हुनर निखारने के लिए इंतजार बढ़ना तय

ग्लोबल स्किल पार्क

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। युवाओं के हुनर को निखारने के लिए भोपाल में बनने वाले ग्लोबल स्किल पार्क पर कोरोना की छाया पड़ गई है। इसकी वजह से अब तक इसका काम ही शुरू नहीं हो पाया है। मप्र सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के माध्यम से युवाओं को उनके कौशल के हिसाब से प्रशिक्षित किए जाने की योजना है। सरकार ने इसके पूरा होने के लिए अगले साल के दिसंबर तक की डेडलाइन तय की हुई है। सरकार ने इस पार्क के माध्यम से हर साल 22 हजार युवाओं को हुनरमंद बनाने का तय किया हुआ है। सरकार की मंशा इस पार्क से हुनर सीखने वालों को अच्छी जगहों पर नौकरी के अनुकूल बनाने की है। इस पार्क को शुरू करने के पूर्व की तैयारियों के तहत सरकार के स्तर पर उसके लिए पाठ्यक्रम तैयार करने का काम भी शुरू कर दिया गया था, लेकिन कोरोना के चलते अब यह काम भी पिछड़ गया है।
सरकार की मंशा इस पार्क में जनवरी 23 से  पाठ्यक्रम शुरू करने की थी। अब इसके निर्माण में हो रही देरी की वजह से यह काम भी पिछड़ना तय माना जा रहा है। इस स्किल पार्क की डिजाइन का जिम्मा टाटा कंसलटेंसी को दिया गया है। इसके अलावा इसी एजेंसी को इसके निर्माण की गुणवत्ता की निगरानी का काम भी दिया गया है। खास बात यह है कि सरकार के पास भारी भरकम अमला होने के बाद उसे गुणवत्ता के लिए इस निजी एजेंसी की मदद लेनी पड़ रही है, जिसकी वजह से जिम्मेदारों की योग्यता और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
नाथ सरकार की वजह से हुई देरी
योजना तैयार होने के बाद प्रदेश में सरकार बदलने का असर भी इस परियोजना पर पड़ा। सरकार बदलने से उसकी प्राथमिकताएं बदल गईं। जिसकी वजह से इस परियोजना पर कोई काम ही सरकार स्तर पर नहीं किया गया। इसके बाद प्रदेश में एक बार फिर सत्ता बदली तो इस पर काम शुरू हो पाया। खास बात यह है कि इसे प्रदेश सरकार ने आत्मनिर्भर मप्र के तहत तय किए गए लक्ष्यों में शामिल किया है। प्रदेश सरकार इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर का संस्थान बनाने की मंशा रखती है। फिलहाल इस संस्थान में प्रशिक्षण के लिए कुल 11 ट्रेड तय किए गए हैं। इनमें मेकाट्रोनिक्स, मोबाइल इलेक्ट्रानिक्स, पावर एंड कंट्रोल, नेटवर्क एंड सिस्टम एडमिनिस्ट्रेशन, रेफ्रिजरेशन एंड एयर कंडीशनिंग,मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल सर्विसेज, ऑटोमोटिव मैकेनिकल टेक्नोलॉजी, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल और प्रिसिजन इंजीनियरिंग शामिल है।
लिया 10 अरब का कर्ज
इस परियोजना के लिए प्रदेश सरकार द्वारा एशियन डेवलपमेंट बैंक से करीब दस अरब रुपए का कर्ज लिया गया है। इस परियोजना की कुल लागत 1548 करोड़ रुपए बताई जाती है। इस परियोजना पर राज्य सरकार अपने खाते से 580 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च करेगी। इस परियोजना को चार साल पहले बनाया गया था , लेकिन परवान चढ़ना अब शुरू हो सका है। इसका निर्माण तीस एकड़ में किया जा रहा है। इसका निर्माण सिंगापुर के तकनीकी परामर्श और सहयोग से किया जा रहा है। इस पार्क की योजना तैयार करने के पहले स्वयं मुख्यमंत्री सिंगापुर की यात्रा पर गए थे। दरअसल इस तरह के मामलों में सिंगापुर को विशेषज्ञता हासिल है।

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