भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश सरकार की अब रायसेन जिले में गोबर और पराली से बायो सीएनजी बनाने की योजना है। इससे न केवल प्रदूषण को बचाया जा सकेगा बल्कि इससे बनने वाले खाद की वजह से जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। फिलहाल शुरूआती दौर में इसके लिए रायसेन जिले के दो बड़े गौ अभ्यारण्यों का चयन किया है। इनमें सलारिया और कामधेनू गौ अभ्यारण्य शामिल हैं। गुजरात की निजी कंपनी की मदद से सरकार द्वारा इस योजना को अमली जामा पहनाया जाएगा। इसके लिए सरकार स्तर पर तैयारी की जा रही है। दरअसल प्रदेश सरकार यह कदम गुजरात में बनाई जा रही इसी तर्ज पर बायो गैस की सफलता को देखते उठाने जा रही है। खास बात यह है कि इस प्लांट में बायो गैस तो बनेगी ही साथ ही सालिड और लिक्वड खाद भी बड़ी मात्रा में तैयार होगा। सूत्रों की माने तो इस योजना पर काम करने के लिए गुजरात की भारत बायोगैस एनर्जी नामक कंपनी ने अपनी सहमति भी प्रदान कर दी है। खास बात यह है कि इस कंपनी द्वारा शुरूआती पांच सालों तक इन प्लांटो का संचालन किया जाएगा। इसके लिए फिलहाल शुरुआती तौर पर मुख्यमंत्री द्वारा भी सहमति प्रदान कर दी गई है।
निजी संस्थानों की मदद से होगा गौ शालाओं का संचालन
सरकार ने तय किया है कि प्रदेश के इन दोनों सबसे बड़ी गौ शालाओं के संचालन में निजी संस्थाओं की मदद ली जाए। इसके लिए सरकार स्तर से गुजरात की अक्षय नामक संंस्था का चयन किया गया है। यह संस्था बड़ी मात्रा में गुजरात में गौशलाओं का संचालन करती है। दरअसल सरकार की मंशा सलारिया गौर अभ्यारण्य में उसकी क्षमता के हिसाब से दस हजार गौ वंश रखने की है। वर्तमान में यहां पर चार हजार गौ वंश ही हैं। यही नहीं सलारिया गौ- वंश की मौतों को लेकर भी बेहद बदनाम है।
कहां कितनी बनेगी गैस
सरकारी सूत्रों की माने तो सलारिया स्थित गौ अभ्यारण्य में लगने वाले प्लांट में हर रोज तीन हजार मीट्रिक टन बायो गैस, 25 मीट्रिक टन सॉलिड आर्गेनिक खाद और सात हजार लीटर लिक्विड खाद का भी निर्माण होगा। इसके लिए प्रतिदिन प्लांट के लिए 70 मीट्रिक टन गोबर, पराली , घास और अन्य तरह के कचरे की जरुरत रहेगी। इसी तरह से दूसरे अभ्यारण्य में हर दिन चार सौ किलोग्राम बायोगैस, 3 मीट्रिक टन सॉलिड और एक हजार लीटर लिक्विड आर्गेनिक खाद का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए प्लांट को हर दिन 10 मीट्रिक टन रॉ मटेरियल की जरुरत पड़ेगी। इस तैयार होने वाली गैस के साथ ही खाद को बाजार में आम लोगों को विक्रय किया जाएगा। इससे किसानों में पराली जलाने की प्रवृत्ति समाप्त होगी , जिससे बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण से मुक्ति मिल सकेगी।
05/05/2021
0
420
Less than a minute
You can share this post!