– तोमर व श्रीमंत के बीच जारी है जोर आजमाइश
– इंदौर का मामला सुलझा तो ग्वालियर व रतलाम का उलझा
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा ने अपने लिए मुसीबत बने नगर निगमों के चौदह प्रत्याशी तय कर लिए हैं ,लेकिन शेष बचे ग्वालियर और रतलाम में से भाजपा संगठन के लिए ग्वालियर सबसे बड़ी मुसीबत बनकर उभरा है। दरअसल ग्वालियर का महापौर किसका समर्थक होगा इसके लिए केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और श्रीमंत के बीच जमकर रस्साकसी चल रही है। इस रस्साकशी की वजह है चंबल अंचल में अपनी -अपनी बादशाहत साबित करना। यह दोनों नेता इस इलाके में बेहद प्रभावशाली माने जाते हैं। जिस नेता का समर्थक महापौर का प्रत्याशी बन जाएगा उसकी इलाके में बादशाहत मानी जाएगी। उधर भाजपा प्रदेश संगठन ने इंदौर का मामला बीते राज ही सुलझा लिया है।
इंदौर में अब भाजपा के प्रत्याशी के रुप में पुष्यमित्र भार्गव का नाम तय कर लिया गया है उनके नाम की घोषणा आज कर दी जाएगी। उनके नाम के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव को कैलाश विजयवर्गीय को वीटो पॉवर का इस्तेमाल करना पड़ा। उधर, जबलपुर में संघ की पंसद जितेन्द्र जामदार पर मुहर लगाई गई है, जबकि सागर में मंत्री भूपेन्द्र सिंह की पंसद का ख्याल रखते हुए संगीता तिवारी को टिकट दिया गया है। इसी तरह से उज्जैन में पार्टी के स्थानीय नेताओं की पंसद को ध्यान में रखकर मुकेश टेंटवाल का चयन किया गया है। मुरैना, जबलपुर, सतना, उज्जैन, छिंदवाड़ा के प्रत्याशियों का संघ से संपर्क रहने की वजह से चुनाव किया गया है।
तो इसी तरह से रीवा से पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल और कटनी से पूर्व मंत्री संजय पाठक व देवास से विधायक गायत्री राजे पंवार के समर्थक को प्रत्याशी बनाया गया है। इसी तरह से भोपाल में संगठन की जगह विधायकों की पंसद को तबज्जो दी गई है। इधर, रतलाम नगर निगम सीट पर पहले नाम तय था, लेकिन अंदरूनी विरोध और समीकरण बदलने से घोषणा रोक दी गई। इस बीच प्रदेश भाजपा ने दोनों सीटों के लिए समन्वय और डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू कर दी है। बीते रोज श्रीमंत और तोमर ग्वालियर पहुंच गए हैं। वे वहां पर पार्टी के जिला कोर ग्रुप की बैठक में शामिल होगें, जिसमें पार्षदों के टिकट के साथ महापौर प्रत्याशी के लिए भी नामों को लेकर कोई एक राय बन सके। ग्वालियर के सारे समीकरण सिंधिया और तोमर की खींचतान में उलझे हैं। सिंधिया ने पूर्व मंत्री माया सिंह का नाम बढ़ाया है, जबकि तोमर सुमन शर्मा को टिकट की वकालत कर रहे हैं। इस बीची तेजी से एक नाम और दावेदारों की में उभर है। यह नाम है पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता का। यह नाम भी श्रीमंत खेमें की और से आया है। इसकी वजह से अब पैनल में तीन नाम शामिल हैं।
अब इनमें से किसी एक नाम पर मुहर लगना है। इनके बीच सहमति को लेकर अब बैठकों के दौर चल रहे हैं। दरअसल माया सिंह 71 साल की हैं, जिससे उनका टिकट पार्टी की उम्रदराज गाइडलाइन पर उलझ सकता है। यहां सिंधिया के खिलाफ बाकी नेता एक हो गए हैं। इनमें विवेक शेजवलकर, जयभान सिंह पवैया और अनूप मिश्रा सहित अन्य नेता शामिल हैं। ग्वालियर शहर में सिफ महापौर के नाम पर ही पेंच नहीं फंसा है , बल्कि यहां पर पार्षद पदों की उम्मीदवारी को लेकर भी भारी पेंच फंसा हुआ है। दरअसल माना जा रहा है कि महापौर प्रत्याशी किस खेमे का होगा, इससे साल 2023 में होने वाले आम चुनाव का भी रुख तय होगा। इन दोनों ही नेताओं के ग्वालियर पुहंचने के बाद से उनके दरबार में दावेदारों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। भाजपा में महापौर प्रत्याशी को लेकर चल रही जोर आजमाइश के बीच जिला, प्रदेश और केंद्रीय स्तर पर कोर कमेटी की बैठक हो चुकी है। इसके बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर पहुंचे हैं। केंद्रीय मंत्री तोमर के साथ- साथ समीक्षा का भोपाल से ग्वालियर लौटना बहुत कुछ बता रहा है। यह बात अलग है कि इस मामले में तोमर का कहना है कि कोर कमेटी की बैठक हो गई है और नाम भी फाइनल हो गया है। एक-दो दिन में आपके सामने महापौर प्रत्याशी का नाम आ जाएगा। पूरी भाजपा एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी और कहीं किसी से कोई मतभेद नहीं है, हम सब एक हैं। वहीं इनके नामों के साथ-साथ आज नरेंद्र सिंह तोमर के बंगले पर पार्षद और दूसरी मेयर पद के दावेदारों का मेला लग रहा है। बहरहाल ग्वालियर-चंबल अंचल में नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी के लिए टिकटों को लेकर मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। चाहे मेयर हो या फिर पार्षद का टिकट, क्योंकि अब बीजेपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया है। ऐसे में बीजेपी उनकी बगैर सहमति के कोई फैसला चंबल में टिकटों को लेकर नहीं ले पा रही है।
पार्षदों के नामों पर भी फंसा पेंच
भोपाल नगर निगम के पार्षद प्रत्याशी के नामों को लेकर कांग्रेस और भाजपा में पार्षद पदों के प्रत्याशियों के लिए गुणा-भाग जारी है। इसकी वजह से दोनों पार्टियां अपने-अपने अधिकृत उम्मीदवार घोषित नहीं कर सकी। इधर, भाजपा जिला अध्यक्ष सुमित पचौरी ने प्रत्याशी चयन को लेकर प्रदेश संगठन के शीर्ष नेताओं के साथ प्रदेश कार्यालय मे हुई बैठक में मंथन किया। उधर, कांग्रेस ने करीब 50 प्रत्याशियों के नाम लगभग तय कर दिए हैं, जबकि नरेला क्षेत्र के वार्डों में पेंच लग गया है। वह प्रत्याशियों की सूची 16 या 17 जून को जारी कर सकती है। इसके पहले ही कांग्रेस ने अपने संभावित उम्मीदवारों को नामांकन फॉर्म दाखिल करने के संकेत दे दिए हैं। कांग्रेस में पार्षद प्रत्याशियों को लेकर पर्यवेक्षक और सह पर्यवेक्षकों द्वारा जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कैलाश मिश्रा और विधायकों से चर्चा की गई है। नरेला विधानसभा क्षेत्र के वार्डों को लेकर उम्मीदवारों को लेकर सबसे ज्यादा दिक्कत की वजह है इस क्षेत्र से विधायक आरिफ अकील, पीसी शर्मा और आरिफ मसूद के अलावा आरिफ जकी, मनोज शुक्ला अपने समर्थकों को यहां से टिकट दिलाने के लिए अड़े हुए हैं। इस क्षेत्र में 17 वार्ड हैं, लेकिन जिला कांग्रेस कमेटी के पास 24 नाम पहुंचे हैं और इस पर विचार विमर्श जारी है।
यह है तीनों दावेदारों का इतिहास
माया सिंह का सिंधिया घराने से ताल्लुक है, वे श्रीमंत के पिता माधवराव सिंधिया की मामी है। वे पूर्व में मध्य प्रदेश राज्य महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष, भाजपा महिला मोर्चा की अखिल भारतीय महामंत्री और मध्य प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष रही। 1984 में ग्वालियर नगर निगम में महापौर और काउंसलर चुनी गई। सन 2013 में विधायक बनीं और प्रदेश सरकार में मंत्री भी रही हैं। समीक्षा गुप्ता पहले भी महापौर रह चुकी हैं। बीते विधानसभा चुनाव के समय टिकट न मिलने के कारण उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी लेकिन एक साल पहले वापस भाजपा में आ गई है। तीसरी दावेदार सुमन शर्मा बीजेपी में जिला मंत्री और प्रदेश महिला मोर्चा में प्रदेश महामंत्री रही हैं। फिल्म सेंसर बोर्ड की सदस्य के अलावा वे अभी कार्यसमिति सदस्य हैं। संगठन की ओर से उनका नाम चल रहा है।
रतलाम
रतलाम का टिकट रुकने के कई कारण हैं। इनमें पहली वजह रतलाम से पूर्व में अशोक पोरवाल का नाम तय होना था, लेकिन उनके खिलाफ भारी विरोध हुआ। अनेक स्थानीय नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व तक विरोध दर्ज कराया है। इसलिए समीकरण बदल गए हैं। क्षेत्रीय विधायक चेतन कश्यप ने नया नाम आगे बढ़ा दिया है। इससे यह भी संभावना है कि यहां पर कश्यप की पसंद को महत्त्व दिया जाए। इसके अलावा कांग्रेस से भी अभी रतलाम का टिकट घोषित नहीं हुआ है। भाजपा कांग्रेस के चेहरे को भी देखना चाहती है, ताकि टिकट में आसानी हो। यहां का टिकट जल्द आने की उम्मीद जताई जा रही है।
15/06/2022
0
151
Less than a minute
You can share this post!