2000 करोड़ रुपए अतिरिक्त मिलने की उम्मीदों पर फिरा पानी

राज्य सरकार

राज्य सरकार द्वारा केंद्र को भेजे गए प्रस्ताव में आठ फीसदी से अधिक हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की गई थी

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
आर्थिक संकट का सामना कर रही मप्र सरकार आय वृद्धि के तमाम प्रयास कर रही है। इन प्रयासों के तहत प्रदेश सरकार को उम्मीद थी कि केन्द्रीय करों में राज्य को हिस्से के रुप में इस बार अतिरिक्त रुप से चार हजार करोड़ मिल जाएंगे , लेकिन केन्द्र द्वारा राज्य द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को आधा अधूरा ही स्वीकार किया , जिसकी वजह से प्रदेश को दो हजार करोड़ रुपए ही अतिरिक्त मिल सकेंगे। दरअसल बीते साल केंद्रीय करों में मप्र का हिस्सा कम कर दिया गया था , जिसकी वजह से इस साल प्रदेश सरकार ने 15वें वित्त आयोग से केंद्रीय करों में मप्र की हिस्सेदारी बढ़ाए जाने का आग्रह किया था। राज्य सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में आठ फीसदी से अधिक हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की गई थी। इस पर आयोग ने मप्र की हिस्सेदारी को 7.85 फीसदी तक ही स्वीकार किया है। इस वजह से चार हजार की जगह अब मप्र को केंद्रीय करों में दो हजार करोड़ रुपए ही अतिरिक्त रुप से मिल सकेंगे। 14वें वित्त आयोग ने मप्र के लिए केंद्रीय करों में हिस्सेदारी 7.54 फीसदी तय कर दी थी , जिस पर प्रदेश सरकार द्वारा गहरी आपत्ति जताई गई थी। इसके बाद 15वें वित्त आयोग गठित होने पर राज्य सरकार ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से लगातार पत्राचार करते हुए यह सीमा 8 फीसदी से अधिक करने की मांग की गई थी। इसकी वजह से अब वित्त आयोग द्वारा केंद्रीय करों में मप्र की हिस्सेदारी को वर्ष 2020-21 से लेकर 2025-26 की अवधि तक के लिए 7.85 फीसदी निर्धारित कर दी गई है। इस तरह इसमें .31 फीसदी तक की वृद्धि की गई है। इससे राज्य सरकार को केंद्रीय करों से मिलने वाली राशि में करीब दो हजार करोड़ रुपए का फायदा होगा।
इस वर्ष मप्र को मिलेंगे 52 हजार 246 करोड़
बीते वित्त वर्ष में भले ही मप्र को केंद्रीय करों की हिस्सेदारी से बड़ा नुकसान हुआ , लेकिन इस वित्त वर्ष में मप्र को कुछ राहत रहने वाली है। अब देश और प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां पहले के मुकाबले बेहतर हुई हैं। मप्र ने आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर आत्मनिर्भर मप्र का रोडमैप तैयार किया है, जिससे कि मप्र को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सके। हालांकि अब एक बार फिर देशभर में कोरोना संक्रमण के मप्र ने भी कोरोना कर्फ्यू लगाया है। इसकी वजह से प्रदेश में वाणिज्यिक गतिविधियां कम हुई हैं, लेकिन औद्योगिक प्रतिष्ठानों को इससे मुक्त रखने की वजह से उनमें उत्पादन जारी है।
यही वजह है कि अब केन्द्र की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। इसकी वजह से केंद्रीय करों में मप्र की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 52 हजार 246 करोड़ रुपए कर दिया है। इस तरह मप्र के लिए पिछले वर्ष के मुकाबले 6221 करोड़ 68 लाख रुपए अधिक राशि मिलना तय माना जा रही है। यह राशि बीते साल के पुनरीक्षित अनुमान के मुकाबले तो लगभग 9 हजार करोड़ रुपए अधिक है। केन्द्र सरकार से हालांकि बीते साल की 9 हजार करोड़ रुपए की राशि अब तक नहीं मिली है। यह बात अलग है कि अब इसे नए वित्तीय वर्ष में आवंटित किया गया।
मप्र को हुआ 2651 करोड़ का नुकसान
केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 की अवधि के लिए 46025 करोड़ रुपए केंद्रीय करों में मप्र का हिस्सा निर्धारित किया था, लेकिन बाद में देश में कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ। इसकी वजह से केंद्र और राज्य सरकार की आय पर प्रतिकूल असर पड़ा। जिसके चलते केन्द्र ने राज्यों को मिलने वाली केंद्रीय करों में हिस्सेदारी को कम कर दिया था। बाद में केंद्र सरकार ने मप्र को दी जाने वाली राशि में संशोधन कर उसे 43 हजार करोड़ 46 लाख रुपए निर्धारित कर दिया था। इसके बाद भी प्रदेश को 2651 करोड़ 54 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।

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