- सरकार की उपार्जन नीति में नहीं बढ़ी महिलाओं की भागीदारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में 15 मार्च से गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है, जो 5 मई तक चलेगी। इस बीच, राज्य सरकार ने महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने के उद्देश्य से उपार्जन नीति में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेंहू की खरीद में महिलाओं को मौका देने के लिए महिला स्व-सहायता समूहों और ग्राम संगठकों को काम देने का प्रावधान किया गया है।
लेकिन विडंबना यह है कि प्रदेश के 55 जिलों में से मात्र 9 जिलों में ही महिला स्व-सहायता समूहों को गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीदी का काम मिल पाया है। जिन जिलों में काम मिला है, उसमें भोपाल में 17 महिला एसएचजी, सीहोर में 12, शाजापुर में 8, देवास में 9, राजगढ़ में 4, बैतूल में 9, हरदा में 3, आगर-मालवा में 12 और अशोक नगर में 2 महिला समूहों को खरीदी का काम मिला है।गौरतलब है कि उपार्जन नीति में यह कहा गया है कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है। महिला स्व-सहायता समूहों या ग्राम संगठकों को उपार्जन का काम देने के लिए प्रक्रिया निर्धारित कर निर्देश जारी किए गए हैं। इसके लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत रजिस्टर्ड महिला स्व-सहायता समूहों या ग्राम संगठकों का एक वर्ष पहले का पंजीयन होना चाहिए। साथ ही समूह या संगठकों के बैंक खाते में कम से कम 2 लाख रुपये जमा होना अनिवार्य है। एक शर्त यह भी रखी गई है कि समूह ने पिछले एक साल में नियमित रूप से बैठकें बुलाई हों और समूह में सभी सदस्य और अधिकारी महिलाएं होना चाहिए। इसके अलावा वर्षों में उपार्जन कार्य में कोई अनियमितता नहीं की गई हो और महिला स्व-सहायता समूहों, ग्राम संगठकों को उपार्जन (खरीद) का काम देने के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत की सिफारिश जरूरी है।
46 जिलों में नहीं मिला काम
गौरतलब है कि राज्य सरकार बार-बार कह रही है कि मप्र में गेहूं खरीदी का काम महिला स्वसहायता समूहों को दिया जाए। प्रदेश में 15 मार्च से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का काम शुरू हो गया, लेकिन उज्जैन समेत 46 जिले ऐसे हैं, जहां किसी भी महिला स्वसहायता समूह को काम नहीं मिला है। उज्जैन के महालक्ष्मी समूह उज्जैनिया, राधाकृष्ण सलामता समूह घट्टिया, महिदपुर खेड़ा खजुरिया की महिला स्वसहायता समूह, स्वास्तिक समूह तारोट, भारतमाता समूह कला पिपलिया और अंजली सहायता समूह नरेलाकला समेत अन्य ने काम नहीं मिलने की शिकायत कलेक्टर, सीओ के साथ भोपाल में खाद्य विभाग से कर दी है। समूह की महिलाओं ने बताया कि पिछले साल उनके समूह ने काफी खरीदी की थी। इस बार हम्माल और मजदूरों को एडवांस पैसा दे दिया गया है, लेकिन खरीदी का काम नहीं मिला। महिलाओं ने कहा कि उज्जैन के साथ इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर की भी यही स्थिति है। कहीं भी महिलाओं को काम नहीं मिला है।
दस्तावेजों का हो रहा मिलान
प्रदेश में गेहूं की खरीदी के लिए गेहूं की खरीदी के लिए3222 खरीदी केंद्र खुल गए हैं। उज्जैन जिले में अब तक 185 केंद्र खुल गए हैं। पूरे प्रदेश में अब तक सिर्फ 76 महिला स्व सहायता समूह को काम मिला है। डीपीएम अमित बृजवानी ने बताया कि अभी समूहों को वितरण नहीं हो पाया है, क्योंकि लगातार शहर में इवेंट चलने से फाइल प्रक्रिया में है। समूह की ओर से दिए गए कागजात अधूरे थे, जिन्हें पूरा करवाने के बाद फाइल आगे प्रक्रिया के लिए बढ़ाई गई है। सीईओ जयति सिंह को फाइल जा चुकी है, वहां से कलेक्टर और उसके बाद शासन के पास जाएगी। इसके बाद मंजूरी आने पर नाम और सेंटर तय होते ही खरीदारी शुरू हो जाएगी। बृजवानी बताया कि उज्जैन जिले में 14 स्व-सहायता समूह चयनित किए गए हैं। इनके दस्तावेज देरी से मिलने के कारण प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो पासी है।