- मामला लोकायुक्त का
- 10 करोड़ की जप्त काली कमाई की रकम और गहने लौटा दिए आरोपी को
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विगत 8 अगस्त को अशफाक अली पुत्र मुस्ताक अली निवासी लटेरी जो जिला चिकित्सालय राजगढ़ में पूर्व में स्टोर कीपर के रूप पर पदस्थ रहे है, उनके विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत प्राप्त होने पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत लोकायुक्त ने कार्रवाई की, तो उनके पास तकरीबन 10 करोड़ रुपए की काली कमाई के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। जांच में सोने चांदी के जेवरात, कीमती घडिय़ां और घरेलू उपयोग के कीमती सामान मिले हैं। भोपाल स्थित मकान में काफी मात्रा में नगदी प्राप्त हुई। 45 हजार की सैलरी पाने वाला रिटायर्ड स्टोर कीपर के पास मिली संपत्ति को देखकर लोकायुक्त टीम के भी होश उड़ गए थे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि लोकायुक्त ने अशफाक अली के यहां जो 22 लाख रुपए नकद और 45 लाख का सोना बरामद किया था, उसे लौटा दिया है। इससे सवाल उठने लगा है कि आखिरकार एक भ्रष्ट पर इतनी मेहरबानी क्यों की जा रही है। जानकारी के अनुसार लोकायुक्त को अशफाक अली के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायत मिली थी। शिकायत की जांच के बाद लोकायुक्त ने अशफाक के भोपाल में दो मकान और लटेरी के ठिकानों पर एक साथ छापामार कार्रवाई की। लोकायुक्त कार्रवाई के दौरान टीम को अशफाक अली के भोपाल में ग्रीन वैली स्थित मकान से नोटों से भरा बैग मिला। इतना ही नहीं नोट गिनने के लिए मशीन मंगानी पड़ी। गिनती के बाद कुल रकम 22 लाख रुपए निकली। लेकिन भ्रष्टाचार की शिकायत पर जांच करने वाली लोकायुक्त पुलिस ने उसके पास से मिली बेहिसाबी संपत्ति को स्वविवेक से लौटा भी दिया है। लोकायुक्त ने उक्त राशि और जेवर सिर्फ रिकॉर्ड में दर्ज करके आरोपी अशफाक अली को लौटा दिया है।
जब्त होनी चाहिए संपत्ति
लोकायुक्त द्वारा अशफाक अली से मिली जगदी और गहने लौटाने के मामले में विधि विशेषज्ञों का कहना है कि भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13 (1) डी के अंतर्गत आरोपी के घर या कार्यालय में मिली अनुपातहीन संपत्ति जब्त होती है। लोकायुक्त को आरोपी अशफाक के घर से मिली नकद राशि और जेवरों को विधिवत जब्त कराना या उसे न्यायालय में पेश करना चाहिए था। वहीं डीजी लोकायुक्त योगेश चौधरी का कहना है कि भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच में आरोपी के निवास से बरामद नकद राशि और गहनों की जानकारी रिकॉर्ड में दर्ज होती है। आरोपी उक्त राशि प्राप्त करने वाले व्यक्ति या संस्थान और गहनों के उचित बिल आदि प्रस्तुत करता है, तो विवेचना अधिकारी उसे आरोपी को लौटा भी सकता है। जबकि डीएसपी लोकायुक्त भोपाल वीरेंद्र सिंह का कहना है कि जिला चिकित्सालय राजगढ़ के पूर्व स्टोर कीपर अशफाक के विरुद्ध अभी जांच कार्रवाई लगातार चल रही है। इस वजह से प्रकरण के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकता।
अशफाक अली के खिलाफ दोबारा शिकायत की तैयारी
अनुपातहीन संपत्ति मिलने के बाद भी अशफाक अली पर लोकायुक्त द्वारा की गई मेहरबानी के खिलाफ दोबारा शिकायत की तैयारी की जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता केएस चौहान का कहना है कि लोकायुक्त को शिकायत की जांच करने पर अशफाक के घर से 22 लाख रुपए नकद और 45 लाख रुपए कीमत के सोने-चांदी के जेवर मिले थे। उक्त राशि व जेवर राजसात होना चाहिए, जो आरोपी को लौटा दी गई है। इस मामले की दोबारा शिकायत करेंगे, जिसमें नियम विरुद्ध कार्य होने पर कार्रवाई भी होगी।
मिली थी बेहिसाब संपत्ति
लोकायुक्त की जांच में अशफाक अली के पास बेहिसाब संपत्ति निकली थी। उनके पुत्र जीशान अली, शारिक अली, पुत्री हिना कौसर और पत्नी रशीदा बी के नाम पर 16 अचल संपत्तियों की क्रय संबंधी अभिलेख प्राप्त हुए हैं ,जिनकी कीमत लगभग सवा करोड़ रुपए हैं। अन्य 50 से भी ज्यादा अचल संपत्तियों के संबंध में लटेरी विदिशा और भोपाल में जानकारी मिली। लटेरी में चार भवन जिसमें एक 14000 स्क्वायर फीट पर निर्माणाधीन शॉपिंग कंपलेक्स तथा लगभग 1 एकड़ जमीन पर करीब 25 सौ वर्ग फीट का आलीशान मकान बनाए जाने की जानकारी मिली। उनके द्वारा लटेरी में मुस्ताक मंजिल नाम से एक तीन मंजिला भवन भी बनवाया गया है जिसमें प्राइवेट स्कूल किराए पर संचालित किया जा रहा है। लोकायुक्त ने जांच कार्रवाई के दौरान आरोपी अशफाक के घर से अलग-अलग बैंकों की पांच पास बुक जब्त की थीं। इसके बाद भी लोकायुक्त को आरोपी अशफाक के बैंकों में लॉकर नहीं मिले। तब लोकायुक्त ने आरबीआई को पत्र लिखकर अशफाक के लेनदेन की जानकारी मांगी थी।