भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में भारतीय जनता पार्टी की जब से वीडी शर्मा ने कमान संभाली है, उसके बाद से संगठन में बदलाव की बयार चल रही है। इसका असर पहले उनकी कार्यकारिणी में तो अब पार्टी की युवा इकाई में भी पूरी तरह से दिखाई दिया है। दरअसल भाजपा में आज जितने भी दिग्गज नेता हैं उनमें से से अधिकांश नेता युवा इकाई के ही रास्ते से यहां तक पहुंचे हैं। अब जब टीम वैभव की घोषणा लंबे समय बाद हुई तो उसमें शामिल नामों को देखकर सभी चौंक गए। वजह है वीडी ने अपने करीबी वैभव की टीम के लिए जो नाम तय किए उनमें प्रदेश से लेकर केन्द्र तक में दिग्गज नेता माने जाने वाले प्रदेश के किसी बड़े नेता पुत्रों के नामों को शामिल नहीं किया जाना। इससे पार्टी के सभी बड़े नेताओं को जोर का झटका बेहद धीमे से दिया गया है।
माना जा रहा है कि वीडी ने एक बार फिर पार्टी नेताओं को साफ संदेश दिया है कि अब प्रदेश की राजनीति में वंशबाद और उत्तराधिकारी का युग समाप्ती पर है। दरअसल प्रदेश में भाजपा की बात की जाए तो इसके पहले तक पार्टी का टिकट हो या फिर पद सभी में राजघराने के रुप में स्थापित हो चुके नेताओं को वरीयता दी जाती रही है,जिसकी वजह से कई प्रतिभावान कार्यकर्ताओं को आगे आने का मौका तक नहीं मिल पा रहा था।
भाजयुमो के प्रदेशाध्यक्ष वैभव पवार द्वारा जारी की गई प्रदेश पदाधिकारियों की सूची में एक भी बड़े नेता का पुत्र या पुत्री को शामिल नहीं किया। जबकि एक दर्जन से ज्यादा नेताओं के पुत्र अपने पिता की राजनीतिक पिच पर सियासी चौके- छक्के लगाने को बेताब बने हुए हैं। यह बात अलग है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा , जयंत मलैया समेत अन्य दिग्गज नेताओं के बेटा एवं बेटी राजनीति में स्थानीय स्तर पर बेहद सक्रिय बने हुए हैं। यह बात अलग है कि आने वाले समय में इनमें से अधिकांश नेता पुत्र पिता के उत्तराधिकारी बन जांए। अगर देखा जाए तो प्रदेश में एक मात्र नेता कैलाश विजयवर्गीय ही अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय को विधायक बनवा पाए हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें अपने टिकट से हाथ धोना पड़ा है। हालांकि उनकी ही तरह बीते आम चुनाव में गौरीशंकर शेजवार ने भी अपनी जगह बेटे मुदित शेजवार को स्थापित करने के लिए टिकट दिलाने में सफलता पाई थी, लेकिन वह चुनाव में खेत रहे।
विवाद के चलते रद्द करनी पड़ी थी आंदोलन समिति
मप्र में बीते आम चुनाव के बाद जब प्रदेश में डेढ़ दशक बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी , तो उसके कुछ समय बाद ही कमलनाथ सरकार के खिलाफ प्रदेशभर में आंदोलन छेड़ने का फैसला किया गया था। उस समय दिग्गज नेताओं ने इस आंदोलन के बहाने अपने-अपने पुत्रों की लांचिग के लिए इस आंदोलन की अलग-अलग इलाकों की कमान अपने पुत्रों को सौंप दी थी। जिसमें उस समय शिवराज सिंह चौहान से लेकर नरोत्तम मिश्रा तक के बेटे को शामिल किया गया था। माना जाता है कि इस आंदोलन की रणनीति नेताओं ने अपने पुत्रों की पॉलिटिक्ल लॉन्चिंग के लिए ही बनाई थी। यह आंदोलन प्रदेश में भाजयुमो के बैनर तले करने का फैसला किया गया था। इस पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपने ही नेताओं पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिए थे , जिसके बाद मचे बबाल के चलते इस आंदोलन को तब दिल्ली मुख्यालय के हस्तक्षेप की वजह से स्थगित करना पड़ गया था।
रोकनी पड़ी थी लॉन्चिंग
उस समय जिन नेताओं के पुत्रों को आंदोलन का जिम्मा दिया गया था उनमें तत्कालीन पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान, तत्कालीन सांसद प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा, नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर, पूर्व मंत्री गौरी शंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार, नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, दीपक जोशी के बेटे जयवर्धन जोशी, अर्चना चिटनीस के बेटे समर्थ चिटनीस, सांसद नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान, पूर्व विधायक चारा चंद्र बावरिया के बेटे सौरव बावरिया शामिल थे। खास बात यह थी भाजयुमो के इस आंदोलन समिति में कुल 31 सदस्य रखे गए थे , जिनमें से दस नेता पुत्र थे। हालांकि बाद में आंदोलन स्थगित होने से वे लांच होने से रह गए थे।
पहले मिलती रही है नेता पुत्रों को प्राथमिकता
विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में कई नेता पुत्र टिकट की दावेदारी कर चुके हैं और एक बार फिर से वे अभी से इसी लाइन में लगे हुए हैं। इसकी वजह है पूर्व में कई ऐसा नेता रहे हैं जिन्हें वंशानुगत रूप से न केवल टिकट मिला, बल्कि जूनियर होने के बाद भी मंत्रिमंडल में भी शामिल किया गया है। इसी तरह से कई नेता पुत्रों को संगठन में जगह मिलती रही है।
इन नेता पुत्रों को हाथ लगी निराशा
कार्तिकेय सिंह चौहान
कार्तिकेय सिंह चौहान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे हैं। वे बुधनी में लगातार सक्रिय हैं। वे पहले भी युवा मोर्चा में पदाधिकारी रह चुके हैं। यही नहीं वे कोलारस-मुंगावली इलाके में हुए उपचुनाव में भी बेहद सक्रिय रहे हैं। उन्हें इस बार पूरी तरह से संगठन से दूर रखा गया है।
आकाश विजयवर्गीय
कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश वर्तमान में प्रदेश के युवा विधायकों में शामिल हैं। पहले वे पिता के विधानसभा क्षेत्र महू का पूरा काम देखते रहे हैं। अब वे खुद इंदौर से विधायक हैं।
देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर
नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे हैं देवेंद्र प्रताप सिंह भी पिता के इलाके में लगातार सक्रिय रहते हैं। वे पार्टी से विधायक के टिकट के दावेदार भी रह चुके हैं। युवा भी हैं और राजनीति में लगातार सक्रिय भी रहते हैं।
मुदित शेजवार
गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित हालांकि बीता विधानसभा चुनाव हार चुके हैं, लेकिन उपचुनाव में टिकट न मिलने के बाद वे भी युवा मोर्चा की टीम में जगह पाकर संगठन में आने की इच्छा रखते थे, लेकिन उन्हें भी मौका नहीं मिल सका है।
तुष्मुल झा
प्रभात झा के बेटे तुष्मुल भाजपा के कई कार्यक्रमों में अक्सर दिखाई देते रहे हैं। उन्हें भी युवा मोर्चा की टीम का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन वे भी जगह नहीं पा सके हैं।
अभिषेक भार्गव
गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव राजनीति के पके हुए खिलाड़ी के रुप में चर्चा में बने रहते हैं। वे बीते दो चुनावों से पिता के विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रहने के साथ ही दमोह लोकसभा से टिकट की भी दावेदारी करते रहे हैं, लेकिन उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी है।
सिद्धार्थ मलैया
जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ हमेशा ही पिता का इलाके में पूरा काम देखते रहे हैं। उन्हें भी युवा मोर्चा की टीम का दावेदार माना जाता रहा है, लेकिन दमोह उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद उनका नाम पहले ही बाहर हो चुका था।
मौसम बिसेन
गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बालाघाट में लगातार सक्रिय रहती हैं। वे टिकट के साथ ही संगठन में पद की शसख्त दावेदार मानी जा रही थीं, लेकिन उन्हें न तो महिला मोर्चा में ही और न ही युवा मोर्चा में जगह मिल सकी है।
01/09/2021
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