
– श्रीमंत ने दिया संघ और संगठन के संस्कारों में रचने बसने का संदेश
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के दिग्गज नेताओं में शुमार पूर्व कांग्रेसी और अब भाजपाई हो चुके श्रीमंत के बीते रोज के दौरे ने कई संदेश देने का काम किया है। इस दौरान जिस तरह से वे पार्टी के नेताओं से मिलने उनके घर गए और बीच रास्ते तेज रफ्तार बस रोककर उसके चालक को हाथ जोड़कर उसे नसीहत दी, उससे साफ तौर पर अब उनकी कार्यशैली में संघ के संस्कारों में रचने बसने के संदेश की झलक साफ दिखाई दी है। दरअसल संघ मेल मुलाकातों के साथ ही आत्मीयता का पाठ पढ़ाने वाली पाठशाला मानी जाती है। प्रवास के पहले ही दिन जिस तरह से वे सत्ता, संगठन और संघ के लोगों से मिले हैं, उसके अलग राजनैतिक निहितार्थ भले ही निकल रहे हों , लेकिन माना जा रहा है कि अब प्रदेश की भाजपा की राजनीति में ज्योति- विष्णु एक्सप्रेस तेजी से दौड़ेगी।
श्रीमंत ने भोपाल आकर जिस तरह से पहले ही दिन मध्यभारत प्रांत के संघ मुख्यालय समिधा जाकर क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते सहित अन्य वरिष्ठ प्रचारकों से मुलाकात की, उससे भी यही संदेश गया है कि अब उनके द्वारा संघ की रीति नीति को पूरी तरह से अंगीकार कर लिया गया है। उधर, उनके भोपाल आने से पहले जिस तरह से एक दिन पहले देर रात भाजपा कार्यसमिति सदस्यों की घोषणा की गई और उसमें उनके सर्वाधिक 63 समर्थकों को जगह दी गई, उससे साफ संदेश गया है कि अब प्रदेश में ज्योति- विष्णु एक्सप्रेस दौड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अभी संगठन में रिक्त पदों में से कुछ पर और श्रीमंत समर्थकों की ताजपोशी की जाएगी, जिसकी वजह से उनके समर्थकों की संख्या करीब 75 तक जा सकती है। इस तरह से सत्ता की तरह ही संगठन में भी उनकी पकड़ मजबूत होगी। इतने श्रीमंत समर्थकों को जगह देकर वीडी ने अपने जमावट के तीर चलाए हैं, जिसमें वे सफल भी रहे हैं। यही वजह है कि अब उन्हें श्रीमंत का साथ भी प्रदेश की राजनीति में मिल गया है। गौरतलब है कि दमोह विधानसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद से वीडी पर स्थानीय सांसद और केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल लगातार उन पर जयंत मलैया को बाहर का रास्ता दिखाने का दबाव बना रहे थे।
यही नहीं पटेल के दबाव के चलते ही संगठन को मलैया के पुत्र सिद्धार्थ और उनके समर्थक माने जाने वाले चार मंडल अध्यक्षों को पार्टी से निलंबित करने का फैसला करना पड़ा था। यही नहीं वीडी को ग्वालियर -चंबल की राजनीति में भी केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और प्रभात झा जैसे दिग्गजों से चुनौती मिल रही थी,ऐसे में श्रीमंत का वीडी को तवज्जो देना नए समीकरण की ओर इशारा कर रहे हैं। श्रीमंत जब भाजपा में शामिल हुए थे तब प्रदेश में उन्हें शिव-ज्योति का नाम दिया गया था। दरअसल भोापाल में मेल मुलाकातों का दौर पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने शुरू किया था, जिसके केन्द्र में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा थे, लेकिन अब श्रीमंत के दौरे में मिश्रा की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। इस मेल मुलाकात के चल रहे दौर में श्रीमंत ने एक ही दिन में कई दिग्गज नेताओं के घर जाकर आगे बढ़ने का काम किया है। श्रीमंत के सार्वजनिक जीवन में यह पहला मौका है जब वे इस तरह से नेताओं के घर गए हों, अन्यथा इसके पहले तक नेता ही उनसे मिलने जाते रहे हैं।
इस तरह चला मेल मुलाकातों का दौर
श्रीमंत भोपाल आए तो दोपहर के भोजन पर वीडी शर्मा के घर दल-बल के साथ पहुंच गए। वहां पर करीब दो घंटे तक उनके द्वारा वीडी के अलावा दो अन्य नेताओं के साथ मंत्रणा की गई। खास बात यह है कि इस दौरान उनके साथ भोजन की टेबल पर सिर्फ सुहाष भगत, हितानंद शर्मा ही मौजूद रहे। इस दौरान सरकार के मंत्रियों से लेकर उनके समर्थकों तक को अंदर नहीं बुलाया गया। ऐसे करीब दो सौ लोगों के लिए बाहर ही भोजन का इंतजाम किया गया था। इन नेताओं के बीच चर्चा के बिन्दु क्या थे, यह तो सामने नहीं आया, लेकिन माना जा रहा है कि सत्ता व संगठन को लेकर ही चर्चा की गई है। इसके बाद उन्होंने औपचारिक रूप से बुंदेलखंड की राजनीति को साधने का प्रयास किया। श्रीमंत ने बीते रोज जिस तरह से शिव के गणों के घर पर आमद दी है उससे सागर की राजनीति को साधने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल वे पहले भूपेन्द्र सिंह के आवास पर चाय पीने पहुंचे तो उसके बाद डिनर के लिए गोपाल भार्गव के घर भी गए। भार्गव प्रदेश सरकार के न केवल वरिष्ठ मंत्री हैं, बल्कि उन्हें सरकार में शिव से पटरी नहीं बैठने वाले मंत्री के रूप में माना जाता है। इसी तरह से फिलहाल भूपेन्द्र सिंह भी मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे हैं। सागर जिले में उनके बेहद करीबी परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पहले से ही हैं। इस तरह से माना जा रहा है कि अब श्रीमंत ने इस बहाने बुंदेलखंड को भी साधने का प्रयास किया है।