कार्य गुणवत्ता परिषद बेकाम, अफसर मालामाल

मप्र
  • 23 अफसरों ने सिर्फ हाजिरी लगाकर ले लिया 2 करोड़ का वेतन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सरकारी स्तर पर होने वाले तमाम कामों को लेकर शिकायतों का अंबार लगा हुआ है। इसके बाद भी विभागों द्वारा कामों की जांच मप्र कार्यगुणवत्ता परिषद को नहीं दी जा रही है। इसकी वजह बीते एक साल से गुणवत्ता परिषद बेकाम बनी हुई है। यह बात अलग है कि इसकी वजह से परिषद में पदस्थ अफसर और कर्मचारियों की मौज बनी हुई हैं। उन्हें बगैर किसी काम के वेतन मिल रहा है। यहां के 23 अफसरों ने बिना काम किए सिर्फ हाजिरी लगाकर 2 करोड़ रुपए का वेतन ले लिया है। गौरतलब है कि दरअसल वर्ष 2022 में भंग हुए मुख्य तकनीकी परीक्षक (सीटीई) के बाद इसे परिषद में बदल दिया गया था। हद तो यह भी है कि एक साल बाद भी परिषद का न तो कोई बायलॉज और न ही नियम तैयार किए गए हैं। इसके बाद भी सरकारी खजाने को परिषद में तैनात कर्मचारियों पर हर माह बड़ी रकम खर्च करनी पड़ रही है। इसमें उनके लिए वाहन से लेकर अन्य तरह की सुविधाएं भी शामिल हैं। इस परिषद में 23 अधिकारी और कर्मचारी पदस्थ हैं, लेकिन इनके पास 2023 से कोई काम नहीं है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, बिना किसी काम के यह अधिकारी सिर्फ हाजिरी लगाकर साल भर में 2 करोड़ रुपये का वेतन ले चुके हैं।
परिषद की स्थापना और वर्तमान स्थिति
कार्य गुणवत्ता परिषद की स्थापना 2022 में की गई थी, जिसका उद्देश्य प्रदेश भर में सरकारी निर्माणों की गुणवत्ता की जांच करना था। इसके लिए रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अशोक शाह को तीन साल के लिए प्रथम महानिदेशक (डीजी) नियुक्त किया गया था। उनके कार्यकाल में परिषद ने केवल 15 निर्माण कार्यों की जांच की। हालांकि, शाह के सेवानिवृत्त होने के बाद से परिषद पूरी तरह निष्क्रिय हो गई है। परिषद के स्टाफ के अनुसार, 2022 में परिषद बनने से पहले हर साल 150 से अधिक निर्माणों की जांच की जाती थी। लेकिन परिषद बनने के बाद नियमों में बड़े बदलाव किए गए, जिससे स्वतंत्र जांच पर रोक लग गई। अब किसी भी निर्माण की जांच के लिए सचिव स्तर के अधिकारी की अनुमति अनिवार्य कर दी गई है। इस जटिल प्रक्रिया के चलते 2023 के बाद से कोई नई जांच नहीं हुई है। परिषद में तैनात स्टाफ में सबसे अधिक संख्या प्यून और सहायक कर्मचारियों की है। 9 प्यून, 4 निज सहायक, 3 बाबू, 2 सहायक यंत्री, 2 उपयंत्री और 1 मुख्य अभियंता इस कार्यालय में तैनात हैं। लेकिन जब से काम बंद हुआ है, स्टाफ का अधिकतर समय मोबाइल गेम खेलने में व्यतीत हो रहा है। परिषद के डीजी की नियुक्ति के बिना परिषद के कामकाज पूरी तरह ठप हो गए हैं। परिषद के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने बताया कि डीजी की नियुक्ति कराने के लिए जल्द ही मुख्यमंत्री से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि डीजी की नियुक्ति के बाद परिषद फिर से सक्रिय हो जाएगी और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच शुरू की जाएगी।

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