- दी चेतावनी, नहीं मानी बात तो दोहराया जाएगा बीते लोकसभा का इतिहास
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। तीन सूचियों के जारी होने के बाद भाजपा में असंतोष थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालत यह है कि कहीं दूसरे दावेदार तो कहीं -कहीं समाज तक विरोध में खड़ी हो रहीं हैं। ऐसी ही कुछ हालत गुना जिले की राघोगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी को लेकर बन गए हैं। इस सीट पर भाजपा ने हीरेंद्र सिंह को टिकट दिया है। उसके बाद से अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा पूरी तरह से विरोध में आ गई है। यादव महासभा ने बीजेपी जिला उपाध्यक्ष आरएन यादव को प्रत्याशी बनाने की मांग की है। इसको लेकर देश के गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा है। पत्र की कॉपी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, चुनाव संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर और मध्यप्रदेश के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा को भेजी गई है। महासभा के प्रदेश सचिव सुल्तान सिंह के मुताबिक यादव समाज की सभी ने अनदेखी की है। दावा किया कि पूरा समाज आरएन यादव के साथ खड़ा है। अनदेखी करना भाजपा को महंगा पड़ेगा। उनका कहना है कि गुना जिले में डेढ़ लाख यादव हैं और इसमें से आधे से अधिक राघोगढ़ क्षेत्र में रहते हैं। उनका कहना है कि समाज अपनी भूमिका तय करेगा। अगर आरएन यादव को प्रत्याशी नहीं बनाया गया तो समाज विरोध करने का काम करेगा। वोटिंग का भी बहिष्कार करेंगे, जिसका असर जिले की चारों विधानसभा पर पड़ेगा। उनके द्वारा 2019 के लोकसभा परिणामों का भी हवाला दिया और कहा कि हम जिसे चाहे जिताते हैं और जिसे चाहे हरा देते हैं। हम जीतेंगे नहीं, लेकिन हराने में सक्षम हैं। उधर, भाजपा जिला उपाध्यक्ष आरएन यादव का कहना है कि वे पार्टी के लिए काफी समय से कार्य कर रहे हैं, जिसकी वजह से उन्हें टिकट दिया जाना चाहिए था। यादव समाज का प्रदेशाध्यक्ष भी हूं। यादव समाज मुझे टिकट देने की मांग कर रहा है। पार्टी को मेरे बारे में विचार करना चाहिए, राघोगढ़ नहीं तो पार्टी बमोरी से हमें टिकट दे सकती है।
विकास के मुद्दे पर चुनाव लडूंगा: हीरेंद्र सिंह
यादव समाज की नाराजगी को लेकर भाजपा प्रत्याशी हीरेंद्र सिंह ने कहा,कि मैं विकास के मुद्दे पर चुनाव लडूंगा। राघोगढ़ में पिछले 35 वर्षों से जनता की सेवा कर रहा हूं। पिता ने भी राघोगढ़ से राजनीति की है, जिसका लाभ मुझे मिलेगा। श्रीमंत और और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को धन्यवाद देता हूं जो मुझे राघोगढ़ से उम्मीदवार बनाया है।
इस तरह के कयास
दरअसल, बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद को तरजीह देते हुए राघोगढ़ सीट से हीरेंद्र सिंह को टिकट दिया है। अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा ने पत्र में हवाला देते हुए बताया कि उसने साल 2019 में अपना सांसद (केपी यादव) को बनाया और दिग्गज नेता (ज्योतिरादित्य सिंधिया) को हराकर इतिहास रच दिया था। गौरतलब है कि अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बीजेपी सांसद केपी यादव हैं।
आती रहती हैं मनमुटाव की खबरें
बता दें कि बीते साढ़े तीन साल में बीजेपी सांसद केपी यादव और कांग्रेस छोडक़र बीजेपी का दामन थामने वाले सिंधिया समर्थकों के बीच मनमुटाव और एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी की खबरें आती रहती हैं। बीते साल ही केपी यादव ने श्रीमंत समर्थक शिवराज सरकार में मंत्री को मूर्ख तक बता दिया था। मंत्री की ओर से लोकसभा चुनाव में सिंधिया की हार पर माफी मांगने को लेकर सांसद ने यह बात कही थी। उन्होंने कहा था कि कार्यकर्ताओं को लगने लगा है कि 2020 में पार्टी से गलती हुई है, जो ऐसे लोगों को बिना सोचे-समझे, भाजपा में ले लिया। जिन्हें (सिंधिया समर्थक) भाजपा की रीति-नीति के बारे में जानकारी नहीं है। ऐसे लोगों को भाजपा में लेना, शायद हमारी गलती थी। बता दें कि साल 2020 में कमलनाथ सरकार को गिराकर बीजेपी ने सरकार बना ली थी। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया की अहम भूमिका रही थी। गौरतलब है कि 2014 का चुनाव 1 लाख 20 हजार 792 वोटों से जीतने वाले कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 में भाजपा प्रत्याशी डॉ. केपी यादव ने 1 लाख 25 हजार 549 वोटों से हरा दिया था। 14 बार लगातार अजेय रहने वाले सिंधिया परिवार के किसी प्रत्याशी की गुना संसदीय क्षेत्र में यह पहली हार थी। हैरानी की बात यह थी कि बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले केपी यादव पहले कांग्रेस में ही थे और सिंधिया के खास लोगों में शुमार थे।