किसकी होगी किस शहर में सरकार, कयासों को दौर जारी

 निकाय चुनाव
  • सट्टा बाजार पर भी लगी लोगों की निगाहें

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए बीते रोज दूसरे और अंतिम चरण का मतदान होने के बाद अब सभी की निगाहें इसके परिणामों पर लग गई हैं। इस बीच खासतौर पर बड़े महानगरों में बनने वाली शहर सरकार को लेकर कयासों का दौर जारी है। कयासों के बीच अब लोग सट्टा बाजार पर भी नजर रख रहे हैं।
इसकी वजह है सट्टा बाजार का अनुमान लगभग सटीक रहता है। इस बार नगरीय निकाय चुनावों में खासतौर पर महापौर पद वाले नगरों में भाजपा व कांग्रेस के बीच बेहद ही करीबी मुकाबला दिखाई दिया है, जिसकी वजह से आम आदमी तो ठीक दोनों ही दलों के नेता भी हार-जीत के दावे पूरी ताकत के साथ करने की स्थिति में नही हैं। यह बात अलग है की इस बार माना जा रहा है की बीते नगर निकाय चुनाव की तुलना में कांग्रेस को कुछ हद तक फायदा हो सकता है। इसकी वजह से ही कहा जा रहा है की इस बार महापौर पद पर कांग्रेस को तीन सीटों पर जबकि भाजपा को करीब एक दर्जन सीटों पर जीत मिल सकती है। उल्लेखनीय है की बीते चुनाव में भाजपा ने सभी 16 महापौर के पदों पर जीत हासिल की थी। दो चरणों में कुल 347 निकायों में चुनाव कराए गए हैं। इसमें पहले चरण में 133 और दूसरे चरण में 214 निकायों के लिए मतदान हुआ है। पहले चरण में 16 में से 11 और दूसरे चरण में पांच नगर निगमों में भी मतदान कराया गया है। दरअसल पहले चरण में हुए मतदान में नगर निगम वाले शहरों में कम मतदान होने की वजह से राजनैतिक पंडितों का गुणाभाग बिगड़ चुका है। इसकी वजह से माना जा रहा है की इन निगमों में अप्रत्याशित परिणाम आ सकते हैं। कम मतदान को कांग्रेस अपने लिए फायदे के रूप में देख रही है। हालांकि दूसरे चरण में पहले की तुलना में 12 फीसदी अधिक मतदान होने से भाजपा खेमें अब संतोष देखा जा रहा है। गुरु पूर्णिमा पर्व के बावजूद दूसरे चरण में पहले चरण के मुकाबले ज्यादा मतदान हुआ। इससे राजनीतिक दलों और प्रशासन ने राहत की सांस ली है। हालांकि दूसरे चरण में मतदान प्रतिशत ज्यादा रहने की वजह चुनाव में नगर परिषदों की संख्या ज्यादा होना है। इस चरण में 169 नगर परिषदों में चुनाव हुए, जबकि पहले चरण में सिर्फ 86 नगर परिषदों में चुनाव हुए थे। दूसरे चरण में पांच नगर निगमों में मतदान में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। पांच नगर निगमों में कुल 62.8 प्रतिशत मतदान हुआ है। रतलाम नगर निगम में सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत, मुरैना में सबसे कम 55 प्रतिशत वोटिंग हुई जिलों की बात करें तो बुधवार को सबसे ज्यादा 85.2 प्रतिशत वोटिंग नीमच में, जबकि सबसे कम 60.7 प्रतिशत कटनी में हुई।
पंचायत चुनाव से 14 फीसद कम हुआ मतदान
अगर पंचायत व निकाय चुनाव में हुए मतदान को देखें तो पंचायत चुनाव की तुलना में नगरीय निकाय चुनाव में 14 प्रतिशत कम मतदान हुआ। पंचायत चुनाव के तीनों चरणों में कुल 79.98 प्रतिशत मतदान हुआ था,  जबकि निकाय चुनाव के दोनों चरणों में कुल 66 प्रतिशत मतदान हुआ। राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के मुताबिक 874 जिला पंचायत सदस्य, 6,614 जनपद पंचायत सदस्य, 22 हजार 115 सरपंच और 71 हजार 445 पंच पद के लिए तीन चरणों में मतदान हुआ। ऐसे ही नगरीय निकाय में महापौर के 16 पद और पार्षद के 6386 पदों के लिए दो चरणों में मतदान हुआ।
सटोरिए मान रहे भाजपा की भोपाल, इंदौर और जबलपुर में तो कांग्रेस की ग्वालियर में जीत
भले ही नगरीय निकाय के चुनाव परिणाम 17 व 20 जुलाई को आने है, लेकिन सट्टा बाजार में अभी से चारों महानगरों में किसकी जीत और किसकी हार होगी यह तय कर दिया गया है। सटोरियों ने भोपाल नगर निगम को भाजपा के खाते में बता दिया है ,जबकि ग्वालियर को कांग्रेस के खाते में बताया जा रहा है। इसी तरह से इंदौर और जबलपुर नगर निगमों पर भी भाजपा की जीत बताई जा रही है। इन दोनों शहरों में भाजपा का औसत रेट कांग्रेस के मुकाबले दो गुना अधिक बना हुआ है। सट्टा बाजार में जिन तीन शहरों में भाजपा के महापौर की जीत बताई जा रही है उसकी वजह भी सटोरिया भाजपा के कैडर वोटर्स को मान रहे हैं। भोपाल के लिए कांग्रेस की जीत पर जो भाव चल रहा है उसके  चलते ही सटोरियों का मानना है की परिषद में भी भाजपा का ही बहुमत हो सकता है। इंदौर में सट्टा बाजार के भाव के हिसाब से कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। मतदान के समय भाजपा महापौर प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव कमी जीत मनी जा रही थी , लेकिन अब कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला की स्थिति मजबूत बताई जा रही है। सट्टा बाजार में कांग्रेस के प्रत्याशी शोभा सिकरवार का भाव एक रुपए में 21 पैसे चल रहा है, जबकि भाजपा महापौर प्रत्याशी सुमन शर्मा का भाव 1 रुपए में 43 पैसे का बना हुआ है। उधर, जबलपुर में भाजपा का भाव 60 तो कांग्रेस का 80 पैसे बना हुआ है।  भाजपा के पार्षद प्रत्याशियों की जीत पर भी सट्टा लगाया जा रहा है, जिसमें भाजपा के 70 प्रतिशत जीतने का दांव हैं ।

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