- वोट परसेंट तो बढ़ा, लेकिन घट गई वोटिंग
- विनोद उपाध्याय
मप्र विधानसभा चुनाव में वोटिंग परसेंट का नया ट्रेंड सामने आया है। मतदाताओं ने इस नए ट्रेंड को सामने लाकर सभी को चौंका दिया है। दरअसल, प्रदेश में वोट प्रतिशत तो डेढ़ फीसदी बढ़ा है। लेकिन, 230 में से 50 सीटों पर वोटिंग घट गई। शिवराज सरकार के 9 मंत्रियों की सीट पर ही कम मतदान हुआ। इन मंत्रियों में प्रेम सिंह पटेल, भूपेंद्र सिंह, उषा ठाकुर, रामखेलावन पटेल, मीना सिंह, विश्वास सारंग, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, तुलसी सिलावट और जगदीश देवड़ा शामिल हैं। इनकी सीटों पर वोट प्रतिशत घट गया है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर वाली हाई प्रोफाइल सीट पर भी एक फीसदी वोटर्स मतदान के लिए कम निकले। ऐसे में मतदान के इन आंकड़ों ने मंत्रियों को डरा दिया है।
भाजपा के 28 विधायकों की सीट पर वोट प्रतिशत कम हो गया। इसी तरह कांग्रेस के भी 20 विधायकों की सीट पर कम मतदान हुआ। बसपा और एक निर्दलीय विधायक की सीट पर भी कम लोगों ने वोट डाले। इस तरह मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पचास सीटों पर वोट प्रतिशत घट गया है। इस वजह से अब राजनीतिक गलियारों में उलझन बढ़ गई है। बता दें, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को को 77.15 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
हार-जीत का लगा रहे गणित
मतदान प्रतिशत के आधार पर राजनीतिक दल और उम्मीदवार चुनाव का आंकलन कर रहे हैं। मंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्र में देखा जाए तो नौ सीटों पर मतदान घटा है। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह के निर्वाचन क्षेत्र खुरई में 2.02, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के क्षेत्र डॉ. आंबेडकर नगर महू में 2.03 और उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के क्षेत्र बदनावर में 1.29 प्रतिशत मतदान कम रहा। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के क्षेत्र नरेला में 53, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट के क्षेत्र सांवरे में 73, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के क्षेत्र मल्हारगढ़ में 23 और जनजातीय कार्य मंत्री मीना सिंह मांडवे के क्षेत्र मानपुर में 09 प्रतिशत मतदान पिछले चुनाव के मुकाबले कम रहा। चार मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, बृजेंद्र प्रताप सिंह, विजय शाह और बिसाहूलाल सिंह के निर्वाचन क्षेत्र में मतदान तो बढ़ा पर यह वृद्धि एक प्रतिशत से भी कम रही। वहीं कई क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ गया है। नर्मदा घाटी विकास मंत्री गौरीशंकर बिसेन के क्षेत्र बालाघाट में 4.09, लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव के क्षेत्र रहली में 3.26, लोक निर्माण राज्य मंत्री सुरेश धाकड़ के क्षेत्र पोहरी में 3.04, स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के क्षेत्र शुजालपुर में 2.44, सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया के क्षेत्र अटेर में 2.27, कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्य मंत्री राहुल सिंह के क्षेत्र खरगापुर में 2.10, स्वास्थ्य मंत्री डॉ.प्रभुराम चौधरी के क्षेत्र सांची में 2.06, गृह मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा के क्षेत्र दतिया में 2.05, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के क्षेत्र ग्वालियर में 1.92, आयुष मंत्री रामिकशोर कांवरे के क्षेत्र परसवाड़ा में 1.75, उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के क्षेत्र उज्जैन दक्षिण में 1.72, नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग के क्षेत्र सुवासरा में 1.47, जनसंपर्क मंत्री राजेंद्र शुक्ल के क्षेत्र रीवा में 1.06, कृषि मंत्री कमल पटेल के क्षेत्र हरदा में 1.02, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के क्षेत्र बमोरी में 1.02 और श्रम मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के क्षेत्र पवई में .75 प्रतिशत मतदान में वृद्धि हुई। अब राजनीतिक पार्टियों के साथ ही प्रत्याशी भी हार-जीत का आकलन करने में जुट गए हैं।
अभियानों की निकली हवा
मप्र विधानसभा चुनाव में मतदान बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग से लेकर राजनीतिक दलों ने भरपूर प्रयास किए। भाजपा ने तो 51 प्रतिशत वोट शेयर के लक्ष्य को लेकर बूथ सशक्तीकरण अभियान चलाया। मतदाताओं को घरों से निकालने के लिए स्वयं और पन्ना प्रभारियों ने संपर्क किया। मंत्रियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में मोर्चा संभाला और मतदाताओं से संपर्क किया पर नौ मंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्र में मतदान पिछले चुनाव की तुलना में घट गया। पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल के निर्वाचन क्षेत्र बड़वानी में तो 2018 के मुकाबले 5.25 प्रतिशत मतदान कम हुआ। जबकि, मुंगावली में सर्वाधिक 4.41 प्रतिशत मतदान बढ़ा। यहां से भाजपा के उम्मीदवार राज्य मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव हैं। भाजपा ने 33 में से 31 मंत्रियों को चुनाव लड़ाया है। शिवपुरी से विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव लडऩे से मना कर दिया था तो ओपीएस भदौरिया को मेहगांव से टिकट नहीं दिया गया। बाकी सभी मंत्री चुनाव मैदान में हैं प्रदेश में 77.15 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया है।