क्या कांग्रेस रोक पाएगी… कद्दावर नेता का विजयी रथ

कद्दावर नेता
  • नौवीं बार चुनाव मैदान में…गोपाल भार्गव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र विधानसभा चुनाव का प्रचार चरम पर है। भाजपा और कांग्रेस के साथ ही अन्य पार्टियों के स्टार प्रचारकों ने चुनावी मोर्चा संभाल लिया है। स्टार वार के इस दौर में रहली विधानसभा सीट की भी खूब चर्चा हो रही है। इस सीट से एक नेता लगातार आठ बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर मप्र विधानसभा में पहुंचे हैं। ये नेता हैं ,मप्र के मंत्री गोपाल भार्गव। गोपाल भार्गव नौवीं बार चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस ने उनके सामने ज्योति पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है। प्रदेश में हर तरफ यही चर्चा हो रही है कि क्या कांग्रेस कद्दावर नेता भार्गव का विजयी रथ रोक पाएगी। गोपाल भार्गव 1985 से रहली सीट से विधानसभा चुनाव जीत रहे हैं। पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव में भार्गव ने कांग्रेस के प्रत्याशी कमलेश साहू को 26888 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। तब से वे लगातार जीत रहे हैं। यह मंत्री गोपाल भार्गव की रणनीति कहें या आत्मविश्वास कि वे अपने चुनाव प्रचार के लिए घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। गांव- गांव में उनके प्रचार की कमान बेटा, पुत्रवधु व अन्य स्वजन संभाले हुए हैं। भार्गव का दावा है कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में पांच वर्ष में इतने अधिक विकास कार्य कराए हैं कि हर मतदाता उनसे व्यक्तिगत जुड़ा हुआ है। इसलिए उन्हें प्रचार करने जाने की अब जरूरत नहीं है।
कांग्रेस की ज्योति मैदान में
ज्योति इंजीनियर हैं और रहली से दो बार की जिला पंचायत सदस्य रही हैं। ज्योति पटेल कुर्मी समाज से आती हैं। इससे पहले भी जातिगत समीकरण देखते हुए कांग्रेस ने कुर्मी समाज के जीवन पटेल को टिकट दिया था। उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा। ज्योति का कहना है कि मैं मानती हूं कि मुकाबला कड़ा है।
चालीस साल से वो सत्ता में हैं। ज्योति कहती हैं कि मेरी विधानसभा में डर का माहौल है। मुझे इस गुलामी को तोड़ना है। मुझ पर भी मुकदमे दर्ज हुए हैं। हर विरोध करने वाले पर मुकदमा तो दर्ज होगा ही। मंत्री कहते हैं कि लोग उनके जूते पर माथा रगड़ते हैं, इसलिए उन्हें पॉलिश की जरूरत नहीं। इसके मुकाबले मेरी उम्र कम है। मेरे परिवार ने संघर्ष किया है। मां जेल गईं। मैंने इक्कीस साल की उम्र में पहला चुनाव जीता। कोई ये समझे कि मैं डमी कैंडीडेट हूं, तो ऐसा नहीं है। रावण भी कहता था कि मुझे बालक क्या हराएंगे? विरोधी अगर मुझे हल्के में लेते हैं तो यह मेरे लिए अच्छा ही है। ज्योति कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से खासी प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सागर में आठ में से चार टिकट यानी पचास फीसदी महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है। लडक़ी  विधायक होगी तो महिलाएं अपनी समस्या मुझे बता पाएंगी। गोपाल भार्गव से महिला परेशानी नहीं बता सकती। प्रियंका गांधी की सभा में मंच पर मुझे भी बुलाया था। प्रियंका जी ने मुझसे कहा था तुम बहादुर हो जीतकर आना है। अगर जीत गई तो तुम्हारी विधानसभा में आऊंगी। प्रियंका गांधी को हर कोई चाहता है। मैं चाहूंगी वो मेरी जीत के बाद यहां आएं।
1980 के बाद नहीं जीती कांग्रेस
आंकड़े बताते हैं कि सागर जिले की रहली विधानसभा सीट 1951 में अस्तित्व में हाई थी। इस सीट पर 1951 के बाद 1957 और 1962 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत हासिल की। 1967 में इस सीट पर जनसंघ के प्रत्याशी ने जीत हासिल की। 1972 से 1980 तक इस सीट पर फिर कांग्रेस को जीत नसीब हुई। इसके बाद रहली सीट और गोपाल भार्गव एक दूसरे का प्र्याय बनकर रह गए। 1985 में भाजपा के गोपाल भार्गव जीते तो वे लगातार जीतते ही चले गए। वे आठ चुनाव के अजेय योद्धा हैं। नौवीं बार इस विधानसभा चुनाव में एक बार फिर वे मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस से जिला पंचायत सदस्य ज्योति पटेल को मैदान में उतारा है। प्रत्याशी चयन के पहले तो यहां से कई दावेदार थे, लेकिन ज्योति के मैदान में आते ही कांग्रेस पहली बार पूरी तरह एकजुट दिखाई दे रही हैं। कांग्रेस की एकजुटता व आक्रामक प्रचार ने कहीं न कहीं भाजपा की नींद उड़ा रखी है। हालांकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को तो ज्योति ने एक कर लिया, लेकिन घर से उनके भाई ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रण में कूद पड़े हैं। वहीं रहली विस क्षेत्र से कुल 15 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें नौ केवल कुर्मी व पटेल जाति के हैं। यह भी कांग्रेस की चिंता बढ़ा रहे हैं।
बेटे-बहु प्रचार में जुटे
रहली क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है। यहां से भाजपा प्रत्याशी गोपाल भार्गव जीत के प्रति अश्वस्त नजर आ रहे हैं। उन्होंने चुनाव की तिथि घोषित होते ही क्षेत्र में जनसंपर्क बंद कर दिया है। वे अब गढ़ाकोटा स्थित अपने निवास पर बैठकर लोगों से मुलाकात करते हैं। बेटे अभिषेक भार्गव व पुत्रवधु शिल्पी भार्गव ने प्रचार की कमान संभाल रखी है। रहली क्षेत्र में भाजपा की ओर से किसी स्टार प्रचारक को प्रचार के लिए नहीं बुलाया जा रहा है। यहां भाजपा की ओर से अब तक केंद्रीय मंत्री व दमोह सांसद प्रहलाद पटेल की सभा हुई है। वहीं कांग्रेस ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। यहां कमलनाथ स्वयं सभा कर चुके है। दमोह में हुई प्रियंका गांधी की सभा में उन्होंने रहली में ज्योति के लिए समर्थन मांगा।

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