जब ‘रोका’ हो गया था तो शादी से ना नुकर क्यों कर रहे थे सिंघार

उमंग सिंघार

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। तीन दिन पहले पूर्व मंत्री और मौजूदा कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार की महिला मित्र सोनिया भारद्वाज द्वारा की गई खुदकुशी का मामला जांच शुरू होने के बाद उलझता ही जा रहा है। इस मामले में सवाल यह बना हुआ है कि जब उन दोनों के बीच रोका हो चुका था और वे लिव इन में रह रहे थे , तब आखिर क्या वजह है कि सोनिया ने खुदकुशी जैसा बड़ा कदम उठा लिया। पुलिस फिलहाल सिंघार के खिलाफ खुदकुशी के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज कर चुकी है। दरअसल पुलिस द्वारा मृतका के मोबाइल फोन की जांच में जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक उन दोनों के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा था। इसको लेकर कुछ आॅडियो व वीडियो चैट मिले हैं।
इनसे प्रताड़ना की बात सामने आ रही है। पुलिस ने प्रकरण दर्ज करने के लिए मृतका के पास से मिले सुसाइड नोट, उसके बेटे और मां के बयानों को मुख्य आधार बनाने की बात कही है, उधर इस मामले में पुलिस ने मृतका के पुत्र और मां के बयान तो दर्ज कर लिए हैं , लेकिन अब तक उनके बयान कोर्ट में 164 के तहत दर्ज नहीं कराए हैं। उधर पुलिस ने मृतका के दोनों मोबाइल अपने कब्जे में ले लिए हैं। इनकी जांच में पुलिस को कई अहम सुराग मिले हैं, जिसके आधार पर जांच को आगे बढ़ाने में पुलिस को बड़ी मदद मिल सकती है। इस मामले में सबसे अहम कड़ी माना जा रहा मृतका का बेटा आर्यन पुलिस की जांच में बड़ी बाधा बनता जा रहा है। दरअसल पुलिस उसके और उसकी नानी को बतौर गवाह बनाने की तैयारी में थी, लेकिन वह सिंघार के खिलाफ कुछ भी बोलने से न केवल बच रहा है बल्कि उनके पक्ष में लगातार बयान दे रहा है। इसके अलावा मृतका की मां ने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है। इस मामले में सर्वाधिक अहम मृतका के बेटे आर्यन, सिंघार के नौकर गणेश का बयान है। इन दोनों को लेकर अभी से माना जा रहा है कि वे पुलिस के इतर सिंघार के पक्ष में ही बयान दे सकते हैं, ऐसे में मृतका को न्याय मिलने पर सवाल अभी से खड़े होने लगे हैं। ज्ञात हो कि दो दिन पहले सिंघार के शाहपुरा स्थित बंगले में अंबाला निवासी 39 वर्षीय सोनिया ने फांसी लगाकर खुदकुशी की थी। सोमवार को शाहपुरा पुलिस ने सिंघार के खिलाफ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज कर लिया था। इस मामले के सामने आने के बाद कुछ नेता और  मीडिया से जुड़े लोग सिंघार के पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं। पुलिस द्वारा मौके से बरामद सुसाइड नोट को क्यूडी शाखा में जांच के लिए अब हैंड राइटिंग एक्सपर्ट के पास भेजा जा रहा है जिससे कि उसे मृतका द्वारा लिखे जाने की पुष्टि हो सके। इसके अलावा पुलिस द्वारा बरामद किए गए मृतका के दोनों मोबाइल की कॉल डिटेल, वाट्सएप चैटिंग, मैसेज जैसे मुख्य साक्ष्य के रुप में मान रही है।
इसके लिए मोबाइल की भी जांच कराने की तैयारी की जा रही है। फिलहाल इस मामले में अभी कई पेंच नजर आ रहे हैं। इन्हें सुलझाने में पुलिस को कई बड़ी चुनौतियों को सामना करना होगा। हालांकि आर्यन सुसाइड नोट की राइटिंग अपनी मां की होने की पुष्टि  पुलिस से कर चुका है। फिलहाल पुलिस अब आर्यन को केस का एक्स्ट्रा विटनेस मान रही है। पुलिस का कहना है कि उसके पास इसके अलावा और भी साक्ष्य हैं। पुलिस मामले में विवेचना कर रही है। साक्ष्य संकलित किए जा रहे हैं। विवेचना पूर्ण होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट में जिन लोगों के बयान होने हैं, जल्द ही करा दिए जाएंगे। उधर, इस मामले में पुलिस का कहना है कि सुसाइड नोट को जांच के लिए भेजा जाएगा। उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर निष्पक्ष कार्यवाही होगी।
आर्यन नहीं चाहता कोई कार्रवाई
मृतका के बेटे आर्यन ने अब तक मीडिया के सामने इस मामले में पूर्व मंत्री सिंघार के खिलाफ कुछ भी नहीं बोला है। खास बात यह है कि उसके द्वारा शाहपुरा थाने में दर्ज केस को बंद करने की डीजीपी विवेक जौहरी से भी अपील की गई है। इसको लेकर आर्यन द्वारा एक पत्र भी डीजीपी को लिखा गया है। इसमें उसके द्वारा एफआईआर रद्द करने की मांग की गई है। उसका कहना है कि बिना सबूत के एफआईआर दर्ज की गई है। मुझे लगता है कि मां की मौत पर राजनीति हो रही है। मैंने अपने बयान में ऐसा कुछ नहीं कहा कि उमंग सिंघार दोषी हैं। मां के बाद अब वे ही मेरे पालक की तरह हैं।
कार्रवाई के विरोध में डीजीपी से मिला कांग्रेस विधायकों का दल
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक व पूर्व मंत्री उमंग सिंघार के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द किए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस विधायकों के एक प्रतिनिधि मंडल ने डीजीपी विवेक जौहरी से मुलाकात की है। उनके द्वारा इस दौरान दो पेज का आवेदन देकर कहा गया कि मृतका की मां और बेटे का कहना है कि इसमें उमंग शामिल नहीं हैं, इसलिए वे कार्रवाई नहीं चाहते हैं। सुसाइड नोट में साक्ष्य जैसा कुछ नहीं है, फिर बिना सबूत के एफआईआर क्यों? इसलिए दर्ज एफआईआर रद्द की जाए। प्रतिनिधि मंडल में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, पीसी शर्मा, विधायक प्रवीण पाठक, आरिफ मसूद और मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता शामिल थे।

Related Articles