तीन जिलों की सीटों पर नतीजों के लिए करना होगा इंतजार

मतदान
  • अधिक प्रत्याशियों की वजह से लगेगा समय

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मतदान में ईवीएम मशीनों के प्रयोग से अब वैसे तो मतगणना शुरु होने के कुछ ही घंटों में चुनाव परिणाम आ जाते हैं, लेकिन कई बार प्रत्याशी अधिक होने से इसमें भी समय लग जाता है। अगर इस बार के विधानसभा चुनावों के परिणामों की बात की जाए तो प्रदेश में तीन जिलों की सीटें ऐसी हैं, जहां पर चुनाव परिणाम आने में समय लगना तय है। इसकी वजह है इन तीनों सीटों पर प्रत्याशियों का अधिक होना , जिसकी वजह से मतदान के लिए एक साथ दो -दो मशीनों का प्रयोग किया जाएगा। जिन सीटों पर समय लगना संभावित है, उनमें सतना, रीवा और भिंड जिले की विधानसभा सीटें शामिल है। दरअसल इन जिलों में की 19 विधानसभा सीटों पर कुल मिलाकर सर्वाधिक 347 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
    अगर कुल प्रत्याशियों की संख्या के हिसाब से औसत निकला जाए तो इन तीनों जिलों में ही कुल 13 फीसदी प्रत्याशी हैं। इसी तरह जिन सीटों के चुनाव परिणाम सबसे पहले आएगेंं, उनमें  डिंडोरी, हरदा और आगर मालवा जिलों की विधानसभा सीटें हैं। इन जिलों में सिर्फ 15 से लेकर 17 प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में हैं। प्रदेश के 230 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 2,533 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इसमें भोपाल, इंदौर, सागर, ग्वालियर, छतरपुर और जबलपुर जिले में चुनाव परिणाम आने में में देरी होना तय है। इसकी वजह है, इन जिलों में प्रत्याशियों की संख्या 452 होना। कई विधानसभा क्षेत्रों में तो 80 से लेकर 97 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। जिन विधानसभा में प्रत्याशी ज्यादा हैं, उनमें वीवीपैट मशीन ज्यादा लगेंगी, क्योंकि एक वीवी पैट में प्रत्याशी सहित 17 बटनें होती हैं। इस तरह से हर मशीन में दर्ज वोटों की गिनती कर उनका मिलान करना होता है , जिसमें समय लगता है। गौरतलब है कि बीते चुनाव में कई सीटों के परिणाम आने में 24 घंटे से अधिक का समय लग गया था। जानकारों के मुताबिक चुनाव आयोग की इतनी तैयारियों के बाद भी ईवीएम से मतगणना पूरी करने में 24 घंटे लग जाने के कई कारण है। उनका कहना है कि सबसे बड़ी वजह वीवीपैट मशीनें रहीं। मतगणना के दौरान ऐसा कई जगहों पर हुआ कि जहां उम्मीदवारों ने अपने संदेह को दूर करने के लिए मशीनों से वोटों की गणना के बाद वीवीपैट मशीनों की पर्ची भी गिनवाई गई थीं, जिसमें भी टाइम लगा था। पिछली बार चुनाव आयोग ने मतगणना के दौरान अति सतर्कता बरती ताकि किसी को भी परिणाम को लेकर कोई संदेह न रहे। इस वजह से भी चुनाव परिणाम देरी हुई थी।
    यह रही बीते चुनावों में प्रत्याशियों की संख्या
    प्रदेश में बीते कई चुनावों से प्रत्याशियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। राजनैतिक दलों की बढ़ती संख्या और बागी होने की प्रवृत्ति की वजह से प्रदेश में लगातार चुनाव दर चुनाव प्रत्याशियों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। प्रदेश में वर्ष 2003 में हुए चुनाव में जहां 2171 प्रत्याशी मैदान में थे , जिनकी संख्या इसके बाद 2008 में हुए चुनाव में बढक़र 3,179 हो गई थी। इसी तरह 2013 में हुए चुनाव में प्रत्याशियों का आंकड़ा जरुर कम हुआ था। तब 2,583 प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में उतरे थे , लेकिन इसके बाद 2018 में इनकी संख्या 2,899 हो गई थी। इन संख्या में इस बार भी मामूली कमी देखी गई है।

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