अनाथों व बेसहारा बच्चों का बजट भी दबाकर बैठा महिला बाल विकास

महिला बाल विकास

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का महिला बाल विकास विभाग ऐसा विभाग बन चुका है, जहां के अफसरों को प्रदेश के करीब डेढ़ हजार अनाथ, परित्यक्ता और बेसहारा बच्चों की ङ्क्षचता ही नहीं है। जिम्मेदारों को इससे कोई लेनादेना नही है कि उनके भोजन से लेकर अन्य तरह के खर्च का क्या हो रहा होगा। शायद यही वजह है कि दलके लिए विभाग द्वारा दिया जाने वाला बीते एक साल से विभाग द्वारा जारी नहीं किया जा रहा है। दरअसल ऐसे लोगों की देखरेख और उनकी पूरी व्यवस्थाएं करने वाली संस्थाओं को साल भर से अनुदान ही नहीं दिया जा रहा है। यही वजह है कि प्रदेश में मिशनरीज संस्थाओं को छोडक़र अधिकतर गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही हैं। महिला बाल विकास के अधीन मप्र में 67 बाल देखरेख संस्थाएं संचालित हैं, जिनमें करीब डेढ़ हजार ऐसे बच्चे निवासरत हैं, जिनके परिवार में कोई नहीं है या जो किशोर न्याय अधिनियम की परिभाषा में सीएनसीपी श्रेणी में आते हैं। विभाग पहले बजट का रोना रोता रहा। अब नए वित्त वर्ष के तीन माह का समय हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी विभाग द्वारा इन संस्थाओं को इस साल का अनुदान भी जारी नही किया जा रहा है।
पूर्व मंत्री भी कर चुकी है अफसरों से बात  
इस मामले में इंदौर की सभी संस्थाओं ने पिछले दिनों कलेक्टर इंदौर से मिलकर इस समस्या को उठाया। इसके अलावा पूर्व मंत्री उषा ठाकुर ने भी संचालनालय के आला अफसरों से बच्चों के हित में बजट जारी करने के लिए कहा है, लेकिन अभी तक अधिकारियों ने अनुदान जारी नही किया है।
केंद्र दे चुका है मार्च में बजट
केंद्र की मिशन वात्सल्य योजना के तहत इन संस्थाओं को बजट मिलता है। केंद्र सरकार द्वारा 60 फीसदी एवं राज्य सरकार 40 फीसदी अंशदान देते हैं। मप्र के कोटे का बजट मार्च के अंतिम सप्ताह में ही केंद्र सरकार ने जारी कर दिया था, लेकिन महिला बाल विकास के अफसर तीन महीने से बजट पर कुडली मारकर बैठे हुए हैं।  कभी लोकसभा चुनाव के नाम पर तो कभी कलेक्टरों से अनुशंसा के नाम पर इन संस्थाओं का बजट रोका गया है। मिशन वात्सल्य योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जाती है। इस योजना के अंतर्गत परिवार आधारित गैर-संस्थागत देखभाल के लिए प्रति बच्चे 4000 रुपये का मासिक अनुदान प्रदान किया जाता है, जिसमें प्रायोजन (रिश्तेदारी) या पालक देखभाल या पश्चात देखभाल भी शामिल है।
यह है योजना…
केन्द्र प्रायोजित योजना मिशन वात्सल्य यानी बाल संरक्षण सेवा योजना शुरू की है। मिशन वात्सल्य का लक्ष्य भारत के हर बच्चे के लिए एक स्वस्थ एवं खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना, उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता का पता लगाने के लिए अवसर प्रदान करना, हर क्षेत्र में विकास के लिए सहायता प्रदान करना, उनके लिए ऐसी संवेदनशील, समर्थनकारी और समकालिक इको-व्यवस्था स्थापित करना है जिसमें उनका पूर्ण विकास हो। इसके साथ ही राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को किशोर न्याय कानून 2015 के अनुरूप सुविधाएं मुहैया कराने तथा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करना था। मिशन वात्सल्य अंतिम उपाय के रूप में बच्चों के संस्थागतकरण के सिद्धांत के आधार पर कठिन परिस्थितियों में बच्चों की परिवार-आधारित गैर-संस्थागत देखभाल को बढ़ावा देता है।

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