सरकार की फजीहत हुई तो गिरी गुप्ता पर गाज

डीपी गुप्ता
  • सौरभ शर्मा के खिलाफ छापेमारी का असर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में करोड़ों की संपत्ति के जब्ती के बाद परिवहन विभाग में बड़ा फेरबदल हुआ है। पूर्व आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी के बाद सरकार की हो रही फजीहत के बाद परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता पर गाज गिरी है। 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी डीपी गुप्ता को एडीजी पुलिस मुख्यालय नियुक्त किया गया है। गुप्ता फरवरी 2024 में परिवहन आयुक्त बने थे। उनकी जगह 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी विवेक शर्मा को नया परिवहन आयुक्त बनाया गया है। गौरतलब है कि परिवहन विभाग पिछले कुछ सालों से लगातार विवादों में रहा है। परिवहन उपायुक्त उमेश जोगा के तबादले के बाद से ही लगातार विवाद उठते रहे हैं। परिवहन आयुक्त रहते हुए गुप्ता और जोगा में खींचतान थी। दोनों साथ नहीं बैठते थे। परिवहन आयुक्त ज्यादातर समय भोपाल कैंप ऑफिस में रहते, जबकि जोगा ग्वालियर परिवहन आयुक्त कार्यालय से काम करते। सौरभ शर्मा और आरटीओ बैरियर से कमाई का विवाद उठा, तब भी गुप्ता निष्क्रिय बने रहे। राज्य सरकार ने परिवहन पर लगे दाग को धोने के लिए सबसे पहले आयुक्त को हटाया है। गौरतलब है कि 29 अगस्त 2016 को सौरभ की परिवहन विभाग में दो साल के लिए अस्थाई नियुक्ति हुई। परिवीक्षा अवधि के दौरान ही सौरभ सांठगांठ का उस्ताद बन गया। इस दौरान ही उसने ऐसी सांठगांठ की कि 7 साल चांदी कूटता रहा। सवाल खड़े हो रहे हैं कि उसके ऊपर कितने रसूखदारों का हाथ था।
डायरी से होगा घूसखोरी के नेटवर्क का खुलासा
गौरतलब है कि लोकायुक्त के बाद ईडी और आयकर विभाग भी सौरभ शर्मा की काली कमाई की टोह में जुट गए है। जांच एजेंसियों के छापों के बीच एक गोपनीय डायरी ने हलचल मचा रखी है। 66 पेज की इस हरी डायरी में परिवहन विभाग के कथित लेनदेन का विवरण दर्ज है। बताया जा रहा है कि इसमें विधायकों और मंत्रियों के नाम के साथ कथित दाम भी लिखा है। इसके अलावा, कुछ नौकरशाहों और पार्टी पदाधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। आशंका जताई जा रही है कि इस डायरी के जरिए घूसखोरी के नेटवर्क का खुलासा हो सकता है।
डायरी में कई रसूखदारों के नाम
जानकारी के अनुसार सौरभ शर्मा के यहां मिली डायरी उसके काले कारोबार की सबसे बड़ी राजदार है। डायरी में कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया है। उदाहरण के लिए, बी, यू, और जी जैसे शब्दों के साथ रकम लिखी गई है। इनमें से जी और यू को वीआईपी श्रेणी के रूप में चिह्नित किया गया है। कुछ विधायकों के पूरे नाम भी दर्ज हैं। जानकारी के मुताबिक, भाजपा के 10 और कांग्रेस के 7 विधायकों के नाम सूची में हैं। अधिकतर नाम सीमावर्ती जिलों से संबंधित हैं, जहां टोल नाकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। इसके अलावा, 12 अधिकारियों के नाम भी हैं। कुछ नामों के आगे चेतन, प्यारे और एक्स लिखा गया है, जिन्हें कथित तौर पर बिचौलिये के रूप में देखा जा रहा है। वहीं इस डायरी पर सियासत भी तेज हो गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने डायरी सार्वजनिक कर उसका सत्यापन कराने की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि डायरी 2000 करोड़ रुपए से अधिक के लेन-देन का दस्तावेज है। पटवारी ने सरकार व एजेंसियों पर आरोप लगाया कि वे इस डायरी को छुपाने की कोशिश कर रही हैं। गौरतलब कि पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव पहले ही कह चुके हैं कि इस डायरी में चाहे जिसका नाम निकले, उनका नाम नहीं हो सकता है।

Related Articles