मतदाता पर्ची: छोटे कर्मचारियों पर गाज गिराने की तैयारी

मतदाता पर्ची
  • एक दूसरे को थमाते रहे जिम्मेदारी, बड़े अफसर भी रहे बेफिक्र

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। नगर निगम चुनाव में कम मतदान के बाद मची हाय -तौबा के बाद मतदाता पर्ची वितरण के मामले में बरती गई गंभीर लापरवाही और मतदाता सूची में हुई बड़े पैमाने में गड़बड़ी के मामले में अब छोटे कर्मचारियों पर गाज गिराने की तैयारी की जा रही है, जबकि इस मामले में पर्यवेक्षण अफसरों से लेकर निर्वाचन काम में लगे अन्य अफसर भी बराबर के लापरवाह हैं। दरअसल नगर निगम के जिन कर्मचारियों पर मतदाता पर्ची बांटने का जिम्मा था, उन्हें बगैर सोचे समझे एक साथ तीन -तीन काम थमा दिए गए।
खास बात यह है की यह तीनों काम उन्हें एक साथ ही करने थे, जो करना संभव ही नहीं है। यही वजह रही की बीएलओ ने मतदाता पर्ची बांटने का काम निगम के वार्ड प्रभारी और अंत में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सौंप दिया था। यही नहीं कई जगहों पर तो मतदाता पर्ची ऐन समय पर ही बीएलओ के माध्यम से वितरण के लिए पहुंची। दरअसल इस मामले में हर स्तर पर गंभीर लापरवाही की गई। हद तो यह है की बीएलओ को पर्ची बांटने का जिम्मा तब दिया गया जब मतदान होने में महज चार दिन रह गए थे। यही नहीं इन बीएलओ को इसके अलावा ईवीएम कमिशनिंग से लेकर मतदान दलों को सामग्री बांटने तक का जिम्मा  सौंप दिया गया था। यह दोनों कम भी उसी समय किए जाने थे , जब मतदाता पर्ची बांटी जानी थी। यानी एक बीएलओ को एक ही समय पर एक साथ तीन -तीन काम करने की जिम्मा दे दिया गया था। इसमें भी एक बीएलओ को 1200 से ज्यादा वोटर पर्ची बांटने को दी गई थीं। इसी बीच हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद करीब 1600 केंद्रीय कर्मचारियों को ड्यूटी से हटाना पड़ गया जिसकी वजह से आनन-फानन रिजर्व कर्मचारियों को बुलाकर मतदान सामग्री देकर उन्हें मतदान कराने के लिए रवाना किया गया। यह काम पूरा होने में ही देर शाम का समय हो गया। ऐसे में बीएलओ मतदाता पर्ची कैसे बंटवाते।
आनन फानन में सौंपी गई पर्चियां
मतदान के दो दिन पहले यानि की 4 जुलाई से वोटर पर्ची बांटने का काम शुरू नहीं हुआ तो इसको लेकर हायतौबा मचनी शुरू हो गई, जिसके बाद अफसरों की नींद खुली तो आनन – फानन में अफसरों ने मतदान पर्ची बांटने का जिम्मा नगर निगम के वार्ड प्रभारी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सौंप दिया। इसके बाद बीएलओ ने वार्ड प्रभारियों के को अपने- अपने इलाके की वोटर पर्ची सौंपी और चुनाव ड्यूटी के लिए रवाना हो गए। चुंकि  वार्ड प्रभारियों के पस पहले से ही चुनाव की अतिरिक्त जिम्मेदारी थी , सो उनके द्वारा भी यह काम अन्य कर्मचारियों को थमा दिया गया। दरअसल वार्ड प्रभारियों को अपने -अपने इलाकों के हर पोलिंग बूथ पर पीने के पानी, कर्मचारियों के रुकने से लेकर उनके खाने तक के काम का जिम्मा था।
मतदान के दिन यानि की 6 जुलाई को मतदान शुरू होने के बाद हंगामा होना शुरू हुआ तो वार्ड प्रभारियों ने कर्मचारियों से पूछताछ शुरू की, लेकिन तब भी उन्हें कहा गया की पर्चियां बांट दी गई हैं।  यह बात अलग है कि मतदाताओं को या तो पर्चियां मिली ही नहीं और मिली तो चार में से दो की तो कहीं तीन की ही पर्चियां मिली। इसकी वजह से हजारों लोग मतदान करने के लिए एक बूथ से दूसरे बूथ पर अपने मतदान के लिए भटकते रहे और इसके बाद भी जब उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली तो बेचारे थक हार कर घर लौट गए। इसकी वजह से भीड़-भाड़ वाले मतदान केन्द्र सुनसान नजर आते रहे और जब मतदान का रिकार्ड सामने आया तो कम मतदान को लेकर हायतौबा मचना शुरू हो गई।  इसके बाद अब अफसरों से लेकर कर्मचारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने में लगे हुए हैं। हालात यह है की भाजपा व कांग्रेस दोनों के निशाने पर चुनाव आयोग आ गया है। आयोग ने भी इस मामले को अधिक तूल न देने के लिए सत्तारुढ़ दल भाजपा को नसीहत देते हुए कह दिया है की अगर अधिक तूल दिया गया तो मामला आप पर ही आएगा , क्योंकि आपके ही दल की प्रदेश में सरकार है। यह बात अलग है की कम मतदान की वजह अकेली पर्चियां ही दोषी नही हैं, बल्कि मतदाता सूची भी है। दरअसल मतदाता सूची में एक ही परिवार के कई -कई सदस्यों के नाम या तो गलत तरीके से काट दिए गए और नए नामों को शामिल भी नहीं किया गया।  ऐन वक्त पर चुनाव घोषित हुए इसलिए विस चुनाव की वोटर लिस्ट का डाटा लेकर लिस्ट अपडेट कर दी।  मई में वोटर लिस्ट के प्रकाशन के बाद दावे-आपत्ति के लिए वार्ड में ये सूची रखवाई गई थी। लेकिन इस दौरान न तो राजनीतिक दलों ने ध्यान दिया और न अफसरों ने दिलचस्पी दिखाई।
अब लिया सबक
राजनैतिक दलों के विरोध के बाद अब जाकर आयोग से लेकर कर्मचारी तक चेते हैं। यही वजह है की अब दूसरे चरण के होने वाले मतदान के लिए वितरित की जाने वाली पर्चियों के वितरण के समय मतदाताओं से हस्ताक्षर भी लिए जा रहे हैं। इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी कलेक्टर्स को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है की वोटर पर्ची बांटने के बाद उसके रिकॉर्ड की जानकारी आयोग को दी जाए।

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