भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। विदिशा जिले की कुरवाई सीट पर किस पार्टी के प्रत्याशी का कब्जा होगा, ये मुख्य रूप से एससी, एसटी और मुस्लिम मदताताओं पर निर्भर होता है। जिनकी तादाद क्षेत्र में बहुत है। 2003 से कुरवाई सीट पर लगातार भाजपा चुनाव जीत रही है। वर्तमान समय में भाजपा के हरि सिंह सप्रे विधायक हैं। सप्रे दूसरी बार के विधायक हैं। इससे पहले ये 2008 में विधायक बने थे। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के पास ऐसा कोई मजबूत दावेदार नहीं है ,जो चुनाव जीत सके। वर्तमान में विधायक ने क्षेत्र में सब स्टेशन बनवाकर वोल्टेज की समस्या हल कराई है। कुरवाई न्यायालय के लिए 5 किलोमीटर दूर जमीन आवंटित कराई गई है, जबकि नगर में जमीन उपलब्ध होना चाहिए। खेल मैदानों की एक बड़ी समस्या है। औद्योगिक विकास की दिशा में कुछ नहीं हो सका है। फिर भी यहां चेहरा ज्यादा मायने रखता है। कुरवाई विधानसभा सीट 1977 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। कुरवाई सीट 1957 में असितत्व में आई। यहां पर दलित और मुस्लिम वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता आया है।1957 में हुए चुनाव में कांग्रेस के तख्तमल ने जीत हासिल की थी। इस सीट पर 13 बार चुनाव हुआ है। जिसमें से 4 बार कांग्रेस को, 6 भाजपा को, जबकि 2 बार भारतीय जनसंघ को और 1 बार जनता पार्टी को जीत मिली है। पिछली 3 बार से इस सीट पर बीजेपी ही जीतती आई है। कांग्रेस को आखिरी बार 1998 में जीत मिली थी।
रोजगार के साधन नहीं
अगर विधानसभा क्षेत्र में विकास की बात करें, तो ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र में काफी काम हुआ है, लेकिन इंडस्ट्रियल क्षेत्र होने के बाद भी किसी प्रकार का उद्योग स्थापित नहीं हो सका है। ऐसे में कांग्रेस से दावेदारी जताने वाले जहां विकास के साथ ही रोजगार को मुद्दा बना रहे हैं ,तो भाजपा विधायक सहित कई दावेदार विधानसभा क्षेत्र में कामों की फेहरिस्त गिना रहे हैं। कुरवाई विस क्षेत्र के देहरी जागीर में चाय दुकान पर हसन खां, फहीम खां, शाहरुख कुरैशी बात करते मिले। अमीन कुरैशी कहते हैं योजनाओं का लाभ लोगों को मिला है। वाजिब कुछ योजनाओं से दूर हैं। रोजगार, बिजली, खेती, उद्योग भी मुद्दे हैं। साबिर खां का कहना है कि 100 बीघा जमीन वालों को आवास मिले हैं, टपरे वाले वहीं हैं। लोगों का कहना है कि यहां की खनिज संपदा का उपयोग बीना रिफाइनरी में किया गया, किंतु कुरवाई को कोई लाभ नहीं मिला। कुरवाई में रोजगार सबसे बड़ी समस्या है। औद्योगिक क्षेत्र की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई थी, लेकिन कोई उद्योग नहीं लगा। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सरकार ने जन्म से लेकर मृत्यु तक की योजना बनाई है। विधायक ने बढिय़ा काम किए हैं, भाजपा की रिकॉर्ड जीत होगी। लाड़ली बहना योजना महिलाओं के लिए वरदान साबित होगी। इससे सभी वर्गों की महिलाएं सिर्फ भाजपा के लिए वोट करेंगी।
2003 से लगातार जीत रही भाजपा
कुरवाई विधानसभा सीट करीब 4 दशक से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। और भाजपा की पुख्ता सीट मानी जाती है। वैसे दो दशकों यानि 2003 से भाजपा का कब्जा है, जिसे भेदने का कांग्रेस ने अथक प्रयास किया। बावजूद कांग्रेसियों की गुटबाजी और अंतरकलह के कारण बार-बार हार का सामना करना पड़ा। 2018 में विधानसभा चुनाव में बाहरी प्रत्याशी होने से कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी। विधायक हरि सिंह सप्रे ने रिकॉर्ड मतों से भाजपा को 16,695 वोटों से जीत दिलाकर कब्जा बरकरार रखा। आरक्षित सीट होने के बाद भी कुरवाई में जातिगत समीकरण किसी प्रकार का भी नहीं चलता है, बल्कि यहां प्रत्याशी का चेहरा मायने रखता है। प्रत्याशी के निजी संबंध और जनता के सुख-दुख में शामिल होने वाला ही जीतता है। विकास हुआ या नहीं, इस पर समर्थन या विरोध नहीं होता, बल्कि प्रत्याशी कितना सुलभ और सरल है, यह देखा जाता है। गांव-गांव घर-घर पहुंच रखने वाले की जीत आसानी से होती है।
विकास के अपने-अपने दावे
विधानसभा क्षेत्र में विकास की बात पर विधायक हरि सिंह सप्रे का कहना है कि जनसेवा अभियान एवं विकास यात्रा से गांव-गांव की समस्याओं का निराकरण हुआ। वोल्टेज समस्या को 7 सब स्टेशन बनवा कर दूर किया। 400 करोड़ से कोठा बैराज और हिनीता डेम बन रहा है। आईटीआई, सीएम राइज स्कूल बन रहे गांव-गांव डामरीकरण हुआ। 32 करोड़ से सडक़ें बन रही हैं। वहीं कांग्रेस की जिला पंचासत सदस्य रानी अहिरवार का कहना है कि कुरवाई क्षेत्र विकास से कोसों दूर है। भाजपा नेता मनमानी कर रहे है, भ्रष्टाचार, अवैध उत्खनन चरम पर है। जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश है। विकास भाजपा नेताओं का हुआ है। इस बार कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनेगी और कुरवाई में भी कांग्रेस की जीत होगी।
07/07/2023
0
110
Less than a minute
You can share this post!