विभागों के डिजिटलाइजेशन की पोल खोल रही हैं वेबसाइट्स

डिजिटलाइजेशन
  • सीएम और मंत्रियों तक के नाम नहीं किए गए अपडेट

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के विभाग और उसके अफसरों की कार्यशैली समझनी हो तो संबंधित विभागों की वेबसाइटें देख लें। अफसरों से लेकर जिम्मेदार तक कितने अपडेट हैं या फिर प्रदेश सरकार को लेकर कितने गंभीर हैं, इसकी पोल यह वेबसाइटें खुद खोल देती हैं। हद तो यह है कि कई विभागों के वेबसाइटें अब भी प्रदेश का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बता रही हैं, तो मंत्रियों की बात ही छोड़ दी जाए। प्रदेश में ऐसी स्थिति लगभग हर विभाग की है। इससे  सुशासन और डिजिटलाइजेशन की पोल खुद ही खुल जाती है। जिम्मेदारों को यह भी चिंता नहीं है कि इंटरनेट के इस युग में जब दूसरे प्रदेश के लोग अपडेट होने के लिए या फिर जानकारी के लिए  संबंधित विभागों की वेबसाइट खोलते होंगे तो, उनके मन में कैसी छवि बनती होगी। छवि की चिंता से बेखौफ होने की वजह से ही प्रदेश के 53 विभागों की वेबसाइट और पोर्टल अपडेट नहीं है। इसका खुलासा खुद सरकारी वेबसाइट और पोर्टल के ऑडिट में हुआ है। हैरत की बात है कि कुछ दिनों पहले गृह विभाग के तीन एडीजी अफसरों के साथ बैठक की गई थी। यह बैठक साइबर सिक्योरिटी और आडिट के लिए बुलाई गई थी। सरकारी पोर्टल और वेबसाइट का सिक्योरिटी ऑडिट करने का फैसला किया गया । पड़ताल में जानकारी सामने आई है कि खुद गृह विभाग की वेबसाइट में कोई भी नई जनहित की जानकारी या सूचना अपलोड नहीं की गई है। गृह विभाग की खुद की वेबसाइट पर भी 2018 के बाद से कोई भी जानकारी नहीं डाली गई है। हद तो यह है कि उस पर मुख्यमंत्री मोहन यादव की तस्वीर तक नजर नहीं आती है। उसमें महज एसीएस, पीएस और सचिव की तस्वीरें ही नुमाया होती हैं, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट अटैकर्स के चलते बंद ही है।
    इस तरह के हैं हाल
    खनिज साधन विभाग की वेबसाइट खुल ही नहीं रही है। सहकारिता विभाग की वेबसाइट पर सीएम और मंत्री की तस्वीर जरूर लगी है। साल जनवरी 2023 के बाद कोई में सूचना नहीं अपलोड की गई है। नगरीय विकास और आवास विभाग को वेबसाइट काम फिलहाल जारी है। इसलिए कुछ दिनों के लिए बंद किया गया है। स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर अब भी पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की जानकारी है। इसके अलावा विभाग के मंत्री भी प्रभुराम चौधरी हैं। जबकि अब मुख्यमंत्री मोहन यादव हैंऔर विभाग के मंत्री राजेंद्र शुक्ला हैं। इससे समझा जा सकता है कि इस विभाग में काकाज का ढर्रा कैसा है। विभाग ने बीते माह से कोई भी जानकारी वेबसाइट पर साझा ही नहीं की है। नर्मदा घाटी विकास, सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग की साइट तो बंद ही पड़ी हुई है, जबकि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग अब भी अब भी विभागीय मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री मनता नजर नहीं आता है। मंत्री तुलसीराम सिलेक्ट को पिछली सरकार में मत्स्य विभाग दिया गया था, लेकिन इस बार सिर्फ जल संसाधन विभाग ही उनके पास है। इसके बाद भी मत्स्य विभाग की वेबसाइट अब भी उन्हें ही विभाग का मंत्री बता रही है। अब यह विभाग बतौर मंत्री के रूप में नारायण सिंह पंवार के पास है।
    भारी खर्च के बाद है, यह हालत
    सूत्रों के अनुसार सरकार हर साल विभागों को  डिजिटल मोड पर रखने के लिए टेक्निकल टीम पर लाखों रुपए खर्च करती है।  इसके अलावा रखरखाव के नाम पर भी करोड़ों रुपए खर्च किए जाते है। सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के साथ ही ऑपरेटिंग सिस्टम का खर्च अलग से किया जाता है। फिर भी वेबसाइट और पोर्टल में जनता से जुड़ी जानकारी नहीं दी जाती है। इसके अलावा उन्हें रियल टाइम पर अपडेट तक करने की जहमत नहीं उठाई जाती है। यही नहीं कई विभागों की वेबसाइट पर तो विभाग की योजनाओं की जानकारी तक अपडेट नहीं है। अधिकतर विभागों में फोटो और कौन क्या है यह जानकारी तो अपडेट कर दी जाती है, पर विभिन्न गतिविधियां, रिपोट्र्स, आंकड़े वर्षों पुराने हैं। यहां तक कि सीएम डैशबोर्ड में भी कई विभागों ने पुराने आंकड़े दर्ज कर रखे हैं, जिससे लोग गुमराह हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि विभाग यदि अधिक से अधिक जानकारी सार्वजनिक करें, तो सूचना के अधिकार के अंतर्गत जानकारी मांगने के लिए आवेदन कम आएंगे। आमजन को भी सुविधा हो जाएगी।
    जानकारी अपडेट करने के राइट्स
    प्रदेश सरकार के सभी विभागों में उप संचालक या संयुक्त संचालक स्तर के अधिकारी को आइटी की जिम्मेदारी दी गई है। उनके अधीन सलाहकार (आइटी) काम करते हैं। उप संचालक और सलाहकार स्तर के अधिकारियों के पास पोर्टल में लॉग-इन करने का अधिकार रहता है। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर जानकारी अपडेट करने की जिम्मेदारी उनकी रहती है।

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