यस एमएलए: क्या अरविंद अटेर का मिथक तोड़ पाएंगे!

 अरविंद

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज होने के साथ ही टिकट के दावेदार सक्रिय हो गए हैं। दावेदारों ने अपने-अपने समर्थकों के साथ सक्रियता बढ़ा दी है। ऐसा ही नजारा चंबल अंचल के अटेर में नजर आ रहा है। अटेर भिंड जिले के 5 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। इस निर्वाचन क्षेत्र में संपूर्ण अटेर तहसील, भिंड तहसील का हिस्सा और फुफकलां नगर पंचायत शामिल है। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटी अटेर विधानसभा से एक मिथक भी जुड़ा है। वह यह कि कोई भी व्यक्ति यहां लगातार दो बार विधायक का चुनाव नहीं जीता है। हां, यह जरूर है कि पार्टी लगातार 2 बार जीती है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या मंत्री भदौरिया इस मिथक को तोड़ पाएंगे। उधर, इस सीट पर जहां कांग्रेस से इस बार फिर हेमंत कटारे सामने हो सकते हैं तो वहीं भाजपा की ओर से पूर्व विधायक मुन्ना सिंह की भी दावेदारी है। भाजपा सरकार में विकास के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। लेकिन विस क्षेत्र में असंतुलित विकास नजर आता है। लोगों का कहना है कि यहां शुरू से विकास की बंदरबांट होती रही है। यानी जो विधायक रहता है, वह अपने हिसाब से विकास करवाता है। बताया जाता है कि विस क्षेत्र ब्राह्मण व ठाकुर बाहुल्य है। यहां इन्हीं दोनों जातियों से विधायक बारी-बारी से रहे हैं, ऐसे में इनके गांव भी बंटे हैं और उसके आधार पर यहां का विकास भी।
विकास के अपने-अपने दावे
विधानसभा क्षेत्र में विकास के अपने-अपने दावे हैं। कांग्रेस का कहना है कि क्षेत्र में जो विकास हुआ है उसने कराया है। वहीं भाजपा के क्षेत्रीय विधायक और सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया का कहना है कि क्षेत्र में कई विकास कार्य करवाए गए हैं और कई हो रहे हैं। चंबल पुल चालू होने से व्यापार और पर्यटन बढ़ेगा। युवाओं को रोजगार मिलेगा। वर्षा ऋतु में कई गांवों के लोग कैद होकर रह जाते थे। वहां चमचमाती सडक़ें और पुल बने हैं। कनेरा सिंचाई परियोजना जल्द चालू होगी। विधानसभा क्षेत्र में 25 से अधिक सब स्टेशन बन गए हैं। वहीं पूर्व विधायक हेमंत कटारे का कहना है कि मंत्री का क्षेत्र होने के बावजूद विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ है। कनेरा परियोजना मेरी स्वर्गवासी पिता सत्यदेव कटारे की देन है। पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी में लंबा समय लगवा दिया है। अटेर-जैतपुर का पुल अभी तक चालू हो जाना चाहिए था। बसें हैं नहीं लेकिन बस स्टैंड जगह-जगह बनवा रहे हैं। फूफ निवासी भारत सिंह भदौरिया का कहना है कि पिछले चार सालों में छोटे पुल बने हैं। सालों से बंद पड़ी कनेरा सिंचाई परियोजना को भी पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है। अटेर पुल चालू होने से उत्तर प्रदेश से सीधे जुड़ जाएंगे। अटेर निवासी राजेंद्र सिंह यादव का कहना है कि मंत्री-नेता गृह क्षेत्र में अधिक काम कराते हैं। सीएम राइज स्कूल अटेर में नहीं खुलते हुए चौम्हों गांव में खोला जा रहा है। अटेर को नगर परिषद का दर्जा मिलना चाहिए।
अब तक 16 बार हुए हैं चुनाव
अटेर विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो 1952 से 2018 तक अटेर में 16 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें से 9 बार कांग्रेस, 4 बार भाजपा, 2 बार बीएसपी और 1 बार जनता पार्टी जीती है। अटेर से स्व. सत्यदेव कटारे चार बार तो अरविंद भदौरिया दो बार चुनाव जीते हैं पर कोई भी लगातार दो बार चुनाव नहीं जीता। सत्यदेव कटारे के निधन के बाद 2017 में उपचुनाव में उनके बेटे हेमंत कटारे कांग्रेस के टिकट पर जीते लेकिन 2018 में उन्हें अरविंद से हार झेलनी पड़ी। अरविंद भी 2013 और 2017 में चुनाव हार चुके हैं। यहां के जातीय समीकरण की बात की जाए तो इस सीट पर ठाकुर (भदौरिया), ब्राह्मण मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। नरवरिया, कुशवाह, बघेल, अजा, मुस्लिम मतदाताओं का भी प्रभाव यहां रहता है।
बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या
अटेर विधानसभा क्षेत्र में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। रोजगार और आय का साधन ढूंढने अधिकांश युवा पलायन कर जाते हैं। दो दर्जन से अधिक गांव हर साल बाढ़ की चपेट में आते हैं। बाढ़ के मुआवजे में बंदरबांट तो खूब होती है, पर समाधान का प्रयास नहीं। अधिकारियों-कर्मचारियों के ज्यादातर भिंड में ही रहने के कारण लोगों को सुविधाएं ही नहीं मिलतीं। कनेरा उद्वहन सिंचाई परियोजना को दोबारा लाने, फूफ-अटेर में उप मंडी का संचालन और अटेर को नगर पंचायत का दर्जा दिलाना मुख्य मुद्दों में शामिल है। चंबल नदी के किनारे बसे होने के चलते क्षेत्र में जलसंकट सीमित क्षेत्रों में ही है। पिछले चार सालों में कई उपकेंद्रों का निर्माण हो जाने से बिजली की स्थिति भी सुधरी है। चाहें पूर्व में स्व. सत्यदेव कटारे का कार्यकाल हो या अब अरविंद भदौरिया का, मुख्य मार्गों से लेकर अंदर तक की सडक़ों पर भी काम हुआ है। वहीं झरती हुईं किले की मीनारें, जर्जर मुख्य द्वार और सुनसान परिसर अटेर के किले की दुर्दशा की कहानी कहती है।
मंत्री होने के बाद असंतुलित विकास
भिंड जिले की अटेर ऐसी विधानसभा है जहां के विधायक को आसानी से मंत्री पद मिल जाता है। कांग्रेस के सत्यदेव कटारे कई साल तक प्रदेश सरकार में मंत्री रहे तो अब भाजपा विधायक अरविंद भदौरिया सहकारिता मंत्री हैं। क्षेत्र से मंत्री होने के कारण आमजन ने उम्मीदें भी बहुत लगाई पर ये सबका साथ-सबका विकास बनकर धरातल पर उतरती नहीं दिखीं। विकास कुछ इस तरह बंटा है कि पहली नजर में इसका आंकलन नहीं लगाया जा सकता। मूल अटेर आज भी ग्राम पंचायत है, लोग एक अदद एटीएम बूथ तक के लिए परेशान हैं, पर सुरपुरा होते हुए फूफ की ओर जाएं तो चमचमाती सडक़ें व अस्पताल देख क्षेत्र की तस्वीर अलग नजर आती है।

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