भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को किसका संरक्षण

  • 274 पर प्रकरण दर्ज, नहीं मिली अभियोजन की स्वीकृति
  • विनोद उपाध्याय
भ्रष्ट अधिकारियों

मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही डॉ. मोहन यादव ने भ्रष्टाचार और भ्रष्टों पर नकेल कसनी शुरू कर दी। उन्होंने भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति देने का निर्देश सभी विभागों को दिए हैं, लेकिन उसके बाद भी 274 अधिकारी-कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी गई है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ने खुद विधानसभा में दी थी। विधायक देवेंद्र नारायण सखवार के एक सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया था कि  भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे 11 आईएएस, एक डिप्टी कलेक्टर सहित 274 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ लोकयुक्त और ईओडब्ल्यू में दर्ज प्रकरणों में सरकार ने अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि इन अधिकारियों-कर्मचारियों को किसका संरक्षण मिल रहा है।
थेटे पर लोकायुक्त में 25 मामले दर्ज
प्रदेश में जिन अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के मामले पेंडिंग में है उनमें, पूर्व आईएएस रमेश थेटे पर लोकायुक्त में 25 प्रकरणों में भ्रष्टाचार को लेकर मामले दर्ज हैं। उनके खिलाफ 2014 से अभियोजन स्वीकृति के प्रस्ताव पेडिंग हैं। तहसीलदार आदित्य शर्मा के विरुद्ध भी भ्रष्टाचार के 25 प्रकरण लोकायुक्त में दर्ज हैं, लेकिन अभियोजन की अनुमति एक में भी नहीं मिली है। वे बेटे के साथ यह सहआरोपी बनाए गए हैं। आईएएस कलेक्टर अखिलेश श्रीवास्तव, एसडीएम मनोज माथुर, तत्कालीन कलेक्टर शिवपाल सिंह के विरुद्ध दर्ज भ्रष्टचार के मामले में 27 दिसंबर 2019 से अभियोजन की अनुमति के लिए पेंडिंग है। पूर्व आईएएस तत्कालीन ननि आयुक कटनी, लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज, 9 दिसंबर 2022 से अभियोजन की अनुमति पेडिंग। तत्कालीन कलेक्टर अजातशत्रु श्रीवास्तव, बृजमोहन शर्मा, कवींद्र कियावत तथा तत्कालीन संचालक विमानन अरुण कोचर के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988, संशोधन 2018 एवं 120 बी में मामला दर्ज हैं, लेकिन अभियोजन की अनुमति 27 फरवरी 2024 से नहीं मिली। तत्कालीन कलेक्टर विविता सोमेद शर्मा एवं सीईओ मप्र वक्फ बोर्ड अमीर बक्श के विरुद्ध ईओडब्ल्यू में 420, 120 यी भादवि 13 (1013 (2)पीसी एक्ट 1988 में प्रकरण दर्ज, 12- फरवरी 2020 से अभियोजन की स्वोंकृति पेडिंग। तत्कालीन उप सचिव खारा कर्तमान में सविव जेल ललित दाहिमा के विरुद्ध ईओडब्ल्यू में 420 120 बी भादवि आदि में प्रकरण दर्ज अभियोजन को स्वीकृति 17 सिंतबर 2021 से लॉबार, लेकिन प्रमोट हो गए।
इनके विरुद्ध भी भ्रष्टाचार के मामले दर्ज
तत्कालीन एसडीएम सांवर पवन जैन 7 दिसंबर 2015 को ईओडबल्यू में मामला दर्ज होने के बाद भी आईएएस के पद पर प्रमोट हो गए। रतलाम के पूर्व महापौर जयंतीलाल, पूर्व चीफ इंजीनियर राजीव सुकलीकर के मामले में दिसंबर 2023 से अभियोजन की मंजूरी पेडिंग। लोकायुक्त में दर्ज मामलों में ताकालीन तहसीलदार उज्जैन नित्यानंद पांडे अतिरिक तहसीलदार सुनील पाटिल, केशव सिंह टंडन उपायुक्त सहकारिता ग्वालियर, एमएम बीवास्तव उप अंकेक्षण इंदौर, कार्यवाहक निरीक्षक ज्योति सिकरवार, एसडीओपी सिवनी एसएल सीनया, संतोष कुमार शुक्ला सहायक आयुत, आरपी त्रिवेदी जिला इला आबकारी अधिकारी कटनी तत्कालीन उप पंजीयक माखनलाल पटेल, रितेश टाडिया सहायक आयुक्त राजीव कुमार सहायक आयुक्त आबकारी, आलोक कुमार खरे सहायक आयुक्त आबकारी भोपाल, सुधा जैन तत्कालीन विधायक सागर, राजेश तिवारी कनिश आपूर्ति अधिकारी आत, संतोष नंदनवार कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी कटनी, लक्ष्मीप्रसाद पाठक उप तमायुक्त इंदौर, केप्टन अगर सेठी तत्कालीन संचालक विमानन विभाग आदि के विरुद्ध दर्ज मामलों में अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली है।
सबसे अधिक जीएडी के मामले
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बताया था विभिन्न विभागों में अभियोजन की अनुमति के 274 मामले पेंडिंग हैं। इनमें जीएडी में 35, राजस्व विभाग में 30, सहकारिता में 8, गृह विभाग में दो, पीडब्ल्यूडी में 8, पंचायत एवं ग्रामीण विकास में 18, फॉरेस्ट में एक, स्वास्थ्य विभाग में 10, नगरीय आवास में 36, जनजातीय कार्य में 3, वाणिज्यिक कर में 5, वित्त विभाग में दो, महिला बाल विकास में 3, कृषि कल्याण में 3, तकनीकी एवं उच्च शिक्षा में दो-दो सहित अन्य नगरीय निकायों में 88 प्रकरण लंबित हैं। इनमें पूर्व आईएएस रमेश थेटे के खिलाफ 25 प्रकरण दस साल से पेडिंग है, वहीं अन्य पूर्व आईएएस में कवींद्र कियावत, अजातशत्रु श्रीवास्तव, अरुण कोचर, अखिलेश श्रीवास्तव, लक्ष्मीकांत द्विवेदी, पीएस शिवशेखर शुक्ला तथा बृजमोहन शर्मा, सचिव ललित दाहिमा, योगेंद्र शर्मा, शिवपाल सिंह के नाम भी शामिल हैं। प्रदेश में लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे आईएएस, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, पटवारी, कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री, उपयंत्री, एसडीओपी, टीआई, डाक्टर आदि के विरुद्ध सालों से सरकार ने अभियोजन की मंजूरी नहीं दी है।

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