महिलाएं बनेंगी भाग्य विधाता

भाग्य विधाता

-भोपाल में नगर निगम चुनाव में महिलाओं का दबदबा
-2 सैकड़ा महिलाएं ठोक रही चुनावी ताल
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। 
6 जून को भोपाल नगर निगम चुनाव के लिए मतदान होंगे। भाजपा, कांग्रेस के साथ सभी पार्टिर्यों का फोकस महिलाओं पर है। इसकी वजह यह है कि यहां महिला महापौर के साथ ही 42 वार्डों में पार्षद भी महिलाएं ही बनेंगी। वहीं राजधानी में करीब 30 वार्ड ऐसे हैं जहां महिला मतदाताओं का दबदबा है। इसलिए सभी पार्टिर्यों ने महिलाओं का साधने पर जोर दिया है। यानी राजधानी में महिलाएं ही भाग्य विधाता बनेंगी।
राजधानी में चुनाव प्रचार पूरे शबाब पर है। प्रत्याशियों के अलावा दिग्गज नेताओं ने भी शहर में प्रचार तेज कर दिया है। चुनाव प्रचार में महिलाएं आगे रखी जा रही हैं। पुरूषों के लिए आरक्षित वार्ड में भी प्रचार की कमान महिलाओं को सौंपा गया है। इसकी वजह यह है कि महिलाओं के थोकबंद वोट जिस प्रत्याशी को मिल जाएंगे उसकी जीत सुनिश्चित हो जाएगी। निगम के 85 वार्डों में से 30 वार्ड ऐसे हैं, जहां महिला और पुरुष मतदाताओं के बीच 1500 से भी कम का अंतर है। इनमें से अधिकतर वार्ड पुराने शहर में आते हैं। यहां दोनों ही पार्टियां महिलाओं के वोट लेने के लिए दांव-पेंच लगा रही हैं। पुराने भोपाल में महिलाओं का मतदान ही प्रत्याशियों का भविष्य तय करेगा, जबकि नए शहर में आने वाले वार्डों में पुरुषों का दबदबा है। यहां पुरुष के वोट निर्णायक होंगे।
199 महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में: भोपाल नगर निगम चुनाव में इस बार महिला प्रत्याशियों का अच्छा खासा दबदबा है। कुल 398 पार्षद पद के प्रत्याशियों में करीब 199 महिला प्रत्याशी हैं। महापौर पद के लिए मैदान में उतरी आठों प्रत्याशी महिलाएं हैं। पार्षद के लिए भाजपा कांग्रेस की ओर से 42-42 प्रत्याशी, आप, बसपा व अन्य रजिस्टर्ड पार्टियों से 36, तो 122 निर्दलीय में से 76 महिला प्रत्याशी हैं। वहीं नगर निगम के 85 वार्डों के लिए तैयार हुई मतदाता सूची में भी महिला मतदाताओं की संख्या पिछले चुनाव से कहीं ज्यादा है। इस बार उत्तर विधानसभा के दो वार्ड ऐसे हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। वहीं 37 वार्ड में ये थोड़ा ही पीछे हैं। ऐसे वार्डों में पुरुष के साथ महिला मतदाताओं के हाथों में पार्षद के जीत की डोर रहेगी। इसलिए पार्टियों और प्रत्याशियों का भी पूरा फोकस महिला मतदाताओं पर है।
42 वार्ड महिला प्रत्याशियों के लिए आरक्षित
गौरतलब है कि शहर के 85 वार्डों में से 42 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इनमें महिलाओं के ज्यादा असर वाले 31 में से 16 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। आंकड़ों के मुताबिक 29 वार्डो में महिलाओं और पुरुषों की संख्या मामूली अंतर है। यहां महिला वोटर मतदान की दिशा बदल सकती हैं। महिलाओं के आरक्षित वार्डों में से अनारक्षित महिला वार्ड- 2, 3, 7, 14, 17, 20, 23, 27, 32, 38, 43, 45, 51, 52, 61, 64, 65, 71, 74, 79, 80, 82, 84, ओबीसी महिला वार्ड – 8, 37, 68, 75, 85, 21, 35, 31, 67, 06, 09, 55, एससी महिला वार्ड- 10, 11, 47, 50, 59, 81 और एसटी महिला वार्ड- 26 नंबर वार्ड है।
इन वार्डों में महिला मतदाताओं का दबदबा
नगर निगम के चुनाव में  जिन 30 वार्डों में महिला मतदाताओं का दबदबा है, उनमें 25 वार्ड संत नगर और पुराने शहर में आते हैं। इनमें बैरागढ़ में आने वाले एक, चार और पांच संतनगर के हैं। जबकि वार्ड क्रमांक 7, 8, 9, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 21, 24, 37, 44, 73, 75, 76, 77, 78 और 79 पुराने शहर में शामिल हैं। वहीं नए शहर में 27, 28, 60, 62, 64 और 80 वार्ड को छोड़ दें तो अन्य वार्डों में पुरुषों की संख्या महिलाओं की अपेक्षा तीन से चार हजार अधिक है। इन वार्डों में पुरुषों के वोट निर्णायक होंगे। बता दें कि भोपाल नरग निगम के वार्ड आठ और नौ में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। वार्ड क्रमांक आठ, रायल मार्केट में 9417 पुरुष तो 9658 महिला मतदाता हैं। वहीं वार्ड क्रमांक 9, बाग मुंशी हुसैन खां में 12015 पुरुष तो 12043 महिला मतदाता हैं। इस बार के नगर निगम चुनाव में वार्ड आठ और नौ अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है।
नारी शक्ति पर पूरा फोकस
राजधानी में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां का पूरा फोकस नारी शक्ति को मनाने पर है। शहर के कुछ वार्डों में महिलाओं की संख्या लगभग बराबर के चलते पार्टियां महिलाओं को मनाने में लगी हैं। शहर के 85 वार्डों में से 30 वार्ड ऐसे हैं, जहां महिला और पुरुष मतदाताओं के बीच 1500 से भी कम का अंतर है। इनमें से अधिकतर वार्ड पुराने शहर में आते हैं। यहां दोनों ही पार्टियां महिलाओं के वोट लेने के लिए दांव-पेंच लगा रही हैं। पुराने भोपाल में महिलाओं का मतदान ही प्रत्याशियों का भविष्य तय करेगा, जबकि नए शहर में आने वाले वार्डों में पुरुषों का दबादबा है। यहां पुरुष के वोट निर्णायक होंगे। संत नगर और पुराने शहर से जुड़े वार्डो में दोनों ही पार्टियां महिला मतदाताओं पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए रणनीति तैयार कर रही हैं। वहीं गोविंदपुरा, कोलार व दक्षिण- पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में पार्टियां पुरुष मतदाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
820343 महिला मतदाता तय करेंगी जीत-हार
राजधानी में 8 महापौर प्रत्याशियों सहित करीब 2 सैकड़ा प्रत्याशियों का भाग्य महिलाओं के हाथ में है। इस बार नगर निगम चुनाव में 85 वार्डों में 17 लाख 6 हजार 637 मतदाता पार्षद तय करेंगे। इसमें से 886126 पुरुष मतदाता हैं, तो 820343 महिला मतदाता हैं। महिला पुरुष मतदाता में कुल 65 हजार 783 का अंतर रह गया है, इतने पुरुष ज्यादा हैं। पिछले चुनाव में ये अंतर करीब एक लाख का था। इस अंतर को देखते हुए इस बार नगर निगम चुनाव में 3500 महिला मतदाताओं की अच्छी संख्या में ड्यूटी लगाई गई है। इसमें से काफी महिलाएं ट्रेनिंग पूरी कर चुकी हैं। अब 6 जुलाई को होने वाले मतदान में बूथ पर ड्यूटी देंगी। नगर सरकार में बढ़ते महिलाओं के दखल के बाद अब ये तस्वीर साफ होने लगी है कि स्थानीय राजनीति में महिलाओं का दखल बढ़ता जा रहा है।

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