- गंभीर और संवेदनशील मामलों का जवाब भी नहीं दे रहे अधिकारी
- विनोद उपाध्याय
मप्र विधानसभा में मंत्रियों की ओर से सवाल के जवाब देने के लिए दिए गए आश्वासनों की पेंडेंसी लगातार बढ़ती जा रही हैं। इनमें कई गंभीर मामले भी हैं। खासकर भ्रष्टाचार के मामलों पर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है। इससे सवाल पूछने वाले विधायक भी असमंजस में फंसे हुए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि मां रतनगढ़ नहर सिंचाई परियोजना में बिना कार्य हैदराबाद की कंपनी मंटेरा वशिष्टा माइक्रो जेवी को 412 करोड़ रुपए की राशि का एडवांस भुगतान किए जाने पर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के सवाल पर सरकार ने कहा-जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, हैदराबाद की ही मेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी को किए गए भुगतान में अनियमितताओं का मामला भी पेंडिंग पड़ा हुआ है। खासकर माननीयों ने इस तरह के सवाल सदन में उठाए थे, जिनमें मंत्रियों द्वारा दिए गए आश्वासनों पर कार्रवाई का इंतजार है। जानकारों का कहना है कि मप्र विधानसभा में विधायकों द्वारा उठाए जा रहे सवालों का जवाब देने में अधिकारियों की रूचि नहीं है। गौरतलब है कि तत्कालीन विधायक कुंवर रविंद्र सिंह तोमर ने विधानसभा में सवाल उठाया था कि मां रतनगढ़ नहर सिंचाई परियोजना में कार्य किए बिना निर्माण एजेंसी मंटेरा वशिष्टा माइक्रो जेवी हैदराबाद को 412 करोड़ का भुगतान किए जाने की शिकायत मिलने पर सरकार ने दोषी अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की है। इसके जवाब में विभाग ने कहा-समिति से जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर प्रकरण में नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। वहीं, सदस्य रहे हर्ष यादव के सवाल सूरजपुरा जलाशय निर्माण एजेंसी को नियम विरुद्ध पूर्ण भुगतान करने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई हुई, इसके जवाब में विभाग ने कहा-कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। गुण-दोष के आधार पर कार्यवाही की जाएगी। इस तरह देखा जाए तो एक-दो नहीं, बल्कि सैकड़ों भ्रष्टाचार से जुडें मामले विधायकों द्वारा उठाए जाने के बाद उन्हें आश्वासन के ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
7 साल पुराने सवालों के जवाब आज तक नहीं मिले
मप्र देश विधानसभा में सात साल पहले मंत्रियों की ओर से सवाल के जवाब देने के लिए दिए गए आश्वासन अभी तक पेंडिंग हैं। अकेले जल संसाधन विभाग के ही 113 सवालों के जवाब में दिए गए आश्वासन पर सरकार की ओर से अभी तक विधानसभा को अवगत नहीं कराया गया है। इसमें वर्ष 2017 में दिए गए कई आश्वासन भी शामिल हैं। इसे देखते हुए अब विधानसभा सचिवालय ने जल संसाधन विभाग को लंबित आश्वासनों की सूची भेजी है और इसका जल्द से जल्द जवाब भेजने को कहा है। यह विभाग 2020 में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद से अब तक मंत्री तुलसी सिलावट के पास है। सवाल करने वाले कई विधायक 2018 का चुनाव हारने के बाद 2023 में फिर विधायक बन गए हैं जिसमें मुकेश नायक भी शामिल हैं। वहीं, कुछ विधायक पिछले चुनाव में हार के कारण अब पूर्व विधायक बन गए हैं। पन्ना जिले में बांध टूटने के कारण और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध जांच को लेकर विधानसभा में सवाल उठा था जिसमें ठेकेदार मेसर्स त्रिशूल कंस्ट्रक्शन जबलपुर से खर्च हुई राशि की वसूली होनी थी। इस मामले में सरकार ने विधानसभा में आश्वासन दिया था कि विभागीय जांच की जा रही है, और ठेकेदार के विरुद्ध निलंबन की कार्यवाही के लिए मुख्य अभियंता धसान केन कछार सागर द्वारा नोटिस जारी किया है। कार्यपालन यंत्री पन्ना ने सिरस्वाहा तालाब निर्माण का एग्रीमेंट अमान्य कर दिया है, और ठेकेदार से राशि की वसूली की जाएगी। फरवरी मार्च 2017 में विधानसभा सत्र के दौरान दिए गए मंत्री के आश्वासन का जवाब अब तक विधानसभा तक नहीं पहुंच सका है। यह बांध 2016 की बारिश में टूटा था और चार गांवों की बस्तियां जल मग्न हो गई थीं। शहडोल जिले के ब्यौहारी तहसील के ग्राम बिजहा में दुधारिया नदी पर सिंचाई परियोजना में किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है लेकिन मुआवजा नहीं दिया है। किसानों की 70.181 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण का यह मामला पूर्व विधायक केदारनाथ शुक्ला ने मार्च 2017 के विधानसभा सत्र में उठाया था। इसका जवाब भी विधानसभा को सरकार अब तक नहीं दे सकी है। पन्ना जिले में बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत बांध निर्माण और नहरों को बनाने में अनियमितता का मामला विधायक मुकेश नायक ने मार्च 2017 में उठाया था। मंत्री ने आश्वासन दिया था कि कार्यपालन यंत्री और अनुविभागीय अधिकारी व उपयंत्री को सस्पेंड किया है। उनकी विभागीय जांच चल रही है। इस मामले में आगे की कार्रवाई से विधानसभा को अवगत नहीं कराया है। मुकेश नायक ने एक अन्य मामला पन्ना के बिलखुरा और सिरस्वाहा बांध टूटने का उठाया था। जिस पर 2 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, और अफसरों पर कार्रवाई के बाद जानकारी देने के लिए कहा था। मार्च 2018 के सवाल पर दिए गए आश्वासन का जवाब अब तक विधानसभा को नहीं भेजा है। प्रदेश में सडक़ निर्माण के ई-टेंडर में हुई गड़बड़ी और अनियमितता का मामला विधायक हर्ष विजय गहलोत ने अगस्त 2021 में विधानसभा सत्र में उठाया था। इस पर जांच जारी होने और कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने की जानकारी दी गई लेकिन इसके बाद आगे की कार्यवाही को लेकर दिए गए आश्वासन का जवाब विधानसभा नहीं पहुंचा है।
आश्वासनों में अटके कई मामले
मप्र विधानसभा में परंपरा बन गई है कि मंत्री जिन सवालों का जवाब देने का आश्वासन देते हैं उनका अधिकारी जवाब नहीं दे रहे हैं। पूर्व विधायक केपी सिंह कक्काजू ने शिवपुरी जिले में उर परियोजना नहर निर्माण में आने वाले किसानों की जमीनों के मुआवजा भुगतान नहीं होने पर विभाग का जवाब था, भुगतान की कार्यवाही प्रक्रियाधीन। दिनेश राय मुनमुन में हैदराबाद की मेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी को जल संसाधन विभाग द्वारा भुगतान में अनियमितता पर कार्यवाही के सवाल पर कहा-कार्यवाही नियमानुसार की जा सकेगी। पूर्व सदस्य राकेश मावई ने ग्वालियर, दतिया एवं भिंड जिलों में प्रस्तावित रतनगढ़ नहर परियोजना में हुई अनियमितता की जांच कराया जाना। नियम विरुद्ध भुगतान, जांच प्रतिवेदन पर कार्रवाई की जाएगी। राज्यवर्धन सिंह ने राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ अंतर्गत पार्वती परियोजना से प्रेशराइज्ड पाइप सिंचाई प्रणाली में अनियमितता की जांच कराने पर विभाग ने जवाब दिया, जांच समिति गठित, प्रतिवेदन अपेक्षित। डॉ. हीरालाल अलावा ने मांग की थी कि धार जिले के मनावर विधानसभा क्षेत्र में ग्राम काकडदा से बहदरा, सुरानी, नीलदा, धोलीबाड़ी, पठा-करोदियाखुर्द, जमानिया मोटा, पिपलिया मोटा, मंडावादा से पाडला तक सिंचाई के लिए परियोजनाओं जलाशय नहरों से लाभ दिए जाने और नलजल योजना जलजीवन मिशन के तहत पानी पहुंचाने पर शीघ्र कार्यवाही करने की मांग की गई थी। इस पर मंत्री ने जवाब दिया था सरकार परीक्षण कराएगी। यह आश्वासन अभी तक पूरा नहीं हुआ है। ऐसे करीब सिंचाई परियोजनाओं में भ्रष्टाचार और सिंचाई प्रोजेक्ट प्रारंभ करने के 100 से अधिक आश्वासन जंल संसाधन विभाग में पेंडिंग हैं।