
- सरकारी तंत्र पर कसा तंज
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही पूर्व मंत्री यशोधराराजे सिंधिया अब सक्रिय राजनीति से दूरी बना चुकी हैं, लेकिन जब सामाजिक सरोकारों की बात आती हैं तो वे खुद को रोक नहीं पाती हैं। इसका उदाहरण हैं वे दो पोस्ट जो उनके द्वारा सोशल मीडिया पर की गई हैं। यह पोस्ट वायरल हो रही हैं जिसमें उनके द्वारा सरकारी तंत्र पर जमकर तंज कसा गया है। इसके बाद से संगठन से लेकर सरकार तक में सियासी पारा चढ़ता नजर आने लगा है। उनकी पोस्ट ने कमाल भी किया है। जिस पुल को लेकर तंज कसा गया है, आनन फानन में उसका लोकार्पण भी कर दिया गया है। यह बात अलग है कि जल्दबाजी में उसके लोकार्पण में तमाम नेता बर्चुअली जुड़े। दूसरी पोस्ट शिवपुरी गर्ल्स क्रिकेट अकादमी को लेकर की गई है। इन दोनों पोस्टों ने न केवल शासन प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है, बल्कि भाजपा के भीतर संवादहीनता असंतोष और गुड बॉय पॉलिटिक्स की अधूरी स्क्रिप्ट की परतें भी खोल दी हैं।
उनके द्वारा पहली पोस्ट में लिखा गया है कि पुल बन गया, फिर भी जनता के लिए नहीं खुला क्यों। इससे विवेकानंद नीडम पुल पर तीखा सवाल किया गया है। इसमें उनके द्वारा लिखा गया है कि वर्षों के इंतजार के बाद ग्वालियर का विवेकानंद नीडम का पुल बनकर तैयार है फिर भी जनता के लिए नहीं खुला क्यों.., क्या अब विकास कार्य किसी कार्यक्रम या फीता काटने के इंतजार में रुकेंगे? ग्वालियर के लोग जवाब के हकदार हैं। यह पोस्ट स्पष्ट रूप से प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल था, लेकिन इसके राजनीतिक संकेत कहीं गहरे माने जा रहे हैं। इसी तरह से उनके द्वारा शिवपुरी की क्रिकेट अकादमी पर की गई है, जिस पर मंत्री को जवाब तक देना पड़ा है। इस दूसरी पोस्ट में यशोधरा राजे सिंधिया ने शिवपुरी की क्रिकेट अकादमी को लेकर काफी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सरकारी मंशा को आईना दिखाते हुए लिखा बेटियों का भविष्य कोई खर्च नहीं एक निवेश है। यह उनका गर्ल्स क्रिकेट अकादमी के पक्ष में सशक्त हस्तक्षेप दर्शाता है।
राज्य सरकार की तीन अकादमियों को बंद करने की संभावित योजना की खबर पर यशोधरा राजे ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने शिवपुरी की गल्र्स क्रिकेट अकादमी की उपलब्धियों को साझा करते हुए लिखा वर्ष 2022 में शुरू शिवपुरी की राज्य स्तरीय गल्र्स क्रिकेट अकादमी कोई खर्च नहीं एक निवेश है बेटियों के भविष्य के लिए। उन्होंने इसे उस उड़ान की रनवे बताया जो बेटियों को राज्य से राष्ट्रीय मंच तक ले जाती है। उन्होंने खिलाडिय़ों की सूची और परफॉर्मेंस भी सार्वजनिक की जिनमें संस्कृति गुप्ता ,अनुष्का शर्मा, राहिला फिरदौस जैसी बेटियों ने राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। हालांकि प्रदेश के खेल मंत्री विश्वास सारंग ने स्पष्टीकरण दिया है कि खेल अकादमी का रिव्यू किया गया है उसे बंद करने की कोई मंशा नहीं है। रिव्यू एक सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि यह राजे की मीडिया पोस्ट के बाद आई प्रतिक्रिया है। यशोधरा राजे सिंधिया की यह पोस्ट न केवल सरकार की योजना पर सवाल थी, बल्कि एक स्पष्ट संकेत था कि यदि सरकार बिना आधार बेटियों की उड़ान रोकने की कोशिश करेगी तो वे चुप नहीं रहेंगी।
भाजपा के लिए सॉफ्ट वॉर्निंग
इन पोस्टों को केवल व्यक्तिगत असंतोष मानना बड़ी भूल होगी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह भाजपा सरकार को सॉफ्ट वॉर्निंग है, न केवल योजनाओं के निष्पादन पर बल्कि पार्टी के भीतर संवादहीनता वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा और नीति निर्माण से कटे रहने को लेकर भी। विशेषकर तब जब यशोधरा राजे ने 2023 में सक्रिय राजनीति से व्यक्तिगत वजहों से स्वयं किनारा करने की घोषणा के बाद उन्होंने न मोहन यादव के शपथ ग्रहण में सक्रिय दिखाई दीं और न ही हाल की संगठनात्मक बैठकों में सक्रिय दिखीं। उनकी यह सार्वजनिक प्रतिक्रिया दर्शाती है कि वे न केवल जमीनी सच्चाई से जुड़ी हैं, बल्कि पार्टी की कार्यशैली से भी असहज हैं। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सिंधिया परिवार की पकड़ और यशोधरा राजे की राजनीतिक विरासत को देखते हुए ये पोस्ट भाजपा के लिए चेतावनी का अलार्म हो सकती हैं।
शिवराज युग के नेताओं की बीच बढ़ती दूरी?
राजे की टिप्पणी न केवल क्रिकेट अकादमी और पुल तक सीमित है , बल्कि यह भाजपा के उस वर्ग की पीड़ा को भी आवाज दे रही हैं जो शिवराज सरकार के समय अपने को ऊर्जावान मानता था। एक वरिष्ठ नेता की ऐसी सार्वजनिक प्रतिक्रिया पर पार्टी का मौन रहना एक और संकेत है। यह अंदरखाने खींचतान की पुष्टि है या फिर भाजपा में वरिष्ठ नेतृत्व की राय की अनदेखी की नीति की गहराई बढऩे का संकेत। यशोधरा राजे का यह रुख बताता है कि राजनीति से दूरी का अर्थ चुप्पी नहीं होता। वे जब भी बोलेंगी सरकार और संगठन दोनों को आईना दिखाने से पीछे नहीं हटेंगी। अब यह भाजपा पर है कि वह इन पोस्ट को एक असंतुष्ट नेता की प्रतिक्रिया माने या एक अनुभवी नेतृत्व की चेतावनी जो यदि अनसुनी की गई तो उसका असर आने वाले राजनैतिक समीकरणों में भी देखने को मिल सकता है।