- 14 सालों से बना हुआ है काम शुरु होने का इंतजार
- विनोद उपाध्याय
प्रदेश की शिव सरकार द्वारा रामवन गमन पथ मार्ग के विकास की घोषणा हुए 14 साल का समय हो चुका है, लेकिन इस घोषणा पर अब तक अमल होना शुरु नहीं हो सका है। अब अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है,ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकार अपनी पुरानी घोषणा और चुनावी वादे पर अमल कर सकती है। दरअसल राम वन गमन पथ के आसपास के इलाकों का योजना के तहत विकास किया जाना है। यह विकास भी पर्यटकों के लिए सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया जाना है। इस मामले में बीते 14 सालों में महज पथ की पहचान करने के बाद न्यास को मंजूरी देकर उसका गठन ही किया गया है। न्यास का अध्यक्ष मुख्यमंत्री को बनाया गया है। न्यास का काम केंद्र सरकार की तरफ से प्रदेश में चिह्नित श्री राम वन गमन पथ के 23 स्थलों का विकास करना रहेगा। न्यास को ही कामों के लिए तमाम एजेंसियों का चयन करना है। इस काम को संस्कृति, पर्यटन, पंचायत, नगरीय प्रशासन, लोक निर्माण विभाग सहित अन्य विभाग को करना है।
न्यास में होंगे 33 सदस्य
रामचंद्र पथ गमन न्यास में 33 सदस्य होंगे। इसमें 28 पदेन न्यासी सदस्य होंगे। अशासकीय न्यासियों का अधिकतम कार्यकाल 3 साल का होगा। न्यास में 5 अशासकीय न्यासी सदस्य नामांकित किए जाएंगे, जो भगवान श्री राम के शोध और अध्ययन कार्य से जुड़ेंगे। हालांकि अभी तक न्यास के सदस्यों का भी फैसला नहीं हो सका है।
2007 में की थी घोषणा
1 अक्टूबर 2007 को, शिवराज सिंह चौहान सरकार ने पहली बार वनवास के दौरान भगवान राम द्वारा जिस मार्ग का उपयोग किया गया था, उसके विकास के लिए राम पथ गमन बनाने की घोषणा की गई थी। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने वनवास के 14 वर्षों में से 11 वर्ष मध्य प्रदेश के जंगलों में बिताए थे। जुलाई 2019 में तत्कालीन कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा प्रस्तुत राज्य के बजट में, राम वन गमन पथ के लिए 22 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन मार्च में योजना के अनुसार परियोजना को विकसित करने के लिए आवश्यक धनराशि 600 करोड़ रुपये से अधिक थी। राज्य सरकार ने बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल पर राम वन गमन पथ को विकसित करने के लिए एक कॉरपोरेट घराने को शामिल करने का फैसला किया, लेकिन मामला आगे बढ़ता इससे पहले ही प्रदेश में सत्ता बदल गई।
इन स्थलों का किया गया चयन
भगवान राम चित्रकूट में रहे थे, यहां पर वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरत कूप आदि हैं। चित्रकूट में श्रीराम भ्रमण के कई प्रमाणिक स्थान हैं। रामचरित मानस में इस बात का वर्णन है कि यहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचे थे। यहीं से वह राम की चरण पादुका लेकर लौटे। यहां राम साढ़े ग्यारह साल रहे। इसके बाद सतना, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, विदिशा के वन क्षेत्रों से होते हुए वह दंडकारण्य चले गए। जबलपुर, शहडोल होते हुए राम अमरकंटक भी गए थे, जहां से वे छत्तीसगढ़ चले गए थे। चित्रकूट से अमरकंटक के बीच 10 स्थानों की विकास योजनाओं में तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशालाओं का निर्माण करना भी विकास कामों में शामिल है।