- पुरानों की जगह अब नए चेहरे नजर आने लगे हैं पीसीसी में
- कांग्रेस विधायकों का फोकस अब अपने क्षेत्रों पर
भोपाल/गौरव चौहान/ बिच्छू डॉट कॉम । भले ही प्रदेश में आम विधानसभा चुनाव होने में एक साल से अधिक का समय बचा हुआ है, लेकिन कमलनाथ ने पार्टी के माननीयों को अभी से अपने -अपने विधानसभा क्षेत्रों में पूरी तरह से सक्रिय होने का फरमान दे दिया है। इसके साथ ही प्रदेश स्तर पर भोपाल में रहकर संगठन के कामकाज में सक्रिय विधायक घरों को लौटकर फील्ड में सक्रिय हो गए हैं। दरअसल इसके पीछे कमलनाथ द्वारा हर छह माह में कराए जाने वाले सर्वे को बड़ी वजह बताया जा रहा है। इस सर्वे में करीब एक तिहाई विधायकों की स्थिति उनके विधानसभा क्षेत्रों में अच्छी नहीं बताई गई है। इनमें कई दिग्गज विधायक भी शामिल हैं। दरअसल कमलनाथ विधानसभा चुनाव की तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। उन्हें पता है की इस बार भी भाजपा से चुनाव में कड़ी चुनौति मिलने वाली है।
बीते विधानसभा चुनाव के बाद भले ही कमलनाथ प्रदेश में सरकार बनाने में सफल रहे थे, लेकिन उन्हें इसके लिए दूसरे दलों के अलावा निर्दलीय विधायकों की भी मदद लेनी पड़ी थी और पार्टी में हुई बगावत की वजह से आखिरकार 15 माह में ही सरकार से बाहर होना पड़ गया था। इस तरह की स्थिति से सबक लेते हुए ही इस बार नाथ द्वारा अभी से कोई कसर नहीं छोड़ने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। अब तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की कोर टीम के सदस्यों में शामिल विधायक सज्जन सिंह वर्मा, एनपी प्रजापति, बाला बच्चन, डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ, रवि जोशी व लखन घनघोरिया लगभग पूरे समय ही भोपाल में कमलनाथ के साथ नजर आते रहे हैं। यही नहीं इन नेताओं की सलाह पर ही पीसीसी चीफ संगठन से लेकर अन्य राजनैतिक निर्णय किया करते थे। यही नहीं इनमें से अधिकांश नेताओं को बाल कांग्रेस, घर-घर चलो अभियान, मंडलम सेक्टर के गठन आदि की भी जिम्मेदारियां दे रखी थीं। अब इन नेताओं से संगठन संबंधी जिम्मेदारी भी वापस ली जा रही हैं, इसी कड़ी में एनपी प्रजापति से मंडलम, सेक्टर के गठन संबंधी और बाला बच्चन से बाल कांग्रेस की जिम्मेदारी वापस ले ली गई है। सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ ने मार्च-अप्रैल में अपने विधायकों का जो सर्वे कराया था, उसमें इनमें से भी कुछ विधायकों की बहुत अच्छी स्थिति नहीं पाई गई।
यही वजह है कि कमलनाथ ने इन सभी नेताओं को भोपाल की बजाय उनके विधानसभा क्षेत्रों में पूरी ताकत से सक्रिय रहने को कह दिया है। इसके साथ ही अब इन विधायकों की जगह वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को कमलनाथ की कोर टीम में शामिल करना शुरू कर दिया है। इनमें पार्टी के कोषाध्यक्ष अशोक सिंह, सेवा दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र जोशी, पूर्व संगठन महामंत्री चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी आदि के नाम शामिल हैं। यही वजह है की इन नेताओं ने अब पीसीसी में अपनी आवाजाही बढ़ा दी है। जिम्मेदारियों में किए गए बदलाव के बाद अब अशोक सिंह को मंडलम, सेक्टर व पोलिंग बूथ के गठन की और महेंद्र जोशी को बाल कांग्रेस का जिम्मा सौंपा जा चुका है। बताया जा रहा है की आने वाले दिनों में कुछ और अनुभवी नेताओं को संगठन और चुनाव संबंधी जिम्मेदारी प्रदान कर दी जाएगी। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि विधायकों और चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं से संगठन संबंधी जिम्मेदारी वापस ली रही हैं, ताकि वे चुनाव पर पूरा ध्यान केन्द्रित कर सकें। उनके स्थान पर ऐसे नेताओं को संगठन का कामकाज सौंपा जा रहा है, जिनकी चुनाव लड़ने में कोई रुचि नहीं है, ताकि वे पूरी ताकत से संगठन का कामकाज कर सकें।
दिल्ली की रैली में शामिल होंगे 50 हजार कार्यकर्ता
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी देश में लगातार बढ़ रही महंगाई और बेरोजगारी के विरोध में 4 सितंबर को नई दिल्ली के रामलीला मैदान पर महारैली का आयोजन करेगी। महारैली में मप्र से 50 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं के शामिल होने का लक्ष्य रखा गया है। मप्र कांग्रेस उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर ने बताया कि रैली को सफल बनाने के लिए सभी जिलाध्यक्षों और विधायकों को निर्देश जारी किए गए हैं। उनसे कहा गया है कि वे 4 सितंबर को अधिक से अधिक पार्टी कार्यकतार्ओं को लेकर दिल्ली पहुंचे। ग्वालियर चंबल संभाग के जिलों को बड़ा लक्ष्य दिया गया है, क्योंकि वहां से दिल्ली की दूरी कम है।
लगातार करा रहे सर्वे
पीसीसी प्रमुख कमलनाथ द्वारा बीते दो सालो से हर छह माह में अपने विधायकों के साथ ही हर विधानसभा क्षेत्र का सर्वे कराया जा रहा है। इस सर्वे की रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद ही उनके द्वारा कई तरह के फैसले लिए जा रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट में पार्टी के किस विधायक की क्या स्थिति है, यह भी संबधित विधायक को बताकर उसे चेताया भी जाता है। हाल ही में हुए निकाय चुनाव में भी नाथ ने सर्वे रिपोर्ट पर अधिक भरोसा करते हुए महापौर प्रत्याशी के नामों का चयन किया था। इसके परिणाम भी पार्टी के लिए सुखद रहे हैं। पार्टी ने एक साथ पांच बड़े शहरों में कई दशकों के बाद महापौर के पद पर जीत दर्ज की है। यही नहीं दो शहरों में पार्टी महज चंद मतों से ही हारी है। नाथ चुनाव से पहले एक और सर्वे करा सकते हैं, जिसके आधार पर ही टिकटों का फैसला किया जाएगा। दरअसल नाथ नेतओं की सिफारिश व उनके करीबियों की जगह उन कार्यकर्ताओं को ही टिकट देने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, जो अपने इलाकों में भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
02/09/2022
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