यस एमएलए/अवैध खनन व नहरों की बदहाली बड़ा मुद्दा

अजय विश्नोई

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। जबलपुर जिले की पाटन विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री अजय विश्नोई विधायक हैं। पाटन विधानसभा सीट जबलपुर के उत्तर पश्चिम भूभाग में है। इस विधानसभा सीट में पाटन और मझोली दो तहसीलें हैं। जबलपुर का सबसे ज्यादा समृद्धि कृषि क्षेत्र इन्हीं दोनों तहसीलों में है। खास तौर पर पाटन की जमीन को तो मानो भगवान ने आशीर्वाद दिया हुआ है। यहां कुछ जगहों पर धान के लिए उपयुक्त काली मिट्टी के जलभराव वाले खेत हैं। वहीं बड़ा भूभाग हिरण नदी के किनारे बसा हुआ ह,ै जो हिरण नदी का कछार है और यह भी बहुत ज्यादा उपजाऊ है। इस इलाके में कांग्रेस हिरण नदी से रेत के अवैध उत्खनन को मुद्दा बनाती रही है। इसके अलावा किसानों से जुड़े हुए मुद्दों पर भी कांग्रेस ने भाजपा को कटघरे में खड़ा किया है। बरगी बांध की नहरों की बदहाल स्थिति भी यहां कांग्रेस के लिए मुद्दा रहा है। जबलपुर के अलावा इस विधानसभा सीट की सीमा दमोह और नरसिंहपुर जिले से भी जुड़ती है। इस इलाके में कोई रेल लाइन नहीं ह,ै लेकिन जबलपुर से दमोह जाने वाला राज्य मार्ग यहीं से गुजरता है और पूरे इलाके में सडक़ों का अच्छा जाल है। जबलपुर में इस विधानसभा को हम अन्न उगलने वाली धरती कहें तो गलत नहीं होगा क्योंकि, यहां खरीफ की फसल धान, रवि की फसल गेहूं, खरीफ की फसल मूंग और हरा मटर बड़े पैमाने पर उगाया जाता है, इसलिए इस पूरे इलाके में धनवान लोग रहते हैं। पाटन और मझोली दो कस्बे व्यापार का बड़ा केंद्र हैं , बड़ी जरूरतों के लिए लोग जबलपुर के बाजारों में आते हैं। इस विधानसभा में विष्णु वराह का 10 वीं शताब्दी का बेहद खूबसूरत मंदिर है। कटंगी की पहचान अपने रसगुल्ले की वजह से है और इस इलाके का हरा मटर भारत की कई बड़ी मंडियों में जबलपुर को इज्जत दिलाता है। पाटन विधानसभा की जनता बहुत समझदार है, इसलिए यहां जो झुककर प्यार से वोट मांगेगा उसे जनता आशीर्वाद देती है क्योंकि, इस इलाके में गरीबी मुद्दा बड़ा मुद्दा नहीं है लेकिन, लोग सम्मान बहुत चाहते हैं ,इसलिए यहां लोगों को डरा कर नहीं बल्कि प्यार से ही वोट पाए जा सकते हैं।
राजनैतिक समीकरण
1998 से लेकर अब तक के चुनाव पर यदि नजर डाली जाए तो 1993 में छात्र नेता रामनरेश त्रिपाठी को भारतीय जनता पार्टी से चुनकर विधानसभा भेजा था, लेकिन 1998 में किसान नेता सोबरन सिंह यहां से जनता दल से चुनाव जीत गए। सोबरन सिंह किसान नेता थे और राजपूत के इस इलाके में राजपूतों के प्रभाव वाले बहुत से गांव है। जमीन से जुड़े हुए नेता थे।  इसी वजह से उन्हें 2003 में भी जनता ने दूसरी बार चुनाव लेकिन इसके बाद परिसीमन हुआ और पाटन विधानसभा से जबलपुर को अलग कर दिया गया और मझोली को जोड़ दिया गया। इसकी वजह से समीकरण पूरी तरह से बदल गए और भारतीय जनता पार्टी के नेता अजय विश्नोई ने 2008 के चुनाव में जीत हासिल की। 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर नीलेश अवस्थी (कांग्रेस) ने 85538 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को 12736 मतों के अंतर से हराया। दूसरा स्थान (72802) वोटों के साथ अजय विश्नोई (बीजेपी) को मिला। 2018 में अजय विश्नोई उस समय शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और इस दौरान उन्होंने इस इलाके में विकास की बहुत काम करवाए। इसमें हजारों एकड़ के सिंचाई के रखने को बढ़ाया गया और नहरों का जाल मझौली और पाटन इलाके में बिछा दिया गया। 2018 के चुनाव में अजय विश्नोई ने एक बार फिर चुनाव मैदान में हुंकार भरी और इस बार भी सफल हुए और बीते 5 सालों से भी पाटन विधानसभा में अपनी जड़ें मजबूत कर रहे हैं। कांग्रेस की ओर से पहला दावा नीलेश अवस्थी का ही है और वह बीते 5 साल से इस इलाके में सक्रिय भी है। वही पाटन के रहने वाले किसान नेता विक्रम सिंह भी कांग्रेस की ओर से दावेदारी कर रहे हैं। इसके साथ ही दुर्गेश पटेल भी सक्रिय हैं।
जातीय समीकरण
इस विधानसभा में किसी भी जाति का बाहुल्य नहीं है। जातिगत नजरिए से देखें तो राजपूत ठाकुर, ब्राह्मण, बनिया, लोधी कुर्मी और जैन रहते हैं। कटंगी मझौली इलाके में कुछ मुस्लिम बस्तियां भी हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। कुल मिलाकर यहां की राजनीति में जाति बहुत बड़ा आधार नहीं है। पाटन विधानसभा क्षेत्र में 3 लाख 33 हजार 357 लोग निवास करते हैं मतदाताओं की संख्या 2 लाख 35 हजार है। जिनमें 85.94 प्रतिशत ग्रामीण , जबकि 14.06 प्रतिशत जनसंख्या शहर में रहती है। यहां की कुल आबादी में 15.77 आदिवासी हैं, जबकि 16.95 फीसदी आबादी दलितों की है। 2013 के विधानसभा चुनाव में 77.63 फीसदी मतदान हुआ था। मैदान में मुख्य रूप से दो ही पार्टियां हैं भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस। भारतीय जनता पार्टी की ओर से अजय विश्नोई सबसे बड़े दावेदार हैं, क्योंकि वह लंबे समय से इस इलाके में सक्रिय हैं और अब तक तीन बार यहां से चुनाव जीत भी चुके हैं लेकिन , लोग अब उन्हें उम्रदराज मानने लगे हैं और संभवत यह उनका अंतिम चुनाव होगा लेकिन उनकी सक्रियता में कहीं कोई कमी नहीं है।
विकास के अपने-अपने दावे
विधानसभा क्षेत्र में विकास की बात करें तो विधायक अजय विश्नोई का कहना है कि पाटन विधानसभा क्षेत्र में पांच साल में मैंने जो सोचा और जनता ने जो चाहा, उससे कहीं ज्यादा काम करने में सफल रहा। मैं कोई काम नहीं गिनाऊंगा, जनता जो काम गिनाए, वही मेरी सफलता है। मुझे विश्वास है कि जनता का प्यार और आशीर्वाद मेरे साथ जुड़ा है। वहीं कांग्रेस नेता नीलेश अवस्थी का कहना है कि 2013 से 2018 तक मैंने अपने विधायक कार्यकाल में हुए कामों का लेखा-जोखा जनता के बीच रखा था। 2018 के विधानसभा चुनाव में मेरी पराजय हुई, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। उस दौरान हम मटर प्रोसेसिंग यूनिट लगवाने का प्रयास कर रहे थे, तभी सरकार बदल गई। भाजपा सरकार ने इस बीच क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं किया। पाटन विधानसभा क्षेत्र की एक बड़ी विशेषता यहां के लोगों का बड़ा हृदय है। विकास के कई कामों के लिए दानदाताओं ने आगे बढक़र योगदान किया है। पाटन के मुख्य बाजार में तो व्यापारी सडक़ चौड़ी करवाने के लिए अपनी दुकान-मकान तक तोड़वाने तैयार हो गए। सीएम राइज स्कूल के लिए आठ एकड़ जमीन दान में मिल गई।

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