चुनाव प्रचार में तल्ख होती राजनेताओं की जुबानी जंग

  • अरुण पटेल
राजनेताओं

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित 11 राज्यों की 93 लोकसभा सीटों पर मंगलवार 7 मई को औसतन लगभग 66 प्रतिशत मतदाताओं ने तीसरे चरण के मतदान में कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों सहित अनेक दिग्गज उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों में कैद कर दिया। उम्मीदवारों में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्रियों में शिवराज सिंह चौहान एवं दिग्विजय सिंह शामिल हैं। यदि बोलचाल की भाषा में कहा जाए तो राजा, महाराजा तथा मामा का भाग्य ईवीएम में बंद हो गया है और मतदाताओं ने अपना क्या फैसला सुनाया है यह आगामी 4 जून को मतगणना के साथ पता चल सकेगा। तीसरे चरण के मतदान में गुजरात के गिर जंगल के सुदूर क्षेत्र में एक मतदान केंद्र सिर्फ एक वोटर के लिए स्थापित किया गया, वहां महंत हरिदास नामक पुजारी ने मतदान किया। यह मतदान केंद्र जूनागढ़ जिले में बनाया गया था। चुनाव आयोग ने यह मतदान केंद्र यह संदेश देने के लिए शायद बनाया कि एक-एक वोट महत्वपूर्ण है। एक मतदाता से मतदान कराने के लिए दस लोगों की टीम वहां पहुंची और मतदान कर्मियों को दो दिन की यात्रा करनी पड़ी।
एक ओर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे थे, तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धार व खरगोन में इंडिया गठबंधन पर जमकर शाब्दिक हमला करते हुए कह रहे थे कि नकली सेक्यूलरिज्म के नाम पर भारत की पहचान मिटने नहीं देंगे। 400 सीट जीतने के लिए समर्थन मांगने के संबंध में मोदी ने कहा कि यह इसलिए मांग रहा हूं ,ताकि कांग्रेस और इंडी गठबंधन की हर साजिश को रोक सकूं। उधर बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती जिन पर अक्सर भाजपा के हित साधने और उसके इशारे पर उम्मीदवार उतारने का आरोप लगता रहा है, ने एक और उम्मीदवार को जैसे ही बदला उन पर यह आरोप लगा कि यह वह भाजपा के इशारे पर कर रही हैं। चुनाव अभियान के दौरान मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोआर्डीनेटर और अपने उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया। इसके पीछे उन्होंने वजह यह बताई कि अभी वह पूर्ण परिपक्व नहीं हुए हैं। मायावती ने एक्स पर पोस्ट लिखा कि बीएसपी एक पार्टी के साथ ही बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के आत्म सम्मान व स्वाभिमान तथा सामाजिक परिवर्तन का भी मूवमेंट है, जिसके लिए मान्यवर काशीराम व मैंने स्वयं अपनी पूरी जिन्दगी समर्पित की है और इसे गति देने के लिए नई पीढ़ी को भी तैयार किया जा रहा है, जिसमें अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के लिए आकाश आनंद को नेशनल कोआर्डीनेटर व अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था किन्तु, पार्टी व मूवमेंट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है। मायावती ने यह भी लिखा कि आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार अपनी जिम्मेदारी पहले की तरह निभाते रहेंगे। उल्लेखनीय है कि हाल ही में सीतापुर पुलिस ने बसपा नेता आकाश आनंद के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी क्योंकि, आकाश आनंद ने चुनावी रैली करते हुए बीजेपी सरकार की तुलना आतंकवादियों से की थी। इसके बाद ही आकाश आनंद की चुनावी रैलियां भी निरस्त कर दी गई थीं। तीसरे चरण के मतदान के बीच ही झारखंड राज्य में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरक्षण के मुद्दे को लेकर भाजपा पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि वह तो संविधान फाडक़र फेंकना चाहती है। इंडिया गठबंधन पर आदिवासियों के बीच मोदी गरज-बरस रहे थे तो राहुल भी आदिवासियों के बीच ही आरक्षण को लेकर प्रधानमंत्री के आरोपों का जवाब देते हुए आदिवासी और अदाणी का नाम ले रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस संविधान के लिए आपके बुजुर्गों ने जान दी थी आज उसे भाजपा के लोग खत्म करने में लगे हैं। संविधान से आरक्षण, नौकरी और बच्चों को शिक्षा मिलती है यदि यही मिट जायेगा, तो आदिवासी-दलित कहीं के नहीं रहेंगे। राहुल ने आरोप लगाया कि अदाणी की नजर आपकी जमीन, जंगल और जल पर है और नरेन्द्र मोदी अदाणी के लिए काम करते हैं न कि आदिवासियों के लिए तथा दोनों चाहते हैं कि, संविधान खत्म हो जाये और उनका राज चले। हम इसे कभी खत्म नहीं होने देंगे और इसके लिए हम जान देने को तैयार हैं। मोदी ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की, नई संसद भवन का उद्घाटन किया, देश  की राष्ट्रपति आदिवासी हैं इसलिए वे कहीं नजर नहीं आईं, मोदी के दिल में आदिवासियों के लिए कोई जगह नहीं है, अब यह आपको निर्णय करना है कि अदाणी-मोदी की सरकार बनायेंगे या आदिवासी व दलितों की। – लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं।

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