मतदाता माननीयों का गुस्सा उतार रहे निकाय प्रत्याशियों पर

निकाय प्रत्याशियों
  • स्थानीय विधायकों ने अपने चहेतों को दिलाए हैं टिकट

पाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में हो रहे नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा विधायकों की मतदाताओं पर पकड़ और उनके कामकाज को लेकर जनता की बढ़ती नाराजगी की पोल खुलने लगी है। इसकी वजह से कई नगरीय निकाय के वार्डों में पार्टी प्रत्याशियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
हालात यह बन गए हैं कि अभी से उन पर हार का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल भाजपा नेताओं ने कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर अपने करीबियों व चेहेते उम्मीदवारों को टिकट दिलवाए हैं। इनमें कई वार्ड में तो लगातार दूसरी बार भी बाहरी प्रत्याशी तक थोपे गए हैं। इसकी वजह से जनसंपर्क के दौरान प्रत्याशियों से मतदाता सीधे तीखे सवाल तक करने में पीछे नही रह रहे हैं। दरअसल, क्षेत्रीय कार्यकर्ता तमाम तरह के चुनावों में पार्टी और प्रत्याशी के लिए अपना कामधाम छोड़कर तन-मन और धन से काम करते हैं , लेकिन जब मौका आता है तो उन पर विधायक अपनी मनमानी थोप देते हैं। इस मामले में संगठन भी कार्यकर्ताओं की जगह अपने विधायकों की पंसद और नापसंद का भी भरपूर ध्यान रखता है। इसकी वजह से कार्यकर्ताओं के साथ ही स्थानीय मतदाताओं में भी नाराजगी बनी हुई है। इसी तरह से मूलभूत सुविधाओं सबंधी समस्याओं को लेकर स्थानीय विधायकों से भी लोगों की अपेक्षाएं रहती हैं। इनकी पूर्ति न होने पर नाराजगी भी होती है। अब मतदाताओं की इन मामलों में माननीयों की नाराजगी का गुस्सा पार्षद प्रत्याशियों पर निकल रहा है।
कई जगह तो कार्यकर्ता पूरी तरह से बागी हो चुके हैं। गौरतलब है कि अधिकांश पार्षद के टिकट विधायकों ने अपने सियासी समीकरण के हिसाब से बंटवाए हैं। संगठन के पास जो शिकायतें पहुंच रही हैं, उनमें नगर पालिका और नगर परिषद वाले इलाकों की बहुत अधिक संख्या है।
बढ़ती बगावत इसी का परिणाम
 इन निकायों में स्थानीय विधायकों ने अपना अध्यक्ष बनाने के हिसाब से पार्षदों का टिकट बंटवाए हैं। इसमें भी अगर उनके हिसाब से समीकरण नहीं बने तों बागी भी खड़े करवा दिए। ऐसे ही एक निकाय की शिकायत पार्टी के पास पहुंची है। जिसमें बागी पार्षद स्थानीय विधायक का फोटो लगाकर वोट मांग रहा था। कहीं-कहीं कार्यकर्ता भी नाराज हैं और वे विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को अपनी नाराजगी से अवगत कराने के लिए प्रत्याशी के समर्थन में काम नहीं कर रहे हैं। सिंगरौली में सामान्य सीट पर ओबीसी को टिकट दिए जाने के कारण कार्यकर्ता नाराज हैं। कटनी में पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ एक बागी खड़ा है। सतना में भी एक बड़े नेता के भाई को टिकट न मिलने से वह नाराज है, वहां के भाजपा विधायक बसपा प्रत्याशी का परोक्ष रूप से सपोर्ट कर रहे हैं। निवाड़ी नगर पंचायत में तो कई विधायक समर्थक बागी बनकर मैदान में उतरे हुए हैं।  भोपाल में कई वार्डों में भाजपा विधायकों ने दूसरे वार्ड के निवासियों कों टिकट थामा दिए हैं। यह सब भाजपा विधायकों की मर्जी के चलते ही किया गया है।  इसकी वजह से भी कार्यकर्ताओं के अलावा मतदाताओं में भारी नाराजगी देखी जा रहा है। यह नाराजगी जनसंपर्क के दौरान स्पष्ट रूप से दिख रही है। इस दौरान कई मतदाता तो प्रत्याशी से लेकर विधायक तक को लेकर तीखे सवाल खड़े कर रहे हैं, जिसकी वजह से प्रत्याशी और उनके समर्थकों के सामने भारी असहज स्थिति तक का सामना करना पड़ रहा है।

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