खाद्य विभाग के भ्रष्टों को किसका संरक्षण

  • हरीश फतेहचंदानी
खाद्य विभाग

20 मार्च को कटनी में लोकायुक्त पुलिस ने कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा तो किसी को पता नहीं था कि खाद्य विभाग प्रदेश का सबसे बड़ा भ्रष्ट विभाग है। दरअसल, इस विभाग में बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी हैं जिनके पास अनुपातहीन संपत्ति मिली है। ऐसे करीब दो दर्जन से अधिक अधिकारी हैं, जिनके खिलाफ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज है, लेकिन कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर पा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि खाद्य विभाग के भ्रष्टों को किसका संरक्षण प्राप्त है।
खाद्य विभाग का काम खाद्य वस्तुओं के व्यापार में कदाचार की जांच करना है। अपने इस अधिकार का उपयोग करते हुए खाद्य अधिकारी व्यवसायियों का शोषण कर काली कमाई करने में जुटे हुए हैं। लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के शिकंजे में दस साल के अंदर दो दर्जन से अधिक खाद्य अधिकारी आ चुके हैं। इनमें अनुपातहीन संपत्ति, राशन की कालाबाजारी और भुगतान में सांठगांठ करके करोड़ों रुपए जमा करने के प्रमुख मामले हैं। बावजूद, ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गति धीमी है।
 अनियमितताओं की बानगी
खाद्य विभाग में हो रही अनियमितताओं का आलम यह है कि विभाग के अधिकारी लगातार ट्रेस हो रहे हैं। नर्मदापुरम ग्राम पंचायत कुलामड़ी और डोंगरवाडा की शासकीय उचित मूल्य दुकानों से संलग्न राशन कार्डों की संख्या में मिलीभगत से हेराफेरी कर प्रतिमाह 79,283 रुपए का अधिक लाभ कमाया गया। मुरैना जिले में जिला सहकारी विपणन संस्था जौरा से अटैच सहकारी भंडार और अन्य से 32 हजार रुपए काले धन के रूप में अर्जित किए गए। ग्वालियर जिले में खाद्यान्न परिवहनकर्ता द्वारा खाद्यान्न उठाव और वितरण में अनियमितता की गई। सिवनी में पूर्व प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा पांच करोड़ का गलत भुगतान करने का आरोप।
कटनी जिले में राशन कार्ड से अधिक आवंटन करके गड़बड़ी की गई। इन सभी मामलों में कार्रवाई प्रचलित है। संचालक खाद्य विभाग दीपक सक्सेना का कहना है कि विभाग में किसी प्रकार की अनियमितता रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं । इसी क्रम में पात्र हितग्राहियों का चयन और राशन वितरण व्यवस्था का कम्प्यूटराइजेशन किया गया। समर्थन मूल्य पर किसानों से खाद्यान्न उपार्जन के लिए पंजीयन, परिवहन भंडारण और आधार आधारित भुगतान की व्यवस्था को भी कम्प्यूटराइजेशन किया है।
अभियोजन स्वीकृति के प्रस्ताव होल्ड
प्रदेश में खाद्य विभाग ऐसा विभाग है जो सरकार के दिशा निर्देशों के परिपालन की आड़ में जमकर उगाही करता है। लेकिन विसंगति यह है कि भ्रष्टाचार के मामले दर्ज होने के बाद भी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इस मामले में खाद्य विभाग का तर्क है कि अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों और जांच चलने की जानकारी तभी होती है जब अभियोजन स्वीकृति संबंधी प्रस्ताव मिलते हैं। हालांकि जांच एजेंसियों ने कई बार राज्य शासन को अवगत कराया है कि अभियोजन स्वीकृति के लिए विभागों को भेजे जा रहे प्रस्तावों को होल्ड कर दिया जाता है। ऐसा भी होता है कि जांच में फंसे अफसर सांठगांठ करके कार्रवाई को होल्ड करा लेते हैं। ऐसे में कई अफसर सेवानिवृत्त हो जाते हैं। अभियोजन की मंजूरी नहीं मिलने की बानगी इससे मिलती है कि लोकायुक्त ने वर्ष 2015 में तत्कालीन कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी एके नायक के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया। करीब सात साल बाद लोकायुक्त ने जून 2022 में अभियोजन की स्वीकृति के लिए पत्र लिखा। पांच माह बाद नायक सेवानिवृत्त हो गए। लोकायुक्त ने अगस्त, सितंबर और दिसंबर 22 में अभियोजन के लिए रिमाइंडर दिए।
इनके चालान नहीं हुए कोर्ट में पेश
विभाग में भ्रष्टों के संरक्षण का आलम यह है कि उनके खिलाफ कोर्ट में चालान तक नहीं पेश किया जा पा रहा है। इनमें 50 हजार रूपए की रिश्वत लेने वाले एसएल प्रजापति, 45 हजार की रिश्वत लेने वाले दीपक परमार, 20 हजार की रिश्वत लेने वाले आकाश श्रीवास्तव और 25 हजार की रिश्वत लेने वाले धनीराम धुर्वे के अलावा आय से अधिक संपत्ति के मामले में अश्विनी नायक, 68 हजार की रिश्वत लेने वाले  सचिन श्रीवास्तव, 40 हजार की रिश्वत लेने वाले सुनील वर्मा, 15 हजार की रिश्वत लेने वाले धर्मेन्द्र शर्मा के अलावा राजेश तिवारी, अब्दुल शरीफ, आरके श्रीवास्तव, अम्भोज श्रीवास्तव, चेतराम कौशल और राजू कातूलकर शामिल हैं। वहीं कई अफसरों के मामले में एक भी रिमाइंडर नहीं भेजा गया है। इनमें  नियंत्रक नाप तौल के अंतर्गत निरीक्षक पंकज कनोडिया पर रिश्वत मांगने के आरोप में कार्रवाई की गई। लोकायुक्त ने दिसंबर 2019 में प्रकरण दर्ज किया। अभियोजन के लिए जून 22 को पत्र विभाग के पास भेजा। मामला कार्यालय में पेंडिंग है। वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन में पदस्थ सहायक गुणवत्ता नियंत्रक शेर सिंह चौहान के खिलाफ रिश्वत प्रकरण में अभियोजन की स्वीकृति के लिए फरवरी 23 में विभाग को पत्र लिखा गया है।

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