भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। दमोह चुनाव परिणाम से हलाकान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने रौद्र रूप दिखाया है। यही वजह है कि एक साथ पांच मंडल अध्यक्षों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए पार्टी के कद्दावर नेता जयंत मलैया को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है। यही नहीं उनकी नाराजगी के चलते ही सरकार के प्रिय अफसरों में शुमार हेंमत चौहान से दमोह की पुलिस कप्तानी भी मुख्यमंत्री को छीनना पड़ गई है। इसके अलावा कलेक्टर को भी अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी है। बीते डेढ़ साल में पहली बार शर्मा का यह रुप दिखा है। शर्मा को एक धीर गंभीर नेता माना जाता है।
दरअसल कार्यकर्ताओं से लेकर स्थानीय नेता तक भाजपा प्रत्याशी राहुल लोधी को पचा नहीं पा रहे थे , जिसके परिणाम स्वरूप कांग्रेस प्रत्याशी की जीत दो मई को आने वाले चुनाव परिणाम से पहले से ही मानी जा रही थी। भाजपा के अंदरूनी राजनैतिक समीकरण भी यही संदेश दे रहे थे। इस उपचुनाव में टीम वीडी और लोधी नेताओं को छोड़ दिया जाए, तो कोई भी बड़ा नेता राहुल की जीत के लिए काम नहीं करता दिख रहा था।
प्रहलाद पटेल और उमा भारती के करीबी होने की वजह से राहुल को भाजपा में उसे समय शामिल किया गया था, जब सरकार को पूर्ण बहुमत मिल चुका था। इसके बाद राहुल को भाजपा ने बतौर प्रत्याशी उपचुनाव में उतार दिया। उन्हें पार्टी में शामिल करते और प्रत्याशी बनाते समय स्थानीय नेताओं को विश्वास में तक नहीं लिया गया। यही वजह है कि चुनाव के समय स्वयं वीडी और उनकी टीम को दमोह में रहकर मैदानी मोर्चा तक संभालना पड़ा। पार्टी के गढ़ में ही मिली इस बड़ी हार के बाद से ही माना जा रहा था कि संगठन स्तर पर बड़ी कार्रवाई होगी ही और वैसा हुआ भी। संगठन स्तर से न केवल पांच मंडल अध्यक्षों सहित जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ मलैया को को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया , बल्कि जयंत मलैया को भी नोटिस देकर उनसे दस दिनों में जवाब तलब कर लिया गया है।
माना जा रहा है कि इस मामले में संगठन किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं हैं। यही वजह है कि पार्टी के नेताओं के अलावा वीडी ने प्रशासनिक अफसरों का भी फेरबदल करवा दिया है। इनमें सरकार के करीबी माने जाने वाले एसपी हेमंत चौहान भी शामिल हैं। हालांकि उनकी दमोह में पदस्थापना कांग्रेस शासनकाल में हुई थी, लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद भी अन्य पुलिस कप्तानों को बदले जाने के बाद भी उन्हें इसलिए नहीं हटाया गया था, क्योंकि वे ऐसे अफसर हैं जो कांग्रेस व भाजपा में समान रुप से पकड़ रखते हैं।
यही नहीं इस हार की वजह से दमोह कलेक्टर को भी रवानगी डालनी पड़ गई है। फिलहाल अब सभी की निगाहें संगठन द्वारा जयंत मलैया को लेकर उठाए जाने वाले अगले कदम पर है। इस कार्यवाही के माध्यम से वीडी ने न केवल दमोह में जयचंद बने नेताओं को कड़ा संदेश दिया है, बल्कि कई और नेता जो इस समय बागी सुर अलाप रहे हैं उन्हें भी बड़ा संदेश देने का काम किया है।
मलैया के समर्थन में उतरे उनके सहपाठी
जयंत मलैया को नोटिस मिलने के बाद उनके समर्थन में उनके एक सहपाठी भाजपा विधायक उतर आए हैं। प्रदेश के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई ने अपने ट्वीट के माध्यम से कहा है कि चुनाव में टिकट बांटने वाले और चुनाव प्रभारी भी हार की जवाबदारी लेंगे। विश्नोई वैसे भी अपनी ही सरकार में उपेक्षा से नाराज चल रहे हैं। वे समय-समय पर अपनी बात बेबाकी से सोशल मीडिया के माध्यम से रखते रहते हैं। इसकी वजह से वे हमेशा चर्चा में बने रहते हैं।
विरोधियों के यह तर्क
राहुल के विरोधियों का तर्क है कि इस मामले में संगठन को राहुल के आरोपों को भी कसौटी पर कसना चाहिए। उनका कहना है कि राहुल अपने गांव के खुद के बूथ को सौ से अधिक मतों से हारे हैं। यही नहीं वे दमोह शहर में सिर्फ एक ही बूथ को जीत सके हैं। ऐसे में दूसरों पर उनका आरोप लगाना सही नहीं है। उधर कहा जा रहा है कि अब उपुचनाव से दमोह में नए राजनैतिक समीकरण बन गए हैं। इनमें लोधी वर्सेस आल का माहौल बन चुका है।
कई नेता हो गए थे कार्रवाई के पक्ष में लामबंद
इस हार के बाद स्वयं वीडी शर्मा के अलावा केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी पार्टी से दगा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के पक्ष में खड़े हो गए थे। इस तरह की कार्रवाई के लिए पटेल तो भोपाल से लेकर दिल्ली तक सक्रिय बने हुए थे। दरअसल राहुल लोधी को उमा व प्रहलाद का न केवल बेहद करीबी माना जाता है, बल्कि उनकी ही समाज से होने की वजह से वे हर हाल में उनकी जीत के लिए प्रयास भी करते रहे। इसके अलावा दूसरी बड़ी वजह यह है कि प्रहलाद पटेल अपने ही संसदीय क्षेत्र में मिली इस हार को पचा नही पा रहे हैं। उधर राहुल भी हार के बाद लगातार मलैया परिवार और उनके समर्थकों को निशाने पर लिए हुए थे।
08/05/2021
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