुंचाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था, लेकिन इसे आला अफसरों ने ही सरकार से पहले खारिज कर दिया। इसके पीछे अफसरों के इस तबके का तर्क है कि बंद के दौरान इस नई व्यवस्था से लोगों को आसानी शराब और सरकार को राजस्व भी मिल सकेगा। इसके अलावा कहा गया है कि इस व्यवस्था की वजह से प्रदेश में अवैध शराब बिक्री पर भी रोक लग सकेगी। उधर बीते साल कोरोना के चलते देरी शुरू हुए शराब ठेकों की वजह से सरकार द्वारा एक अप्रैल की जगह एक जून से नए ठेके कराने का तय किया गया था , लेकिन प्रदेश में बीते एक माह से चल रहे कोरोना कर्फ्यू की वजह से अभी शराब दुकानें पूरी तरह से बंद चल रही हैं। इसके चलते ठेकेदारों के एसोसिएशन ने हाल ही में सरकार को पत्र लिखकर एक माह और ठेकों के संचालन की एक और माह की मोहलत मांगी है।
होम डिलेवरी के लिए कुछ अफसरों ने प्रस्ताव तैयार कर आला अफसरों तक पहुंचाया है। उनका कहना है कि शराब की दुकानें बंद रहने की स्थिति में शराब की होम डिलीवरी शुरू होने से शराब के शौकीनों को आसानी से न केवल शराब मिल सकेगी बल्कि, सरकार को राजस्व भी मिल सकेगा। उनका मानना है कि शराब दुकानों के बंद होने की वजह से सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। यही नहीं इस वजह से शराब के शौकीन औने-पौने दाम पर अवैध रूप से शराब खरीद रहे हैं। वहीं कई जगहों पर नकली शराब का कारोबार भी फलने फूलने लगा है। नकली शराब से प्रदेश में कई जगहों पर पहले कई लोगों की जान जा चुकी हैं। इसकी वजह से सरकार को छत्तीसगढ़ की तरह ही होम डिलेवरी पर विचार करना चाहिए। इससे पीने वालों को आसानी से शराब भी मिल सकेगी और सरकार को राजस्व भी मिल सकेगा।
खपत में हो रही है वृद्धि
मप्र में शराब की खपत हर साल बढ़ती जा रही है। सरकारी आंकड़ों की माने तो वर्ष 2002-03 में 7.40 करोड़ लीटर शराब की खपत हुई थी, जो 2019-20 में बढ़कर 32.20 करोड़ लीटर तक पहुंच गई। अगर औसत देखा जाए तो प्रदेश में हर साल 21 प्रतिशत की दर शराब की खपत में वृद्धि हो रही है। इस वजह से सरकार की आय में भी वृद्धि हो रही है। वर्ष 2009-10 में सरकार को शराब से कमाई 2850 करोड़ रुपए थी, जो 2020-21 में बढ़कर 9500 करोड़ रुपए हो चुकी है। फिलहाल प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू की वजह से शराब की दुकानें बीते एक माह से बंद चल रही हैं। सरकार ने इस अवधि की लाइसेंस फीस माफ कर शराब ठेकेदारों को राहत पहले ही प्रदान कर दी है।
ठेकेदार चाहते हैं टेंडर से हो नीलामी
उधर शराब ठेकेदार प्रदेश में शराब के नए साल के लिए ठेकों की टेंडर के माध्यम से नीलामी चाहते हैं। इसके लिए उनके एसोसिएशन द्वारा सरकार को पत्र भी लिखा जा चुका है। ठेकेदारों का के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया गया। बाद में दस फीसदी बढ़ाने पर सहमति बनी। बताया जा रहा है कि कुछ बड़े जिलों के साथ ही कई छोटे जिलों में नवीनीकरण को लेकर ठेकेदार तैयार नही है। इस वजह से ऐसे जिलों में सरकार को टेंडर के माध्यम से शराब दुकानों की नीलामी करनी पड़ सकती है।
बढ़ जाएंगे शराब के दाम
अधिक राशि का भुगतान करना पड़ेगा तो शराब के दामों में भी वृद्धि होना तय है। मप्र में पहले से ही ठेकेदारों ने शराब के दामों में भारी वृद्धि कर रखी है। यही नहीं शराब सिंडिकेट के पास ठेके होने की वजह से उनके द्वारा होली , नए वर्ष जैसे दिनों के आसपास अघोषित रूप से शराब के दामों में अपने स्तर पर मनमानी वृद्धि करते रहे हैं। इस मामले में आबकारी विभाग के साथ ही प्रशासन पूरी तरह से मूक दर्शक बना रहा है , जिसकी वजह से शराब के शौकीनों की जेब कटती रही। खास बात यह है कि इससे सरकार को कोई फायदा नहीं हुआ, जबकि ठेकेदार चांदी काटते रहे।