मुरलीधर राव को आखिर गुस्सा क्यों आता है

मुरलीधर राव

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रभारी मुरलीधर राव वैसे तो संघ पृष्ठभूमी से आते हैं, लेकिन जिस तरह के उनके बयान सामने आते हैं वे उन्हें अक्सर विवादों में ला देते हैं। उनके बयानों को गुस्से के रुप में देखा जाता है। यह बात अलग है कि संघ के बारे में माना जाता है कि उनके पदाधिकारियों या फिर बड़े प्रचारकों द्वारा कही जाने वाली बात बेहद नपी तुली होती है, जिसमें गूढ़ अर्थ छिपा होता है। इसके उलट राव के बयान न केवल पार्टी के लिए मुसीबत बने जाते हैं, बल्कि कई बार उनके अपने ही नेताओं के लिए भी असहज स्थिति की वजह भी बनते हैं।  उनके बयानों को गुस्से के इजहार के रुप में भी देखा जाता है।
इसकी वजह से उसके पीछे  के कारणों की भी तलाश शुरू हो जाती है। हाल ही में उनके द्वारा एक कार्यक्रम में पार्टी के ही कुछ नेताओं को लेकर जिस तरह की टिप्पणी की गई उसकी वजह से श्रीमंत सर्मथक मंत्रियों के लिए सार्वजनिक रुप से बेहद असहज स्थिति बन गई है। हालांकि बेचारे श्रीमंत समर्थक नेता करते भी क्या सो उनके द्वारा पूरे मामले में मंच से महज मुस्कुराहट ही प्रर्दशित करने की मजबूरी दिखती रही। दरअसल राव ने हाल ही में गुना में पार्टी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे पास सब विभीषण आ गए है। और वहां बचा क्या है। अब रावण का अंत होना निश्चित है। उन्होंने मंचासीन गुना प्रभारी मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर और प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का नाम भी इस दौरान लिया। यह दोनों वह नेता है जो श्रीमंत के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे।  इस बयान को सुनकर मंच पर उपस्थित नेता हंसने लगे। सिसोदिया ने तो हाथ जोड़कर यह भी कह दिया कि हम तो राम के सेवक हैं। उनके इस सार्वजनिक रुप से दिए गए बयान को लेकर तरह -तरह के कायस लगाए जा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि उनके इस बयान को श्रीमंत को लेकर संघ की लाइन माना जाए।  
कांग्रेस ने कसा तंज  
कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि मुरलीधर राव ने मध्य प्रदेश शासन के दो मंत्री, जो दल बदलकर बीजेपी में शामिल हुए है, उनकी मौजूदगी में उन्हें विभीषण बताया है। बीजेपी ने विभीषणों को तारीफ ताकित करते हुए तालियां बजाई है। इसे क्या माना जाए? मैं गर्व से कहता हूं कि मैं कर्म से क्षत्रिय हूं। यह दोनों ही मंत्रियों को जो दोनों क्षत्रिय जैसे गौरवमय समाज से आते हैं। दोनों मंच पर मौजूद होकर राव के बयान पर अपनी मौन स्वीकृति देते हैं। मैं दोनों ही मंत्रियों के स्वाभिमान को सलाम करता हूं। राजनीति में कितने नीचे गिर सकते है। उनके आका तो कहते थे कि उसूलों पर जहां आंच आए, टकराना जरूरी है और यदि आप जिंदा हो तो जिंदादिली को दिखाना चाहिए। मैं इन मंत्रियों से कहना चाहूंगा कि अपने आका का अनुसरण क्यों नहीं कर रहे हैं।
हमेशा भटक जाती है मुरली की तान    
मुरलीधर राव के पास जब भी माइक रहता है, वे कुछ न कुछ ऐसा बोल देते हैं कि विवाद खड़ा हो जाता है। इससे पहले उन्होंने भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बनियों और ब्राह्मणों को जेब में बता दिया था। खूब बवाल मचा था। उन्हें कुछ दिन तक हर मंच पर सफाई देनी पड़ रही थी कि उनके कहने का आशय क्या था। फिर उन्होंने ही इस मामले को संभाला भी था। इतना ही नहीं, इससे पहले भी वे कहते सुने गए थे कि लगातार चार-पांच बार से सांसद, विधायक बनना, लगातार प्रतिनिधित्व करना, यह जनता का दिया हुआ वरदान होता है। इसके बाद रोने के लिए कुछ नहीं होना चाहिए। ऐसे नेता अगर कहे कि उन्हें मौका नहीं मिला तो उनसे बड़ा नालायक कोई नहीं, उन्हें मौका मिलना भी नहीं चाहिए।द
हमेशा भटक जाती है मुरली की तान  
मुरलीधर राव के पास जब भी माइक रहता है, वे कुछ न कुछ ऐसा बोल देते हैं कि विवाद खड़ा हो जाता है। इससे पहले उन्होंने भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बनियों और ब्राह्मणों को जेब में बता दिया था। खूब बवाल मचा था। उन्हें कुछ दिन तक हर मंच पर सफाई देनी पड़ रही थी कि उनके कहने का आशय क्या था। फिर उन्होंने ही इस मामले को संभाला भी था। इतना ही नहीं, इससे पहले भी वे कहते सुने गए थे कि लगातार चार-पांच बार से सांसद, विधायक बनना, लगातार प्रतिनिधित्व करना, यह जनता का दिया हुआ वरदान होता है। इसके बाद रोने के लिए कुछ नहीं होना चाहिए। ऐसे नेता अगर कहे कि उन्हें मौका नहीं मिला तो उनसे बड़ा नालायक कोई नहीं, उन्हें मौका मिलना भी नहीं चाहिए।
खुद ही पहुंचा रहे नुकसान
हाल ही में मुरलीधर राव का एक नया बयान सामने आया है, जिसे लेकर सियासी बखेड़ा शुरू हो गया है।  राव अपने इस बयान के बाद भाजपा के साथ-साथ विपक्षी दल कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं।  मध्यप्रदेश भाजपा के प्रभारी पी. मुरलीधर राव अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। कुछ दिन पहले तक उन्होंने अपने पार्टी के नेताओं को नालायक तक कह दिया था। अब उन्होंने फिर एक विवादित बयान दे डाला है, जिससे प्रदेश की राजनीति में नया विवाद हो खड़ा हो गया है। राव को प्रदेश भाजपा को कंट्रोल करने के लिए भेजा है, लेकिन अब उन्हें खुद ही कंट्रोल करने की जरूरत पड़ रही है। राव के लगातार आ रहे विवादित बयानों से संघ और भाजपा के नेता भी परेशान हैं। पार्टी और संगठन के नेता इन बातों को हाईकमान तक पहुंचा रहे हैं कि राव को भी कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। कहा तो यह भी जा रहा है कि प्रदेश भाजपा के कई बड़े नेता उनके विवादित बयानों और व्यवहार से बहुत नाराज हैं।

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