
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। जिलों, संभागों, तहसीलों और जनपदों के पुनर्गठन की कवायद के लिए गठित प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग सफेद हाथी बनकर रह गया है। आयोग का गठन हुए एक साल का समय हो गया है, लेकिन आयोग एक भी अनुशंसा नहीं दे पाया। दरअसल, आयोग आज भी आधा-अधूरा है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने 1 जनवरी 2024 को कहा कि भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए संभागों और जिलों की सीमाओं को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है। इसकी शुरुआत पायलट आधार पर इंदौर संभाग से होगी। 27 फरवरी 2024 को मोहन कैबिनेट ने राज्य की प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन के लिए मध्य प्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। 12 मार्च 2024 को मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के गठन, आयोग के कार्यक्षेत्र, आयोग की संरचना, वेतन तथा भत्ते, प्रशासनिक संरचना एवं वित्तीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। इसका नोटिफिकेशन 12 मार्च को किया गया। लेकिन एक साल बाद भी आयोग पटरी पर नहीं आ पाया है।
गौरतलब है कि 42 साल बाद भौगोलिक से लेकर प्रशासनिक ढांचे में बदलाव करने के लिए प्रदेश में प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया। जिलों, संभागों, तहसीलों और जनपदों के पुनर्गठन की कवायद मप्र में इसके पहले वर्ष 1982 में हुई थी। प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग को एक साल पूरा हो गया है, लेकिन अब तक आयोग एक भी अनुशंसा नहीं दे पाया है। इसका गठन पिछले साल 12 मार्च को केवल एक वर्ष के लिए किया गया था। इसका कार्य नए संभाग, जिला, उपखंड, तहसील एवं जनपद, विकासखंड का सृजन या सीमाओं में परिवर्तन करने की अनुशंसा देने का था। एक वर्ष में आयोग कोई अनुशंसा सरकार को नहीं दे पाया इसलिए राजस्व विभाग को इसका कार्यकाल पुन: एक वर्ष के लिए बढ़ाना पड़ा है।
यह है आयोग की स्थिति
गठन के समय आयोग के सदस्य के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस मनोज श्रीवास्तव को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बाद में उन्हें राज्य निर्वाचन आयुक्त बना दिया गया। इसके बाद सेवानिवृत्त होने पर आईएएस एसएन मिश्रा को आयोग का सदस्य बनाया गया। दो अलग-अलग सदस्यों को जिम्मेदारी सौंपी जाने के बाद भी प्रदेश में न नए संभाग, जिला, उपखंड, तहसील एवं जनपद, विकासखंड का सृजन हुआ और न सीमाएं बदली गईं। नए सदस्य एसएन मिश्रा ने जन प्रतिनिधियों, आम लोगों से रायशुमारी करके ही प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसी के तहत जिलों और संभागों में कार्य किए जा रहे हैं। पुनर्गठन में नागरिकों की सुविधा का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं। पुनर्गठन करते समय जीपीएस एवं गूगल मैप का भी प्रयोग किया जाएगा। जिससे जगह की स्थिति एवं दूरी ज्ञात हो सके। किसी भी जिले, तहसील, विकासखंड, ग्राम, नगरीय निकाय के पुनर्गठन में विशेष रूप से जन प्रतिनिधियों, आमजन, सामाजिक संगठन, ग्रामीणों, किसानों, स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारी और सदस्यों से चर्चा की जाएगी। चर्चा करने के उपरांत ही आगे की कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
आयोग में यह अफसर
राज्य शासन ने प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग में रिटायर्ड आईएएस एसएन मिश्रा को सदस्य बनाया है। इसी तरह से जनवरी में रिटायर हुए अपर सचिव स्तर के अधिकारी अक्षय कुमार सिंह को आयोग का सचिव नियुक्त किया गया है। उन्हें संविदा नियुक्ति के माध्यम से आयोग का सचिव बनाया गया है। गौरतलब है कि इसके पहले रिटायर्ड एसीएस मनोज श्रीवास्तव को आयोग का सदस्य बनाया गया था, जिन्हें 31 दिसम्बर को राज्य निर्वाचन आयुक्त बनाया गया था। इसके डेढ़ माह बाद उनके स्थान पर पूर्व एसीएस एसएन मिश्रा को आयोग का सदस्य बनाया गया है।
42 साल बाद प्रदेश में जिले संभाग का पुर्नगठन
मध्य प्रदेश में 1982 में मध्य प्रदेश पुर्नगठन की प्रक्रिया हुई थी। फिर उसके बाद से अब प्रयास किया जा रहा है। सरकार बनने के तुरंत बाद सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा था कि भविष्य की आवश्यकताओं को दखते हुए संभाग और जिले की सीमाएं फिर से पुर्नगठित किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि इस पायलट प्रोजेक्ट के रुप में इंदौर संभाग से पहल शुरू की जाएगी।