मध्यप्रदेश में सहकारी बैंकों में सेवा भर्ती नियम का उल्लंघन

सहकारी बैंकों

188 कर्मचारियों का संविलियन कर दे दिया वरिष्ठ वेतनमान…

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सहकारिता विभाग हमेशा ही अफसरों की मनमानी, लापरवाही और भर्राशाही के लिए चर्चा में रहता है। ताजा मामला नियमों को ताक पर रखकर सहकारी बैंकों में 188 कर्मचारियों के संविलियन का मामला सामने आया है।  इस खेल में हुआ यह है कि कनिष्ठ कर्मचारियों को वरिष्ठ वेतनमान मिल गया। नियम है कि जिला सहकारी बैंकों में अलग-अलग सेवा भर्ती नियम हैं, लेकिन प्रदेश में सहकारिता नियमों में छेड़छाड़ करते हुए कर्मचारियों का एक बैंक से दूसरे बैंक में संविलियन किए जाने का मामला सामने आया है। इसको लेकर कृषि उत्पादन आयुक्त ने सभी आदेश निरस्त करने के निर्देश दिए हैं। वहीं सहकारिता मंत्री ने संविलियन के लिए जारी अनुमतियों और लंबित प्रकरणों की जानकारी तलब की है। दरअसल, जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के सेवा नियमों में पारस्परिक सेवाओं के स्थानांतरण का कोई प्रावधान पूर्व में नहीं था। इसलिए कि प्रत्येक जिला बैंक को अलग इकाई माना गया है और इन बैंकों के सेवा नियम अधिनियम की धारा 55 (1) के तहत पंजीयक सहकारी संस्थाएं द्वारा लागू किए गए हैं।
कांग्रेस सरकार में तत्कालीन सहकारिता मंत्री डॉ.गोविंद सिंह की अध्यक्षता में प्रस्ताव तैयार किया गया था कि दोनों जिला सहकारी बैंकों की सहमति के आधार पर एक जिला बैंक से दूसरे जिला बैंक में कभी- कभी कर्मचारियों की सेवाओं के हस्तांतरण की अनुमतियां दी जाएं। 19 नवम्बर 2019 को पंजीयक सहकारी संस्थाएं ने सेवा नियमों में संशोधन संबंधी नस्ती मंत्री के पास भेजी थी। जिला बैंकों में आईबीपीएस या संचालक मंडल द्वारा चयनित अन्य एजेंसी से चयनित बैंकिंग सहायक और कम्प्यूटर आॅपरेटर में यदि कोई दो कर्मचारी पारस्परिक बैंक परिवर्तन के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक में जाने के लिए मंत्री डॉ. सिंह ने अपनी सहमति देते हैं तथा उनके जिला बैंकों में आरक्षण वर्ग के पद प्रभावित नहीं होते हैं, ऐसी स्थिति में हीं बैंक परिवर्तन किए जा सकेंगे।  बड़ी शर्त यह रखी गई कि बैंक बदलने वाला कर्मचारी सबसे कनिष्ठतम कर्मचारी होगा और वेतनमान एक समान रहेगा।
संशोधन आदेश में अतिरिक्त नियम जोड़ दिया
जानकारी सामने आई है कि कांग्रेस सरकार के जाते ही सहकारिता विभाग में पदस्थ तत्कालीन एक संयुक्त आयुक्त और आयुक्त के चलते मार्च 2020 में जारी संशोधन आदेश में अतिरिक्त तौर पर जोड़ दिया गया कि अथवा पद रिक्त होने पर एक जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से दूसरे जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में जाने हेतु। इससे एक जिला बैंक से दूसरे जिला बैंक में एकल आधार पर यानि बिना पारस्परिक परिवर्तन के किसी कर्मचारी का परिवर्तन किया जाना संभव हो गया। बैंकिंग सहायक तथा कंप्यूटर आॅपरेटरों के साथ अन्य कर्मचारियों को भी शामिल कर लिया गया। इस खेल में हुआ यह है कि कनिष्ठ कर्मचारियों को वरिष्ठ वेतनमान मिल गया। भोपाल, इंदौर सहित अन्य बड़े बैंकों में सातवां वेतनमान लागू है, जिसका लाभ दिया गया। यह संशोधन अब विभाग के गले का फांस बन गया है क्योंकि कर्मचारी  कोर्ट जाने की धमकी दे रहे हैं। संशोधन के बाद 188 कंप्यूटर आॅपरेटर, बैंकिंग सहायक और पांच भृत्यों को एक जिला बैंक से दूसरे जिला बैंक में संविलियन की अनुमति जारी कर दी गई। इससे बैंकों में कर्मचारियों का असुंतलन बिगड़ गया। जैसे कि भोपाल में 23, जबलपुर में 19, इंदौर में 15 कर्मचारियों का संविलियन हुआ। वहीं मंदसौर से 23, शाजापुर से 13, भिंड से 15, झाबुआ से 10 कर्मचारी अन्य बैंकों में संविलियन के लिए गए। कनिष्ठ कर्मचारियों को वरिष्ठ वेतनमान मिल गया। भोपाल, इंदौर सहित अन्य बड़े बैंकों में सातवां वेतनमान लागू है, जिसका लाभ दिया गया। यह संशोधन अब विभाग के गले का फांस बन गया है। कृषि उत्पादन आयुक्त शैलेन्द्र सिंह का कहना है कि एक बैंक से दूसरे बैंक में नियमों के विपरीत संविलियन होने की जानकारी मिलते ही मैने सभी आदेश निरस्त करने के निर्देश दिए हैं। जिला सहकारी बैंकों में अलग-अलग सेवा भर्ती नियम हैं। 3 माह बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है तो इसकी जानकारी जल्द लूंगा ।

Related Articles