भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। बीते एक दशक से राजधानी में जारी वॉटर सप्लाई नेटवर्क तैयार करने का काम अब आधा अधूरा पड़ा हुआ है। इस पर अब तक करीब नौ सौ करोड़ रुपए खर्च हो चुका है लेकिन लोगों को घर पर पानी नहीं दिया जा सका है। खास बात यह है कि इस काम में लगातार हो रही देरी की वजह से उसकी लागत बढ़ती जा रही है और लोगों की परेशानी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। दरअसल जिम्मेदार अफसर ठेका लेने वाले लोगों या कंपनियों पर इतने अधिक मेहरबान रहते हैं कि यह कंपनियां अपनी सुविधानुसार काम करती हैं।
अफसरों की मेहरबानी से काम में होने वाली देरी की वजह से योजनाओं की लागत बढ़ती जाती है, जिसकी वजह से सरकारी खजाने पर तो अतिरिक्त भार बाढ़ ही जाता है साथ ही आम आदमी को भी समय पर इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। इस पर अभी केन्द्र की अमृत योजना के तहत 450 करोड़ की लागत के कई काम कराए जा रहे हैं। इसके बाद भी हर घर तक पाइप लाइन से पानी नहीं पहुंच पा रहा है। यह हाल तब बने हुए हैं, जबकि घरों तक पाइप लाइन बिछाने और मीटर कनेक्शन लगाने के नाम पर साढ़े पांच सौ करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा चुकी है। शहर का जलप्रदाय नेटवर्क तैयार करने का काम जेएनएनयूआरएम योजना के तहत शुरू किया गया था। इसके तहत 415 करोड़ रुपए से अधिक लागत के काम किए गए।है। इसके लिए एशियाई विकास बैंक और हुडको से कर्ज लेकर कुछ क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाने का काम किया गया है।
एक नए प्रोजेक्ट की तैयार की जा रही है डीपीआर
केंद्र की एक और योजना वॉटर सप्लाई व अन्य कार्यों के लिए आई है। जल जीवन मिशन शहरी में राजधानी के लिए करीब एक हजार करोड़ रुपए मिल सकता है। इससे वॉटर सप्लाई व सीवेज सिस्टम के अलावा जलस्त्रोतों को पुनर्जीवित और ग्रीन एरिया विकसित किए जाएंगे। इस योजना में केंद्र सरकार से 25 फीसदी राशि मिलेगी। बाकी पैसा राज्य और नगर निगम को मिल कर खर्च करनी होगी।
लगातार बढ़ती जा रही है लागत
शहर में जलप्रदाय व्यवस्था अच्छी बनाने के लिए 2015 में अमृत योजना में 450 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे। इस राशि से उन क्षेत्रों में व्यवस्था बनाई जानी थी , जो इलाके अब तक पेयजल के सिस्टम से नहीं जुडे थे। इन इलाकें में पानी सप्लाई के सिस्टम को तैयार करने पर करीब 263 करोड़ रुपए खर्च किया जा रहा है। इसमें मनुआभान टेकरी पर 50 एमएलडी क्षमता का ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण और बड़े तालाब से 5.5 किमी पाइप लाइन बिछाने का काम शामिल है। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में पानी सप्लाई के लिए 23 टंकियों का निर्माण भी शामिल है। इसके तहत भौरी में भी तालाब से रोजाना दस मिलियन लीटर पानी देने का काम जारी है। यह काम पूरा हो चुका है। इसी तरह से कोलार की तीन दशक पुरानी पाइप लाइन बदलने का काम 136 करोड़ रुपए की लागत से शुरू किया गया था, जो तय समय के बाद भी आधा अधूरा है। इसकी वजह से इस काम की लगात में अब तक 150 करोड़ रुपए की वृद्वि हो चुकी है। यह बात अलग है कि कुछ हिस्सों में इस नई लाइन से सप्लाई शुरू हो चुकी है , लेकिन कोलार से जुड़े बाकी हिस्सों में लीकेज की समस्या से अब तक छुटकारा नहीं मिल पा रहा है, जिसकी वजह से जलसंकट की समस्या अभी भी बरकरार है। इसी तरह से केरवा प्रोजेक्ट के काम की गति भी बेहद धीमी बनी हुई है। इस काम की बेहद धीमी गति के बाद भी नगर निगम प्रशासन ठेके वाली कंपनियों पर नकेल कसने में नाकाम बना हुआ है।
30/01/2022
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