- राजनीति की डगर छोड़ जनता की सेवा में उतरेंगे अन्य नेताओं के पुत्र?
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा में जिस तरह परिवारवाद और वंशवाद के लिए राजनीति के दरवाजे बंद हो रहे हैं, उसे देखते हुए नेतापुत्रों की राजनीतिक आकांक्षा पर ग्रहण छा गया है। ऐसे में भाजपा में राजनीतिक भविष्य अंधेरे में देख पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने भाजपा छोड़ दी है। मलैया ने साफ किया है कि वे फिलहाल किसी पार्टी को ज्वाइन करने नहीं जा रहे क्योंकि उनकी जड़ें जिस पार्टी से जुड़ी है उसके सिद्धांतों से वे अलग नहीं हो सकते। सिद्धार्थ ने कहा कि वे भविष्य में दमोह के विकास के लिए काम करेंगे चाहे वह अपराध मुक्त दमोह बनाना हो या फिर शिक्षा स्वास्थ्य व अन्य क्षेत्रों में काम करने का हो। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या सिद्धार्थ के सिद्धांत का भाजपा के अन्य नेताओं के पुत्र अनुशरण करेंगे। गौरतलब है कि भाजपा ने देश-प्रदेश की राजनीति में परिवारवाद और वंशवाद के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं। पीएम मोदी से लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व वंशवाद की बेल न फैलने पाए इसको लेकर सख्त है। दूसरी ओर सूबे के कई कद्दावर नेता अपने पुत्रों को टिकट दिलाकर राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन प्रदेश भाजपा की कमान जब से वीडी शर्मा ने संभाली है । नेतापुत्र लगभग हाशिए पर चले गए हैं। प्रदेश में संगठन में नियुक्ति का मामला हो या उपचुनावों का मामला पार्टी ने दिग्गज नेताओं के पुत्रों को दरकिनार कर यह संकेत दे दिए हैं कि पार्टी में वंशवाद की बेल नहीं फैलेगी। पार्टी की इस नीति को देखते हुए सिद्धार्थ मलैया ने फिलहाल राजनीति का मोह त्याग दिया है और समाज सेवा में जुट गए है।
क्या ये नेतापुत्र भी बदलेंगे राह
सिद्धार्थ मलैया ने जो सिद्धांत अपनाया है उसकी हर ओर सराहना हो रही है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या अन्य नेता पुत्र भी इस राह पर चलेंगे। गौरतलब है कि प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2023 में होना है। इससे पहले टिकट की आस में नेता पुत्र सक्रिय हो गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान राजनीति में एक्टिव हैं। वो अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र बुदनी में सक्रिय हैं। सिंधिया राजवंश की चौथी पीढ़ी अब राजनीति के मैदान में सक्रिय होती नजर आ रही है। भाजपा के कद्दावर नेता और शिवराज सरकार में मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव मप्र की राजनीति सक्रिय हो गए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सक्रिय हो चुके हैं। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य भी हैं। वहीं, पिता की तरह वे लोगों के बीच जगह बना रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह भी राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं। देवेंद्र को अपने पिता के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। 2018 विधानसभा चुनाव में इन्होंने टिकट की दावेदारी की थी। पार्टी में उन्हें विरोध झेलना पड़ा था। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गौरीशंकर शेजवार की जगह उनके बेटे मुदित शेजवार को सांची विधानसभा से प्रत्याशी बनाया था, तब वे कांग्रेस प्रत्याशी प्रभुराम चौधरी से 10,571 वोटों से हार गए थे।
कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया समर्थक व राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के छोटे बेटे आकाश राजपूत को उनके उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। सिंधिया समर्थक व शिवराज सरकार में मंत्री तुलसी सिलावट के छोटे बेटे राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं। कोविड काल के दौरान वो काफी सक्रिय रहे। मप्र भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा भी राजनीति में अपना करियर देख रहे हैं। लेकिन पार्टी के रुख को देखते हुए नहीं लगता है कि इन्हें आगामी चुनाव में टिकट मिल पाएगा।
भाजपा में ऐसे नेताओं की लंबी लिस्ट है, जिनके परिजन राजनीति में सक्रिय हैं…
पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा- सुरेंद्र पटवा (भतीजा), पूर्व मंत्री
पूर्व सांसद कैलाश सारंग- विश्वास सारंग (पुत्र), मंत्री
पूर्व विधायक सत्येंद्र पाठक- संजय पाठक (पुत्र), मंत्री
पूर्व सीएम वीरेंद्र कुमार सखलेचा- ओमप्रकाश सखलेचा, मंत्री
पूर्व सीएम बाबूलाल गौर- कृष्णा गौर (बहू), विधायक
पूर्व सीएम कैलाश जोशी- दीपक जोशी (पुत्र), पूर्व मंत्री
पूर्व केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत- जितेंद्र गहलोत (पुत्र), पूर्व विधायक
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बृजमोहन मिश्रा- अर्चना चिटनीस (पुत्री), पूर्व मंत्री