भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का स्कूल शिक्षा विभाग अपने अफसरों की कार्यशैली की वजह से हमेशा ही सुर्खियों में रहता है। अब एमपी बोर्ड की दसवीं कक्षा के तकरीबन 11 लाख से अधिक विद्यार्थियों को पास करने का प्रस्ताव प्रमुख सचिव के पास अटका होने से यह मामला तूल पकड़ रहा है। वहीं इस पर कोई निर्णय नहीं होने से विद्यार्थियों में भी बैचेनी है। सूत्रों की मानें तो एमपी बोर्ड के विद्यार्थियों का रिजल्ट आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर तैयार किए जाने का निर्णय लेने की संभावना बन रही है। बहरहाल प्रमुख सचिव के आदेश जारी करने के बाद ही दसवीं बोर्ड के विद्यार्थियों को पास करने के संबंध में स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। हालांकि दूसरी ओर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने दसवीं के विद्यार्थियों का परिणाम बीस जून तक घोषित किए जाने की घोषणा कर दी है।
कोरोना की वजह से रद्द करना पड़ी परीक्षाएं
उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए इस वर्ष 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द की जा चुकी हैं। वहीं 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा यह फैसला छात्रों एवं शिक्षकों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए लिया गया है। इससे पहले सीबीएसई ने दसवीं बोर्ड के रिजल्ट के लिए अपने सभी स्कूलों को एक फार्मेट भेजा था। इस फार्मेट में स्कूल में हुए सालभर के प्रोजेट वर्क, असाइनमेंट आदि की जानकारी मांगी गई थी। इसके आधार पर ही अब फाइनल रिजल्ट तैयार किया जाएगा।
अंकों में हेरफेर करने पर सजा का प्रावधान
सीबीएसई स्कूलों के खिलाफ गलत अंक देने पर सख्त कार्यवाही करने का भी प्रावधान किया गया है। यानी किसी स्कूल में पक्षपात पूर्ण रवैयेकी शिकायत मिलती है तो सीबीएसई बोर्ड ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। यही नहीं ऐसे स्कूलों पर या तो जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर उनकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के मुताबिक सभी स्कूलों को अपने रिजल्ट से जुड़ी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन अपलोड करनी होगी। दरअसल ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है ताकि रिजल्ट की प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी रखा जा सके। वहीं जो छात्र इस माध्यम से मिले नंबरों से खुश नहीं होंगे, उन्हें एग्जाम देकर अंक हासिल करने का मौका दिया जा सकता है।
संबंधित विषय के शिक्षकों की समिति
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूलों को परिणाम को अंतिम रूप देने के लिए प्रिंसिपल और सात शिक्षकों वाली एक परिणाम समिति बनाने को कहा है। इस समिति में गणित, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और दो भाषाओं के शिक्षक होना जरूरी है। यही नहीं इस समिति में पड़ोसी स्कूलों के दो शिक्षकों को बाहरी सदस्यों के रूप में भी चुना जाएगा।